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आत्मा की उन्नति के 100 तरीके || 100 ways to progress the soul

आत्मा की उन्नति के 100 तरीके


1. सदा याद की यात्रा पर रहो। 
2. कभी भी बीती को याद नहीं करो। 
3. आगे के लिए कोई आश न रखो। 
4. शरीर निर्वाहार्थ कर्म करो, टाइम वेस्ट नहीं करो।
5. कम से कम 8 घण्टा ईश्वरीय सेवा करो।
6. ज्ञान की बारिश में भीगते रहो।
7. ज्ञान-योग में आत्मा को डूबो कर रखो।
8. अशरीरी बनने की प्रैक्टिस करते रहो।
9. स्वदर्शन चक्र बुद्धि में घूमता रहे।
10. बाप की महिमा के गीत गाते रहो।
11. अपने को आत्मा निश्चय करो।
12. स्वर्ग को याद करते रहो।
13. शान्तिधाम को याद करते रहो।
14. परमात्मा से मिलन मनाते रहो।
15. ज्ञान स्नान करते रहो।
16. बुद्धियोग बाप के साथ लगाओ।
17. आशिक बन प्रभू माशूक के साथ रहो। 
18. परमात्म पढ़ाई पढऩे की मस्ती में रहो।
19. निर्वाणधाम का अनुभव करते रहो।
20. दधीचि ऋर्षि मिसल यज्ञ सेवा करते रहो।
21. बाबा का संदेश देते रहो।
22. बाबा के मिलन को याद करते रहो।
23. जीते जी मरने की मौज में रहो।
24. घर लौटने की खुशी में रहो।
25. देही-अभिमानी बनकर रहो।
26. बाप के सम्मुख बैठे रहो।
27. देवी-देवता बनने की खुशी में रहो।
28. रूहानी पथ पर चलते रहो।
29. दफ्तर में भी याद करते रहो।
30. देखो फुर्सत है, बाप की याद में बैठ जाओ।
31. याद में बहुत कमाई है, उन्नति है।
32. ट्रेन में सफर करते हो तो भी बाबा को याद करते रहो। 
33. शाम को घर का खाना आदि पकाते हो तो भी एक-दो को याद दिलाओ-आओ, हम अपने बाप की याद में बैठें। 
34. प्वाइंट भी एक-दो को सुनाओ। 
35. हम स्वदर्शन चक्रधारी, लाइट हाउस हैं इसी खुशी में रहो।
36. बहुत गुल-गुल महारानी, पटरानी बनेंगे - इस समृति में रहो।
37. सात रोज़ की भट्टी करो।
38. कदम-कदम पर बाप से राय लेते रहो। 
39. अपनी कुटिया में भी खुश रहो।
40. अनावश्यक इच्छायें छोड़ दो।
41. दो रोटी मिली, बस, बाप को याद करो।
42. वैकुण्ठ की बादशाही की खुशी में रहो।
43. अपने यादगार मंदिर की खुशी में रहो।
44. ज्ञान धन दान करते रहो।
45. ज्ञान की बातों में रमण करते रहो।
46. सुप्रीम रूह से स्वयं को रिझाते रहो।
47. 84 जन्मों की हिस्ट्री-जॉग्राफी को याद करो।
48. पाँच स्वरूपों की ड्रिल करते रहो।
49. तीनों लोकों की सैर करो।
50. ज्ञान का नेत्र खुला रखो।
51. सदा सेवा में उपस्थित रहो। 
52. खूब पुरुषार्थ करते रहो।
53. बाप को याद, प्यार नमस्ते करते रहो।
54. श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर रहो।
55. सर्व को सम्मान देते रहो।
56. सम्मान देकर उमंग-उल्हास में रहो।
57. सर्व प्राप्तियों की समृति में रहो।
58. एक बाप की सच्ची मुहब्बत में रहो।
59. अपने आपसे रूह-रिहान करते रहो। 
60. किसी भी चीज़ में आसक्ति न हो। 
61. ज्ञान का मनन चिन्तन करते रहो।
62. कर्म करते बाप को याद करते रहो।
63. खाना आदि खाते भी बाप को याद करो। 
64. परमात्मा के साथ सर्व सम्बन्ध जोड़ लो।
65. तकलीफ सहन करते भी याद करो।
66. भ्रकुटी सिहांसन पर बैठो रहो।
67. अपने पूज्य स्वरूप की स्मृति में रहो।
68. रूहानी खुमारी में रहो।
69. ड्रामा को साक्षी हो देखते रहो।
70. पुरानी दुनिया से किनारे रहो।
71. बहुत-बहुत-बहुत लव से याद करो।
72. सदा सुहागिन बन कर रहो।
73. बाप के गले में पड़े रहो।
74. पुराने संस्कारो का संस्कार कर दो 
75. अपने सारे बोझ बाप को सौंप दो।
76. आंखों को शीतल बना दो।
77. सदा महावीर बनकर रहो।
78. सदा ड्रामा पर अटल रहो।
79. किसी से कोई शिकायत न करो।
80. पवित्रता के वायब्रेशन फैलाते रहो।
81. सबका धन्यवाद करते रहो।
82. बाप जैसा गुणवान बनो।
83.  मुसीबत में भी मुस्कराते रहो।
84. बापदादा की छत्रछाया में रहो।
85. मायावी कागजी शेर को चींटी समझ मार दो।
86. सदा बेफिकर बादशाह बनकर रहो।
87. मनसा साकाश देते रहो।
88. बापदादा के नयनों में समाए रहो।
89. मस्तक से बाप का साक्षात्कार कराते रहो।
90. सदा अव्यक्त स्थिति में रहो।
91. फरिश्ता बन कर सकाश देते रहो।
92. बाप समान अपकारी पर भी उपकार करो।
93. सबकी दुआयें जमा करते रहो।
94. बाप की याद में टाइम सफल करो। 
95. अज्ञान नींद से सदा जागते रहो।
96. सबको बहुत नम्रता प्यार से समझाते रहो।
97. प्रेमपूर्वक पवित्रता के सागर में समाये रहो।
98. अपने स्वीटहोम लौटने की खुशी में रहो।
99. संकल्प शक्ति को जमा करते रहो।
100. यज्ञ की बड़े प्यार से सम्भाल करते रहो।

ओम शान्ति                  

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About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.