Brahma Kumaris Murli Manthan 31 July 2020
"मीठे बच्चे - यह वन्डरफुल पाठशाला है जिसमें तुम पढ़ने वाली आत्मा भी देखने में नहीं आती तो पढ़ाने वाला भी दिखाई नहीं देता, यह है नई बात''
Baba kahte apne baccho se, baba roj aate hain apne mithe mithe baccho ko vardan dene, apne bacho ko sukhi banane. Baba apne baccho se milne aate hai, dukhi ko sukhi banane, tamopradhan se satopradhan banane. Baba kahe mithe bache, yah wonderful pathshala hai, jisme padhane wale bhi dekhne me nhi aate, aur padhne wale bhi dekhne me nhi aate. Yeh sab nayi bate hain, gupt hai, bada pavitra buddhi wala hi samajh sakta hain. Ham sab parampita parmatma ki santan, jaise aatma dikhai nahi deti, waise parmatma bhi dikhai nahi dete. Ham unko buddhi se anubhaw kar sakte hain. Yeh pathshala bada hi wonderful hain. Yaha koi bhi aise nahi aa sakta hain. Jo kalp pehle aaye honge wahi aayege.
प्रश्नः-
इस पाठशाला में तुम्हें मुख्य शिक्षा कौन-सी मिलती है जो और कोई पाठशाला में नहीं दी जाती?
उत्तर:-
यहाँ बाप अपने बच्चों को शिक्षा देते हैं - बच्चे, अपनी कर्मेन्द्रियों को वश में रखना। कभी भी किसी बहन पर बुरी दृष्टि न हो। तुम आत्मा रूप में भाई-भाई हो और प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे बहन-भाई हो। तुम्हें बुरे ख्यालात कभी नहीं आने चाहिए। ऐसी शिक्षा इस युनिवर्सिटी के सिवाए कहीं भी नहीं दी जाती।
Aisi pathshala mujh aatma ne kahi nahi dekha jaha karamindriyon ko vash karne ki baat hogi. Yaha baba kahte hain, sabse jyada dhokha dene wali yeh aankhe hain, isse hame bada attention dena hain. Subah subah amritvela hota hai hame baba se vardan lene ka jjise hamari vriti change hoti hain. Uss samay ko ham ache se use kare toh hamari sari karam indriyan shital ho jayegi. Aaj tin din se lagatar baba ham baccho ko vardan de rahe hain jisme aankho ko parivartan karne ki baat hain. Ham yog bhi aankh khol kar hi karna hai, in aankho se dekhte hue bhi nahi dekhna hain aur buddhi rupi aankh se hame ek shiv baba ko hi yaad karna hain. Aisi pathshala dekhi hai kahi. Baba kahte hain inn aankho ko hame kamal nayan banana hain aur khyalatao ko bhi kamal jaisa banana hain, mukh ko bhi kamal mukh banana hain. Aisa gyan pure sansar me kahi nahi diya jata hain, sirf yeh gyan issi university me hi diya jata hain.
गीत:-
दूर देश का रहने वाला.......
【31】●【07】●【20】
की मुरली से
✦ चारों सब्जेक्ट्स के ✦
═════✩ मुख्य बिंदु ✩═════
✦✦✦✧✧✧✧✦✦✦✧✧✧✧✦✦✦
══════✩ ज्ञान ✩══════
✎..❶ यह वंडरफुल पाठशाला है जिसमें तुम पढ़ने वाली आत्माएं भी देखने में नहीं आती , तो पढ़ाने वाला भी दिखाई नहीं देता l यह है नई बात l
✎..❷ आत्मा दूर देश से आकर शरीर में प्रवेश करती है l
✎..❸ परमपिता परमात्मा भाग्यशाली रथ (भागीरथ) में आते है l
✎..❹ अब तुम बच्चे जागे हुए हो l दुनिया के मनुष्य सब सोए हुए है l
✎..❺ तुम बच्चों को इस नॉलेज में बिझी रहना है l
✎..❻ वास्तव में कोई अंधे सूरदास हो तो ज्ञानको अच्छा उठा सकते है l क्योंकि धोखा देने वाली आंखें नहीं है l
✎..❼ मूलवतन में तो कोई खेल नहीं होता है l वह तो है अपना घर l वहां सब आत्माएं रहती है l
✎..❽ यह महाराजा-महारानी बनने के लिए नॉलेज है l नर से नारायण बनने की सच्ची सच्ची कथा तुम सच्चे भगवान से सुनते हो l
══════✩ योग ✩══════
✎..❶ घड़ी घड़ी अपने को आत्मा समझ बापको याद करना है l वही हमारा टीचर भी है , गुरु भी है l
✎..❷ जितना याद में रहेंगे उतना तमो- प्रधान से तमो , रजो में आते जाएंगे और खुशी भी होगी l सुख भी इतना फील होगा l
