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एकाग्रता बढ़ाने के लिए क्या करें?

एकाग्रता बढ़ाने के लिए क्या करें? Answer By Rajyogi BK Surya Bhai Jee, Brahma Kumaris



अचानक मेरी एकाग्रता नष्ट हो गयी हैं, मन उखड़ा-उखड़ा सा रहता हैं | न संसार अच्छा लगता हैं, न ये जीवन जीने की इच्छा होती है, सब कुछ छोड़ दूँ | मुझे सत्मार्ग दिखाएँ | 

आप परेशान न हो, आपको अपने चित्त को पुनः स्थिर करना हैं | ये कुछ अभ्यास हैं... आप 15 दिन दृढ़ता पूर्वक अभ्यास करें |

मैं एक श्रेष्ठ आत्मा हूँ... मैं सर्वशक्तिमान का बच्चा हूँ... उसने ही मुझे ये सूंदर जीवन दिया है... मुझे संसार के लिए कुछ महान कार्य करने हैं... मेरे साथ स्वयं भगवान हैं... उसने मुझे वरदान दिया है कि सफलता मेरा जनम सिद्ध अधिकार है... यह जीवन प्रभु सौगात है...मुझे इससे सजाकर रखना हैं | 

यह विचार आपमें नयी शक्ति भरेंगे और आप स्थिर चित्त हो जाएंगे |

ज्यादा जानकारी के लिए अपने नजदीकी ब्रह्माकुमारीज सेंटर पर आये |

प्रतिदिन 25 बार ये अभ्यास करें कि मैं सर्वशक्तिमान की संतान, मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ |



29-12-19 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज: 27-03-85 मधुबन

और विशेष बात यह देखी कि समय प्रति समय परखने की शक्ति में कई बच्चे कमजोर हो जाते हैं। परख नहीं सकते हैं इसलिए धोखा खा लेते हैं। परखने की शक्ति कमजोर होने का कारण है बुद्धि की लगन एकाग्र नहीं है। जहाँ एकाग्रता है वहाँ परखने की शक्ति स्वत: ही बढ़ती है। 

एकाग्रता अर्थात् एक बाप के साथ सदा लगन में मगन रहना। एकाग्रता की निशानी सदा उड़ती कला के अनुभूति की एकरस स्थिति होगी। एक-रस का अर्थ यह नहीं कि वही रफ्तार हो तो एकरस है। एकरस अर्थात् सदा उड़ती कला की महसूसता रहे, इसमें एकरस। जो कल था उससे आज परसेन्टेज में वृद्धि का अनुभव करें। इसको कहा जाता है उड़ती कला। तो स्व उन्नति के लिए, सेवा की उन्नति के लिए परखने की शक्ति बहुत आवश्यक है। 

aaj avyakt murli me baba ne kha ki ekargata ki shakti kam hone se bacche har wa dhokha kha lete hain. Ekargata ki shakti se hamare ander parakhne ke shakti aati hain. Aur ekargata matlab ki aapki lagan ek ke sath ho. 

Ek ki lagan me magan rahna. Apne ko aatma samjh ek baap ko yaad karna. Jaise Brahma Kumaris Shantivan, Mount abu me 104 saal ki dadi janki jee, unhe viswa ki sabse stable mind ki mahila ka award mila. Unke mind ka analysis machine dwara kiya gaya jisme paya gaya ki, unke mind me har second uthne wale number of thoughts bahut hi kam the. 

Isliye kha jata hai ki dadi jee sabse stable mind hai. puri dunia me aisa mind aur nahi. Wo sada ek ki lagan me rahti hain, aur kahti bhi hai, main kaun aur mera kaun. Main aatma, mera parampita paramatma. This is the truth. Rajyogini Dadi janki jee bahut salo se rajyog ka abhyas kar rahi hai. Aur issi ke karan unka mind ki stage yaha tak pahuchi hain.

Toh baba aaj ekagrata par hi bata rahe the. ki Agar mind ekagra ho toh parakhne ki shakti hamari aachi ho jati hain aur ham kisi se dhokha nahi khate.

Finally, Ekagrata badhane ke liye hame rajyoga abhyas ki jarurat hai, jo swami vivekanand bhi kiya karte the aur issi yog ke karan unki ekagrata bahut hi aachi thi.

