Brahma Kumaris Murli Manthan 27-06-2020
"मीठे बच्चे - अब तुम नये सम्बन्ध में जा रहे हो, इसलिए यहाँ के कर्मबन्धनी सम्बन्धों को भूल, कर्मातीत बनने का पुरूषार्थ करो''
Aaj baba itna acha baat samjha rahe hai jisse sabhi aatmaye bade aasani se karmatit awashta jo baba ki hui usko prapt ho jayege. Baba kahte hian aab tum naye sambandh me ja rahe ho. Isliye yaha ke karambandhani sambandh ko bhul jao. Aur karmatit awashta ko prapt ho.
प्रश्नः-
बाप किन बच्चों की वाह-वाह करते हैं? सबसे अधिक प्यार किन्हों को देते हैं?
उत्तर:-
बाबा गरीब बच्चों की वाह-वाह करते हैं, वाह गरीबी वाह! आराम से दो रोटी खाना है, हबच (लालच) नहीं। गरीब बच्चे बाप को प्यार से याद करते हैं। बाबा अनपढ़े बच्चों को देख खुश होते हैं क्योंकि उन्हें पढ़ा हुआ भूलने की मेहनत नहीं करनी पड़ती है।
Jo bacche sampuran rup se baba par samarpit ho jate hain. Aur apne sharir ko bhi bhul jate ho. Ekdum garib ban jate hain un baccho ki baba bhi wah wah karte hain. Baba ko garib bache hi pasand hain. Kyo jo bache grib aur anpadh bacche hote hian unko padha hua bhulne ki mehnat nahi karni hoti. Wo bacche ek dum nischay buddhi ho jate hain.
Baba kahte hian ki tumhari padhai puri hui aur pralabdh shuru hui.
Aaj baba ne kha ki maya kisi ko nahi chhodti hain. Maharathiyon ko bhi nahi chhodti hain. Grahchari baithne ka karan hi hai yog me kami.
Baba kahte hain ki dhayan se gyan aacha hai aur gyan se yaad acchi hain.
वरदान:-
साथी और साक्षीपन के अनुभव द्वारा सदा सफलतामूर्त भव
जो बच्चे सदा बाप के साथ रहते हैं वह साक्षी स्वत: बन जाते हैं क्योंकि बाप स्वयं साक्षी होकर पार्ट बजाते हैं तो उनके साथ रहने वाले भी साक्षी होकर पार्ट बजायेंगे और जिनका साथी स्वयं सर्वशक्तिमान् बाप है वे सफलता मूर्त भी स्वत: बन ही जाते हैं। भक्ति मार्ग में तो पुकारते हैं कि थोड़े समय के साथ का अनुभव करा दो, झलक दिखा दो लेकिन आप सर्व सम्बन्धों से साथी हो गये-तो इसी खुशी और नशे में रहो कि पाना था सो पा लिया।
स्लोगन:-
व्यर्थ संकल्पों की निशानी है-मन उदास और खुशी गायब।
"मीठे बच्चे - अब तुम नये सम्बन्ध में जा रहे हो, इसलिए यहाँ के कर्मबन्धनी सम्बन्धों को भूल, कर्मातीत बनने का पुरूषार्थ करो''
Aaj baba itna acha baat samjha rahe hai jisse sabhi aatmaye bade aasani se karmatit awashta jo baba ki hui usko prapt ho jayege. Baba kahte hian aab tum naye sambandh me ja rahe ho. Isliye yaha ke karambandhani sambandh ko bhul jao. Aur karmatit awashta ko prapt ho.
प्रश्नः-
बाप किन बच्चों की वाह-वाह करते हैं? सबसे अधिक प्यार किन्हों को देते हैं?
उत्तर:-
बाबा गरीब बच्चों की वाह-वाह करते हैं, वाह गरीबी वाह! आराम से दो रोटी खाना है, हबच (लालच) नहीं। गरीब बच्चे बाप को प्यार से याद करते हैं। बाबा अनपढ़े बच्चों को देख खुश होते हैं क्योंकि उन्हें पढ़ा हुआ भूलने की मेहनत नहीं करनी पड़ती है।
Jo bacche sampuran rup se baba par samarpit ho jate hain. Aur apne sharir ko bhi bhul jate ho. Ekdum garib ban jate hain un baccho ki baba bhi wah wah karte hain. Baba ko garib bache hi pasand hain. Kyo jo bache grib aur anpadh bacche hote hian unko padha hua bhulne ki mehnat nahi karni hoti. Wo bacche ek dum nischay buddhi ho jate hain.
Baba kahte hian ki tumhari padhai puri hui aur pralabdh shuru hui.
Aaj baba ne kha ki maya kisi ko nahi chhodti hain. Maharathiyon ko bhi nahi chhodti hain. Grahchari baithne ka karan hi hai yog me kami.
Baba kahte hain ki dhayan se gyan aacha hai aur gyan se yaad acchi hain.
वरदान:-
साथी और साक्षीपन के अनुभव द्वारा सदा सफलतामूर्त भव
जो बच्चे सदा बाप के साथ रहते हैं वह साक्षी स्वत: बन जाते हैं क्योंकि बाप स्वयं साक्षी होकर पार्ट बजाते हैं तो उनके साथ रहने वाले भी साक्षी होकर पार्ट बजायेंगे और जिनका साथी स्वयं सर्वशक्तिमान् बाप है वे सफलता मूर्त भी स्वत: बन ही जाते हैं। भक्ति मार्ग में तो पुकारते हैं कि थोड़े समय के साथ का अनुभव करा दो, झलक दिखा दो लेकिन आप सर्व सम्बन्धों से साथी हो गये-तो इसी खुशी और नशे में रहो कि पाना था सो पा लिया।
स्लोगन:-
व्यर्थ संकल्पों की निशानी है-मन उदास और खुशी गायब।
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