✎..❸ जितना याद करेंगे ऊतनी ऊंच चढ़ती कला होगी l
✎..❹ मंजिल बहुत ऊंची है l बापकी याद में सेंसिबुल हो रहना है l
✎..❺ सतयुग में शरीर योग बल से मिलता है l
══════✩ धारणा ✩══════
✎..❶ इस पाठशाला में बाप अपने बच्चों को शिक्षा देते है - बच्चे अपनी कर्मेंद्रियों को वश में रखना l कभी भी किसी बहन पर बुरी दृष्टि न हो l तुम आत्मा रुप में भाई-भाई हो , और प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे भाई-बहन हो l
✎..❷ आत्मा अंदर सुनती है l धारण करती है l निश्चय होता जाता है l
✎..❸ इस संगम पर पुरुषार्थी बनने के लिए यह एक ही सत का संग होता है l
✎..❹ सत का संग तारे l कुसंग बोरे l सामने दुश्मन है माया l शिवबाबा है मित्र l
✎..❺ इस सत्संग में है पवित्रता की मेहनत l जिससे ही हंगामा हुआ l
✎..❻ कृष्ण में कशिश बहुत है l सतो- प्रधान है न ! तमो से रजो , सतो में आते जाएंगे तो ताकत , खुशी , धारणा बढ़ती जाएगी l इस समय तुम्हारी चढ़ती कला है l
✎..❼ तुम फटसे 5 विकारों का दान दे नहीं सकते हो l आंखें भी कितना धोखा देती है ! ऊंच पद पाना है तो मेहनत करनी है l पवित्र बनो l
✎..❽ बच्चों को समझना है हम गॉडफादर के बच्चे है l तो आपस में बहन-भाई हो गए l फिर बुरी दृष्टि क्यों रखते है ?
✎..❾ मुख भी म्याऊं-म्याऊं तब करता है , जब आंखों से चीज देखते है l दिल होती है यह खाऊं l इसलिए कर्मेंद्रियों पर जीत पानी है l
══════✩ सेवा ✩══════
✎..❶ तुम बच्चों को समझाने की अथॉरिटी है l
✎..❷ तुम्हारे पासमें इस ब्राह्मण कुल के होंगे वह आते रहेंगे l इसलिए तुम प्रदर्शनी आदि करते हो l यहां का फूल होगा तो आएगा जरूर l यह झाड़ बढ़ता जाता है l
✎..❸ नोलेज तो बहुत सुनाते है , परंतु चलन भी पवित्रता की हो l
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) पवित्रता की चलन अपनानी है। बुरी दृष्टि, बुरे ख्यालात समाप्त करने के लिए अपने को इन कर्मेन्द्रियों से न्यारा आत्मा समझना है।
2) आपस में रूहानी कनेक्शन रखना है, ब्लड कनेक्शन नहीं। अपना अमूल्य टाइम और मनी वेस्ट नहीं करना है। संगदोष से अपनी बहुत-बहुत सम्भाल करनी है।
वरदान:-
ब्रह्म-महूर्त के समय वरदान लेने और दान देने वाले बाप समान वरदानी, महादानी भव
ब्रहम महूर्त के समय विशेष ब्रह्मलोक निवासी बाप ज्ञान सूर्य की लाईट और माइट की किरणें बच्चों को वरदान रूप में देते हैं। साथ-साथ ब्रह्मा बाप भाग्य विधाता के रूप में भाग्य रूपी अमृत बांटते हैं सिर्फ बुद्धि रूपी कलष अमृत धारण करने योग्य हो। किसी भी प्रकार का विघ्न या रूकावट न हो, तो सारे दिन के लिए श्रेष्ठ स्थिति वा कर्म का महूर्त निकाल सकते हो क्योंकि अमृतवेले का वातावरण ही वृत्ति को बदलने वाला होता है इसलिए उस समय वरदान लेते हुए दान दो अर्थात् वरदानी और महादानी बनो।
स्लोगन:-
क्रोधी का काम है क्रोध करना और आपका काम है स्नेह देना।
"मीठे बच्चे - यह वन्डरफुल पाठशाला है जिसमें तुम पढ़ने वाली आत्मा भी देखने में नहीं आती तो पढ़ाने वाला भी दिखाई नहीं देता, यह है नई बात''
Baba kahte apne baccho se, baba roj aate hain apne mithe mithe baccho ko vardan dene, apne bacho ko sukhi banane. Baba apne baccho se milne aate hai, dukhi ko sukhi banane, tamopradhan se satopradhan banane. Baba kahe mithe bache, yah wonderful pathshala hai, jisme padhane wale bhi dekhne me nhi aate, aur padhne wale bhi dekhne me nhi aate. Yeh sab nayi bate hain, gupt hai, bada pavitra buddhi wala hi samajh sakta hain. Ham sab parampita parmatma ki santan, jaise aatma dikhai nahi deti, waise parmatma bhi dikhai nahi dete. Ham unko buddhi se anubhaw kar sakte hain. Yeh pathshala bada hi wonderful hain. Yaha koi bhi aise nahi aa sakta hain. Jo kalp pehle aaye honge wahi aayege.