How To Become Like God: भगवान की तरह कैसे बनें

How To Become Like God?


भगवान की तरह कैसे बनें?

Aaj ki Avyakt Murli me Baba ne kha ki kaise ham Bhagwan ke saman ban sakte hain? Hame kya purusharth karna hai? Sab Baba ne aaj Gyan murli me kha. Ager ham Srimat par chale aur bhagwan ke khe maha vakyon ko follow karen toh ham jarur baap saman ban jayege.

आप श्रेष्ठ आत्माओं का हर दिन, हर समय उत्साह भरा उत्सव है। अज्ञानी आत्मायें स्वयं को उत्साह में लाने के लिए उत्सव मनाते हैं। लेकिन आप श्रेष्ठ आत्माओं के लिए यह ब्राह्मण जीवन उत्साह की जीवन है। उमंग, खुशी से भरी हुई जीवन है इसलिए संगमयुग ही उत्सव का युग है।

Baba Ne Kha bacche aap sab bhagwan ke ati snehi bacche, padmapadam bhagyashali ho jo purushart dwara pavitra ban rahe ho.

Loukik me bhi koi baccha nahi padhta hai toh usse pitai lagti hai tab wo thoda bahut padhta hai. Baba ne kha ki bacche hame jo itne janmo se pap karam kiye hai wo kaise chuktu hoga, yog se ya bhog(punish) dwara. Jab ham yog karte hai toh ek pavitra agni paida hoti hai usme hamare janam janam ke pap bhashm ho jate hain. Ager ham bhagwan ke diye hue srimat ka palan karte hai toh hamara jeevan pavitra banta jata hai aur hame dua milti hai. Ham punyaaatma bante jate hain. 

Mujhe kuch pata nahi tha, jab maine Brahma Kumaris Join kiye aur yaha 7 days ka free course kiya toh mujhe aatma gyan hua aur main bhi purushart karne lag pada. Dunia wale kahte hai ki hame toh sab pata hai, ham bhi toh khub bhakti karte hai. Kya koi parivartan aaya? Geeta me hath rakhkar kasam khate hai ki jo kahege sach kahege sach ke alawa kuch nahi. Lekin bolte kya hai?

Purusharth matlab ham kewal srimat par chalege, rawanmat par nahi. Aur yadi ham aisa karte hai toh ham bhi Bhagwan(Baap) saman bante jate hai aur ham devi-devta ban jate hai. Nar se Narayan aur Nari se Lakshmi.

May you become equal to the Father and become powerful by having the awareness of the highest Father, the highest self and the highest task.

How To Change People's Habit?

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Tulsi Vivah Ka Adhyatmik Rahashya: तुलसी विवाह का आध्यात्मिक रहश्य

Tulsi Vivah Ka Adhyatmik Rahashya: तुलसी विवाह का आध्यात्मिक रहश्य





तुलसी विवाह की कथा तथा आध्यात्मिक रहस्य

प्राचीन ग्रंथों में तुलसी विवाह व्रत की अनेक कथाएं दी हुई हैं। उन कथाओं में से एक कथा निम्न है।

इस कथा के अनुसार एक कुटुम्ब में ननद तथा भाभी साथ रहती थी। ननद का विवाह अभी नहीं हुआ था। वह तुलसी के पौधे की बहुत सेवा करती थी। लेकिन उसकी भाभी को यह सब बिलकुल भी पसन्द नहीं था। जब कभी उसकी भाभी को अत्यधिक क्रोध आता तब वह उसे ताना देते हुए कहती कि जब तुम्हारा विवाह होगा तो मैं तुलसी ही बारातियों को खाने को दूंगी और तुम्हारे दहेज में भी तुलसी ही दूंगी।

