Brahma Kumaris Murli Manthan 17 June 2020
"मीठे बच्चे - याद में रहो तो दूर होते भी साथ में हो, याद से साथ का भी अनुभव होता है और विकर्म भी विनाश होते हैं''
Baba kahte hai mithe bacche jo bachhe sadaiw yaad me hai unke sath baba hamesha sath me hain. Yaad me nahi toh baap ka sath mahsus nahi karege. Isliye baap ko hamesha sath rakhna hai toh baap ki yaad hamesha bani rahe. Baap ka hath hamesha pakad kar rakhna hai. Tab maya aa nahi sakti.
प्रश्नः-
दूरदेशी बाप बच्चों को दूरांदेशी बनाने के लिए कौन-सा ज्ञान देते हैं?
उत्तर:-
आत्मा कैसे चक्र में भिन्न-भिन्न वर्णों में आती है, इसका ज्ञान दूरांदेशी बाप ही देते हैं। तुम जानते हो अभी हम ब्राह्मण वर्ण के हैं इसके पहले जब ज्ञान नहीं था तो शूद्र वर्ण के थे, उसके पहले वैश्य..... वर्ण के थे। दूरदेश में रहने वाला बाप आकर यह दूरांदेशी बनने का सारा ज्ञान बच्चों को देते हैं।
Baba ne kha mithe bacche, log pralay ko bat karte hai, ki yeh dunia puri khatam ho jayegi. Yeh toh baat wrong ho jati hain. Dunia parivartan hoti hai, natural calamities aati hai, iska matlab yeh nahi ki puri dunia hi khatam ho jayegi. Yeh dunia parivartan hoti hain. Purani se nayi, tamopradhan se satopradhan, patit se pavan, narak se swarg hoti hain. Jisse swayang bhagwan apne baccho ke sahyog se banate hain. Yeh dunia bilkul tamopradhan ho jati hain. Tab bhagwan ko aana hota hain iss dunia ko phir se pavan(swarg) banane.
ईश्वरीय ख़ज़ाने की कंडीशन है ,जितना औरों को देंगे ,जितना कार्य मे लगाएंगे उतना बढ़ेगा।
जब बच्चे बिल्कुल खाली हो जाते है ,न तन की ,न मन की ,न धन की शक्ति होती है ,तब बाप आते है । तन की शक्ति से खाली ,इसका यादगार शिव की बारात कैसी दिखाई है ? मन की शक्ति की निशानी है ,सदा की पुकार की यादगार। धन से खाली की निशानी है ,जो थोडा बहुत सोना भी रहा है उस पर गवर्मेंट की आँख है ,डर डर के सब पहनते है। धन है भी तो उसे काला धन कहते है।
सिर्फ सुदामा के सूखे चावल रह जाते है तब बाप आते है। सूखे चावल खाने से तो नुकसान हो जाएगा। सूखे चावल देते हो तो सर्व - शक्तियाँ , सर्वगुण ,सर्व ख़ज़ाने प्राप्त होते हैं। मिट्टी की स्मृति रहती है जब बाप के पास आते हो ,मिट्टी वाले चावल लाते हो। अब ज्ञान रत्नो से खेलो अर्थात यूज़ करो तो लेना और देना का श्रेष्ठ सौदा सदा ही चलता रहेगा।
(अव्यक्त बापदादा )
Baba kahte hain, ek baap ko yaad karte raho, yahi vashikaran manta hai, jab ham rawan ko vash kar sakte hain. Maya par jeet pa sakte hain. Har ghadi apne ko aatma samjho.
Ham lakshmi-narayan ki puja kiya karte the aur aab ham wo khud hi ban rahe hai.
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जीते जी देह-अभिमान से गलने का पुरूषार्थ करना है। इस पुरानी जुत्ती में ज़रा भी ममत्व न रहे।
2) सच्चा ब्राह्मण बन कीड़ों पर ज्ञान की भूँ-भूँ कर उन्हें आप समान ब्राह्मण बनाना है।
वरदान:-
होपलेस में भी होप पैदा करने वाले सच्चे परोपकारी, सन्तुष्टमणी भव
त्रिकालदर्शी बन हर आत्मा की कमजोरी को परखते हुए, उनकी कमजोरी को स्वयं में धारण करने या वर्णन करने के बजाए कमजोरी रूपी कांटे को कल्याणकारी स्वरूप से समाप्त कर देना, कांटे को फूल बना देना, स्वयं भी सन्तुष्टमणी के समान सन्तुष्ट रहना और सर्व को सन्तुष्ट करना, जिसके प्रति सब निराशा दिखायें, ऐसे व्यक्ति वा ऐसी स्थिति में सदा के लिए आशा के दीपक जगाना अर्थात् दिलशिकस्त को शक्तिवान बना देना-ऐसा श्रेष्ठ कर्तव्य चलता रहे तो परोपकारी, सन्तुष्टमणि का वरदान प्राप्त हो जायेगा।
स्लोगन:-
परीक्षा के समय प्रतिज्ञा याद आये तब प्रत्यक्षता होगी।
"मीठे बच्चे - याद में रहो तो दूर होते भी साथ में हो, याद से साथ का भी अनुभव होता है और विकर्म भी विनाश होते हैं''
Baba kahte hai mithe bacche jo bachhe sadaiw yaad me hai unke sath baba hamesha sath me hain. Yaad me nahi toh baap ka sath mahsus nahi karege. Isliye baap ko hamesha sath rakhna hai toh baap ki yaad hamesha bani rahe. Baap ka hath hamesha pakad kar rakhna hai. Tab maya aa nahi sakti.