प्रश्नः-
इस पाठशाला में तुम्हें मुख्य शिक्षा कौन-सी मिलती है जो और कोई पाठशाला में नहीं दी जाती?
उत्तर:-
यहाँ बाप अपने बच्चों को शिक्षा देते हैं - बच्चे, अपनी कर्मेन्द्रियों को वश में रखना। कभी भी किसी बहन पर बुरी दृष्टि न हो। तुम आत्मा रूप में भाई-भाई हो और प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे बहन-भाई हो। तुम्हें बुरे ख्यालात कभी नहीं आने चाहिए। ऐसी शिक्षा इस युनिवर्सिटी के सिवाए कहीं भी नहीं दी जाती।
Aisi pathshala mujh aatma ne kahi nahi dekha jaha karamindriyon ko vash karne ki baat hogi. Yaha baba kahte hain, sabse jyada dhokha dene wali yeh aankhe hain, isse hame bada attention dena hain. Subah subah amritvela hota hai hame baba se vardan lene ka jjise hamari vriti change hoti hain. Uss samay ko ham ache se use kare toh hamari sari karam indriyan shital ho jayegi. Aaj tin din se lagatar baba ham baccho ko vardan de rahe hain jisme aankho ko parivartan karne ki baat hain. Ham yog bhi aankh khol kar hi karna hai, in aankho se dekhte hue bhi nahi dekhna hain aur buddhi rupi aankh se hame ek shiv baba ko hi yaad karna hain. Aisi pathshala dekhi hai kahi. Baba kahte hain inn aankho ko hame kamal nayan banana hain aur khyalatao ko bhi kamal jaisa banana hain, mukh ko bhi kamal mukh banana hain. Aisa gyan pure sansar me kahi nahi diya jata hain, sirf yeh gyan issi university me hi diya jata hain.
गीत:-
दूर देश का रहने वाला.......
【31】●【07】●【20】
की मुरली से
✦ चारों सब्जेक्ट्स के ✦
═════✩ मुख्य बिंदु ✩═════
✦✦✦✧✧✧✧✦✦✦✧✧✧✧✦✦✦
══════✩ ज्ञान ✩══════
✎..❶ यह वंडरफुल पाठशाला है जिसमें तुम पढ़ने वाली आत्माएं भी देखने में नहीं आती , तो पढ़ाने वाला भी दिखाई नहीं देता l यह है नई बात l
✎..❷ आत्मा दूर देश से आकर शरीर में प्रवेश करती है l
✎..❸ परमपिता परमात्मा भाग्यशाली रथ (भागीरथ) में आते है l
✎..❹ अब तुम बच्चे जागे हुए हो l दुनिया के मनुष्य सब सोए हुए है l
✎..❺ तुम बच्चों को इस नॉलेज में बिझी रहना है l
✎..❻ वास्तव में कोई अंधे सूरदास हो तो ज्ञानको अच्छा उठा सकते है l क्योंकि धोखा देने वाली आंखें नहीं है l
✎..❼ मूलवतन में तो कोई खेल नहीं होता है l वह तो है अपना घर l वहां सब आत्माएं रहती है l
✎..❽ यह महाराजा-महारानी बनने के लिए नॉलेज है l नर से नारायण बनने की सच्ची सच्ची कथा तुम सच्चे भगवान से सुनते हो l
══════✩ योग ✩══════
✎..❶ घड़ी घड़ी अपने को आत्मा समझ बापको याद करना है l वही हमारा टीचर भी है , गुरु भी है l
✎..❷ जितना याद में रहेंगे उतना तमो- प्रधान से तमो , रजो में आते जाएंगे और खुशी भी होगी l सुख भी इतना फील होगा l
✎..❸ जितना याद करेंगे ऊतनी ऊंच चढ़ती कला होगी l