कुछ समय बीत जाने पर ननद का विवाह पक्का हुआ। विवाह के दिन भाभी ने अपनी कथनी अनुसार बारातियों के सामने तुलसी का गमला फोड़ दिया और खाने के लिए कहा। तुलसी की कृपा से वह फूटा हुआ गमला अनेकों स्वादिष्ट पकवानों में बदल गया। भाभी ने गहनों के नाम पर तुलसी की मंजरी से बने गहने पहना दिए। वह सब भी सुन्दर सोने–जवाहरात में बदल गए। भाभी ने वस्त्रों के स्थान पर तुलसी का जनेऊ रख दिया। वह रेशमी तथा सुन्दर वस्त्रों में बदल गया। ननद की ससुराल में उसके दहेज की बहुत प्रशंसा की गई। यह बात भाभी के कानों तक भी पहुंची। उसे बहुत आश्चर्य हुआ। उसे अब तुलसी माता की पूजा का महत्व समझ आया। भाभी की एक लड़की थी। 

वह अपनी लड़की से कहने लगी कि तुम भी तुलसी की सेवा किया करो। तुम्हें भी बुआ की तरह फल मिलेगा। वह जबर्दस्ती अपनी लड़की से सेवा करने को कहती लेकिन लड़की का मन तुलसी सेवा में नहीं लगता था। लड़की के बडी़ होने पर उसके विवाह का समय आता है। तब भाभी सोचती है कि जैसा व्यवहार मैने अपनी ननद के साथ किया था वैसा ही मैं अपनी लड़की के साथ भी करती हूं तो यह भी गहनों से लद जाएगी और बारातियों को खाने में पकवान मिलेंगें। ससुराल में इसे भी बहुत इज्जत मिलेगी। 

यह सोचकर वह बारातियों के सामने तुलसी का गमला फोड़ देती है। लेकिन इस बार गमले की मिट्टी, मिट्टी ही रहती है। मंजरी तथा पत्ते भी अपने रुप में ही रहते हैं। जनेऊ भी अपना रुप नहीम बदलता है। सभी लोगों तथा बारातियों द्वारा भाभी की बुराई की जाती है। लड़की के ससुराल वाले भी लड़की की बुराई करते हैं।भाभी कभी ननद को नहीं बुलाती थी। भाई ने सोचा मैं बहन से मिलकर आता हूँ। उसने अपनी पत्नी से कहा और कुछ उपहार बहन के पास ले जाने की बात कही। 

भाभी ने थैले में ज्वार भरकर कहा कि और कुछ नहीं है तुम यही ले जाओ। वह दुखी मन से बहन के पास चल दिया। वह सोचता रहा कि कोई भाई अपने बहन के घर ज्वार कैसे ले जा सकता है। यह सोचकर वह एक गौशला के पास रुका और जुवार का थैला गाय के सामने पलट दिया। तभी गाय पालने वाले ने कहा कि आप गाय के सामने हीरे-मोती तथा सोना क्यों डाल रहे हो। भाई ने सारी बात उसे बताई और धन लेकर खुशी से अपनी बहन के घर की ओर चल दिया। दोनों बहन-भाई एक-दूसरे को देखकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं।

उपरोक्त कथा हमें शिक्षा देती है कि हम जैसे कर्म का बीज बोएँगे, हमें वैसा ही फल मिलेगा। अगर हम श्रेष्ठ कर्म करेंगे, तो अवश्य ही हमें फल भी श्रेष्ठ प्राप्त होगा, जबकि यदि हम बुरा कर्म करेंगे, तो हमें फल भी बुरा ही मिलेगा।

उपरोक्त कथा हमें ईर्ष्या, किसी के बारे में बुरा सोचना आदि दुर्गुणों से ऊपर उठकर सत्कर्म करने की प्रेरणा देती है।

✳अतः
यदि हम वर्तमान धरमौ, कल्याणकारी, पुरुषोत्तम संगम युग में, जबकि परमात्मा शिव इस धरती पर आकर हमें सहज राजयोग के द्वारा मनुष्य से देवता बनने की श्रीमत् दे रहे हैं कि हम अपने को आत्मा समझ कर उन्हे याद कर संपूर्ण पावन और देवता अर्थात दैवी गुणों वाला मनुष्य बनें तो हमें उपरोक्त कथा अनुसार ननद के समान आने वाली स्वर्गिक दुनिया - सतयुग में सर्व सुखों से संपन्न होंगे।

🌱आप सभी को तुलसी विवाह के शुभ अवसर की बहुत-बहुत बधाई हो।

💓 से ओम शान्ति 🌹

About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.