प्रश्नः-
दूरदेशी बाप बच्चों को दूरांदेशी बनाने के लिए कौन-सा ज्ञान देते हैं?
उत्तर:-
आत्मा कैसे चक्र में भिन्न-भिन्न वर्णों में आती है, इसका ज्ञान दूरांदेशी बाप ही देते हैं। तुम जानते हो अभी हम ब्राह्मण वर्ण के हैं इसके पहले जब ज्ञान नहीं था तो शूद्र वर्ण के थे, उसके पहले वैश्य..... वर्ण के थे। दूरदेश में रहने वाला बाप आकर यह दूरांदेशी बनने का सारा ज्ञान बच्चों को देते हैं।
Baba ne kha mithe bacche, log pralay ko bat karte hai, ki yeh dunia puri khatam ho jayegi. Yeh toh baat wrong ho jati hain. Dunia parivartan hoti hai, natural calamities aati hai, iska matlab yeh nahi ki puri dunia hi khatam ho jayegi. Yeh dunia parivartan hoti hain. Purani se nayi, tamopradhan se satopradhan, patit se pavan, narak se swarg hoti hain. Jisse swayang bhagwan apne baccho ke sahyog se banate hain. Yeh dunia bilkul tamopradhan ho jati hain. Tab bhagwan ko aana hota hain iss dunia ko phir se pavan(swarg) banane.
ईश्वरीय ख़ज़ाने की कंडीशन है ,जितना औरों को देंगे ,जितना कार्य मे लगाएंगे उतना बढ़ेगा।
जब बच्चे बिल्कुल खाली हो जाते है ,न तन की ,न मन की ,न धन की शक्ति होती है ,तब बाप आते है । तन की शक्ति से खाली ,इसका यादगार शिव की बारात कैसी दिखाई है ? मन की शक्ति की निशानी है ,सदा की पुकार की यादगार। धन से खाली की निशानी है ,जो थोडा बहुत सोना भी रहा है उस पर गवर्मेंट की आँख है ,डर डर के सब पहनते है। धन है भी तो उसे काला धन कहते है।
सिर्फ सुदामा के सूखे चावल रह जाते है तब बाप आते है। सूखे चावल खाने से तो नुकसान हो जाएगा। सूखे चावल देते हो तो सर्व - शक्तियाँ , सर्वगुण ,सर्व ख़ज़ाने प्राप्त होते हैं। मिट्टी की स्मृति रहती है जब बाप के पास आते हो ,मिट्टी वाले चावल लाते हो। अब ज्ञान रत्नो से खेलो अर्थात यूज़ करो तो लेना और देना का श्रेष्ठ सौदा सदा ही चलता रहेगा।
(अव्यक्त बापदादा )
Baba kahte hain, ek baap ko yaad karte raho, yahi vashikaran manta hai, jab ham rawan ko vash kar sakte hain. Maya par jeet pa sakte hain. Har ghadi apne ko aatma samjho.
Ham lakshmi-narayan ki puja kiya karte the aur aab ham wo khud hi ban rahe hai.
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जीते जी देह-अभिमान से गलने का पुरूषार्थ करना है। इस पुरानी जुत्ती में ज़रा भी ममत्व न रहे।
2) सच्चा ब्राह्मण बन कीड़ों पर ज्ञान की भूँ-भूँ कर उन्हें आप समान ब्राह्मण बनाना है।
वरदान:-
होपलेस में भी होप पैदा करने वाले सच्चे परोपकारी, सन्तुष्टमणी भव
त्रिकालदर्शी बन हर आत्मा की कमजोरी को परखते हुए, उनकी कमजोरी को स्वयं में धारण करने या वर्णन करने के बजाए कमजोरी रूपी कांटे को कल्याणकारी स्वरूप से समाप्त कर देना, कांटे को फूल बना देना, स्वयं भी सन्तुष्टमणी के समान सन्तुष्ट रहना और सर्व को सन्तुष्ट करना, जिसके प्रति सब निराशा दिखायें, ऐसे व्यक्ति वा ऐसी स्थिति में सदा के लिए आशा के दीपक जगाना अर्थात् दिलशिकस्त को शक्तिवान बना देना-ऐसा श्रेष्ठ कर्तव्य चलता रहे तो परोपकारी, सन्तुष्टमणि का वरदान प्राप्त हो जायेगा।
स्लोगन:-
परीक्षा के समय प्रतिज्ञा याद आये तब प्रत्यक्षता होगी।
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