✎..❹ मंजिल बहुत ऊंची है l बापकी याद में सेंसिबुल हो रहना है l
✎..❺ सतयुग में शरीर योग बल से मिलता है l
══════✩ धारणा ✩══════
✎..❶ इस पाठशाला में बाप अपने बच्चों को शिक्षा देते है - बच्चे अपनी कर्मेंद्रियों को वश में रखना l कभी भी किसी बहन पर बुरी दृष्टि न हो l तुम आत्मा रुप में भाई-भाई हो , और प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे भाई-बहन हो l
✎..❷ आत्मा अंदर सुनती है l धारण करती है l निश्चय होता जाता है l
✎..❸ इस संगम पर पुरुषार्थी बनने के लिए यह एक ही सत का संग होता है l
✎..❹ सत का संग तारे l कुसंग बोरे l सामने दुश्मन है माया l शिवबाबा है मित्र l
✎..❺ इस सत्संग में है पवित्रता की मेहनत l जिससे ही हंगामा हुआ l
✎..❻ कृष्ण में कशिश बहुत है l सतो- प्रधान है न ! तमो से रजो , सतो में आते जाएंगे तो ताकत , खुशी , धारणा बढ़ती जाएगी l इस समय तुम्हारी चढ़ती कला है l
✎..❼ तुम फटसे 5 विकारों का दान दे नहीं सकते हो l आंखें भी कितना धोखा देती है ! ऊंच पद पाना है तो मेहनत करनी है l पवित्र बनो l
✎..❽ बच्चों को समझना है हम गॉडफादर के बच्चे है l तो आपस में बहन-भाई हो गए l फिर बुरी दृष्टि क्यों रखते है ?
✎..❾ मुख भी म्याऊं-म्याऊं तब करता है , जब आंखों से चीज देखते है l दिल होती है यह खाऊं l इसलिए कर्मेंद्रियों पर जीत पानी है l
══════✩ सेवा ✩══════
✎..❶ तुम बच्चों को समझाने की अथॉरिटी है l
✎..❷ तुम्हारे पासमें इस ब्राह्मण कुल के होंगे वह आते रहेंगे l इसलिए तुम प्रदर्शनी आदि करते हो l यहां का फूल होगा तो आएगा जरूर l यह झाड़ बढ़ता जाता है l
✎..❸ नोलेज तो बहुत सुनाते है , परंतु चलन भी पवित्रता की हो l
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) पवित्रता की चलन अपनानी है। बुरी दृष्टि, बुरे ख्यालात समाप्त करने के लिए अपने को इन कर्मेन्द्रियों से न्यारा आत्मा समझना है।
2) आपस में रूहानी कनेक्शन रखना है, ब्लड कनेक्शन नहीं। अपना अमूल्य टाइम और मनी वेस्ट नहीं करना है। संगदोष से अपनी बहुत-बहुत सम्भाल करनी है।
वरदान:-
ब्रह्म-महूर्त के समय वरदान लेने और दान देने वाले बाप समान वरदानी, महादानी भव
ब्रहम महूर्त के समय विशेष ब्रह्मलोक निवासी बाप ज्ञान सूर्य की लाईट और माइट की किरणें बच्चों को वरदान रूप में देते हैं। साथ-साथ ब्रह्मा बाप भाग्य विधाता के रूप में भाग्य रूपी अमृत बांटते हैं सिर्फ बुद्धि रूपी कलष अमृत धारण करने योग्य हो। किसी भी प्रकार का विघ्न या रूकावट न हो, तो सारे दिन के लिए श्रेष्ठ स्थिति वा कर्म का महूर्त निकाल सकते हो क्योंकि अमृतवेले का वातावरण ही वृत्ति को बदलने वाला होता है इसलिए उस समय वरदान लेते हुए दान दो अर्थात् वरदानी और महादानी बनो।
स्लोगन:-
क्रोधी का काम है क्रोध करना और आपका काम है स्नेह देना।
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