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Brahma Kumaris Murli Manthan 04-05-2020

Brahma Kumaris Murli Manthan 04-05-2020


"मीठे बच्चे - अपना स्वभाव बाप समान इज़ी बनाओ, तुम्हारे में कोई घमण्ड नहीं होना चाहिए, ज्ञान-युक्त बुद्धि हो, अभिमान न हो”

प्रश्नः-

सर्विस करते हुए भी कई बच्चे बेबी से भी बेबी हैं - कैसे?

उत्तर:-

कई बच्चे सर्विस करते रहते हैं, दूसरों को ज्ञान सुनाते रहते हैं लेकिन बाप को याद नहीं करते। कहते हैं बाबा याद भूल जाती है। तो बाबा उन्हें बेबी से भी बेबी कहता क्योंकि बच्चे कभी बाप को भूलते नहीं, तुम्हें जो बाप प्रिन्स-प्रिन्सेज़ बनाता, उसे तुम भूल क्यों जाते? अगर भूलेंगे तो वर्सा कैसे मिलेगा। तुम्हें हाथों से काम करते भी बाप को याद करना है।

Mujh Aatma Ka Murli Manthan

Atma sharir ke dwara kahti hai na, hey bhagwan. Jab aatma pareshan ho jati hai aur ulta, aur galat karam karne lag jati hai. Toh Hey bhagwan kahkar pukarne lag jati hai. Aatma me shakti ki kami ki wajah se wo nasha karne lag jata hai. Ek dusre ko dukh dene lag jata hai. Uske kaam krodh, lobh, moh, ahankar namak dimak lag jata hai. Bhagwan kahte hai main aata hu tumeh naha kar, dhokar patit se pawan banata hu. Phir tumeh le jata hu ghar. 

Bhagwan kahte hai mithe bacche, tum itna gyan sunte ho. Gyan toh bahut easy hai, mehnat kisme hai? mehnat hai yog me, yaad me. Isliye yaad ko chart ko badhane ki mehnat karo. 

Phir baba bole, ki bacche deh ko bhulo aur apne aatma ko yaad karo. Issi me mehnat hai. Isliye yeh 2 mehnat karo. Khub mehnat karo in dono chizo me. Baba ko yaad karo. Koi bhi kuch bole toh naraj kyo ho jate hao. Deh abhiman m aa jate hai isliye. Kam karte hue baba ko yaad karo.

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) एम ऑब्जेक्ट को सामने रख खुशी में रहना है। कभी दिलहोल (दिलशिकस्त) नहीं बनना है - यह ख्याल कभी न आये कि सब थोड़ेही राजा बनेंगे। पुरूषार्थ कर ऊंच पद पाना है।

2) मोस्ट बिलवेड बाप को बड़े प्यार से याद करना है, इसमें बेबी नहीं बनना है। याद के लिए सवेरे का टाइम अच्छा है। आराम से शान्ति में बैठ याद करो।

वरदान:-

एकता और एकाग्रता की विशेषता द्वारा निरव्यर्थ और निर्विकल्प स्थिति बनाने वाले सफलता स्वरूप भव

बापदादा को प्रत्यक्ष करने के कार्य में सफलता का वरदान प्राप्त करने के लिए सदा एक बनकर एक को प्रत्यक्ष करना। एकता की एक अंगुली ही सहयोग की निशानी दिखाई है और एकाग्रता अर्थात् सदा निरव्यर्थ संकल्प और निर्विकल्प स्थिति द्वारा ही सफलता गले का हार बन जाती है। लेकिन इसके लिए सदा यही स्लोगन याद रहे कि न समस्या स्वरूप बनेंगे न समस्या को देख डगमग होंगे। सदा समाधान स्वरूप रहेंगे।

स्लोगन:-


बापदादा की छत्रछाया के नीचे रहो तो माया की छाया पड़ नहीं सकती।



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About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.