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Brahma Kumaris Avyakt Murli Manthan 20-02-86 Revised 05-07-2020

Brahma Kumaris Avyakt Murli Manthan 20-02-86 Revised 05-07-2020

उड़ती कला से सर्व का भला

चढ़ती कला वाले तो नही हो ना! उड़ती कला है? उड़ती कला होना अर्थात् सर्व का भला होना। जब सभी बच्चों की एकरस उड़ती कला बन जायेगी तो सर्व का भला अर्थात् परिवर्तन का कार्य सम्पन्न हो जायेगा। अभी उड़ती कला है लेकिन उड़ती के साथ-साथ स्टेजेस है। कभी बहुत अच्छी स्टेज है और कभी स्टेज के लिए पुरूषार्थ करने की स्टेज हैं। सदा और मैजारिटी की उड़ती कला होना अर्थात् समाप्ति होना। अभी सभी बच्चे जानते हैं कि उड़ती कला ही श्रेष्ठ स्थिति हैउड़ती कला ही कर्मातीत स्थिति को प्राप्त करने की स्थिति है। उड़ती कला ही देह में रहते, देह से न्यारी और सदा बाप और सेवा में प्यारेपन की स्थिति है। उड़ती कला ही विधाता और वरदाता स्टेज की स्थिति है। उड़ती कला ही चलते-फिरते फरिश्ता वा देवता दोनों रूप का साक्षात्कार कराने वाली स्थिति है।

उड़ती कला सर्व आत्माओं को भिखारीपन से छुड़ाए बाप के वर्से के अधिकारी बनाने वाली है। 

सभी आत्मायें अनुभव करेंगी कि हम सब आत्माओं के ईष्ट देव वा ईष्ट देवियां वा निमित्त बने हुए जो भी अनेक देवतायें हैं, सभी इस धरनी पर अवतरित हो गए हैं। 

वरदान:-

बाप की छत्रछाया के अनुभव द्वारा विघ्न-विनाशक की डिग्री लेने वाले अनुभवी मूर्त भव

जहाँ बाप साथ है वहाँ कोई कुछ भी कर नहीं सकता। यह साथ का अनुभव ही छत्रछाया बन जाता है। बापदादा बच्चों की सदा रक्षा करते ही हैं। पेपर आते हैं आप लोगों को अनुभवी बनाने के लिए इसलिए सदैव समझना चाहिए कि यह पेपर क्लास आगे बढ़ाने के लिए आ रहे हैं। इससे ही सदा के लिए विघ्न विनाशक की डिगरी और अनुभवी मूर्त बनने का वरदान मिल जायेगा। यदि अभी कोई थोड़ा शोर करते वा विघ्न डालते भी हैं तो धीरे-धीरे ठण्डे हो जायेंगे।

स्लोगन:-

जो समय पर सहयोगी बनते हैं उन्हें एक का पदमगुणा फल मिल जाता है।

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About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.