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अपवित्रता क्या हैं?

अपवित्रता क्या हैं?


Mithe Pyare Baba kahte hai ki mithe bacche, Kisi ke prati buri drishti rakhna, bura sochna, bura karna, bura bolna sab apavitrata hai. Pavitrata ki badi suksham paribhasha hain. Kewal brahmacharya me rahna hi pavitrata nahi hai. Brahmacharya toh bahut sadhu sanyashi bhi rahte hai. 

Baba ne kha ki bacche, ek baap(bhagwan) ke siway kisi ki bhi nahi sunna hai. Hear no evil. Agar baba(bhagwan) ke alawa kisi ki sunte hai wo sab evil baate hain. 

Sabse bada vikar hai yeh kaam vikar jo sabse badi apavitrata. Vikar me jana(kaam vikar ke vash hona) is the greatest impurity, hinsa hai. Kam vikar sabse badi hinsa hain. Isse badi hinsa koi nahi. 

Apavitrata bahut hi gandi bimari vikar hai. Isliye pukarte hai hey patit pawan(bhagwan) aao aakar ham aatmaye(jo patit, apavitra ban chuke hain) pawan banao. Patit pawan sita raam gaya jata hain. Vishya vikar mithao pap haro deva bhi aarti me gate hain.


पवित्रता का महत्व

जहाँ सम्पूर्ण पवित्रता है केवल वहीँ असीम शांति है, परम् सुख है, परमानन्द है।
जहाँ अपवित्रता है वहाँ देह का भोग विलास है, उत्तेजना है, स्वार्थ है, ढोंग है, पाखण्ड है, नकली सुख और असली दुःख का डेरा है।

जहाँ पवित्रता है वहाँ शक्ति है, वहाँ निर्भयता है, साहस है, वीरता है।
जहाँ अपवित्रता है वहाँ निर्बलता है, भय है, शंका है, असुरक्षा है।

जहाँ पवित्रता है वहाँ सम्मान है, श्रद्धा है।
जहाँ अपवित्रता है वहाँ असम्मान है, अपमान है, अंधश्रद्धा है, अहंकार है, गलतफहमी है, बेसमझी है।

जहाँ पवित्रता है वहाँ सत्यज्ञान है, समझ है, रौशनी है, उजियारा है।
जहाँ अपवित्रता है वहाँ अज्ञान है, अंद्धकार है, झूट है, अफवाहें है।

जहाँ पवित्रता है वहाँ क्षमा भाव है, प्रेम है, दया भाव है, दुया है।
जहाँ अपवित्रता है वहाँ प्रतिशोध स्पृहा है, काम है, मोह है, बद्दुया है, श्राप है।

जहाँ पवित्रता है वहाँ भाईचारा है।
अपवित्रता है वहाँ लड़ाई है, मैपन है।

जहाँ पवित्रता है वहाँ आदर्श है, दृढ़ता है, परहेज़ है।
जहाँ अपवित्रता है वहाँ अल्वेलापन है, लापरवाही है, आलस्य है।

जहाँ पवित्रता है वहाँ दिव्यता है, सभ्यता है, शालीनता है।
जहाँ अपवित्रता है वहाँ बेशर्मी है, निर्लज्जता है, शरीर का प्रदर्शन है, असभ्यता है।

जहाँ पवित्रता है वहाँ ईश्वर है।
जहाँ अपवित्रता है वहाँ माया है, रावण है।

जहाँ पवित्रता है वहाँ कमल है।
जहाँ अपवित्रता है वहाँ कीचड़ है।

जहाँ पवित्रता है वहाँ आत्मा का सुगन्ध (दिव्यगुण) है।
जहाँ अपवित्रता है वहाँ देह का दुर्गंध (रिपु वा विकार) है।

जहाँ पवित्रता है उस बुद्धि में सोच रहता है कि अरे ईश्वर क्या सोचेंगे...!!
और
जहाँ अपवित्रता है उस बुद्धि में सोच चलता है कि आखिर लोग क्या सोचेंगे...!!

जहाँ पवित्रता है वहाँ ईश्वर का हाथ है।
जहाँ अपवित्रता है वहाँ माया का लात है।

जहाँ  सम्पूर्ण पवित्रता है वहाँ स्वर्ग है, सतयुग है।
जहाँ सम्पूर्ण अपवित्रता है वहाँ नर्क है, कलियुग है।


     ओम शान्ति

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About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.