Brahma Kumaris Murli Manthan 16 July 2020
"मीठे बच्चे - यह संगमयुग विकर्म विनाश करने का युग है, इस युग में कोई भी विकर्म तुम्हें नहीं करना है, पावन जरूर बनना है''
Corona se Darona, Bhagwan Sathi Hain. Bhagwan ko Sathi bana le. Let's meditate and cooperate to the world.
Bhagwan kahte hain, jo hoga aachanak hoga. Yeh sangamyug vikaram vinash karne ka yug hain, iss yug me koi vikaram nahi karne hain. Pawan jarur banna hain. Pawan banna yahi iss gyan ka lakshya hain. Pavitra bannae baba aaye hue hain, baba par nishchay hai na? Baba hame pavitra banakar pavitra dunia ke malik banane aaye hain.
प्रश्नः-
अतीन्द्रिय सुख का अनुभव किन बच्चों को हो सकता है?
उत्तर:-
जो अविनाशी ज्ञान रत्नों से भरपूर हैं, उन्हें ही अतीन्द्रिय सुख का अनुभव हो सकता है। जो जितना ज्ञान को जीवन में धारण करते हैं उतना साहूकार बनते हैं। अगर ज्ञान रत्न धारण नहीं तो गरीब हैं। बाप तुम्हें पास्ट, प्रेजन्ट, फ्युचर का ज्ञान देकर त्रिकालदर्शी बना रहे हैं।
गीत:-
ओम् नमो शिवाए........
══════✩ ज्ञान ✩══════
✎..❶ जो बच्चे अविनाशी ज्ञान रत्नों से भरपूर है उन्हें ही अतींद्रिय सुख का अनुभव हो सकता है l बाबा तुम्हें पास्ट , प्रेजेंट , फ्यूचर का ज्ञान दे कर त्रिकालदर्शी बना रहे है l
✎..❷ सतयुग में सब पवित्र थे l यह भारत पावन था l
✎..❸ नेचुरल कैलेमिटीज भी होनी है , अर्थक्वेक हुई और खत्म l
✎..❹ तुम शिव शक्तियां देवियां हो l जिनका मंदिर में भी पूजन होता है l तुम देवियां विश्व का राज्य पाती हो l
✎..❺ धीरज से विचार सागर मंथन करे तो सब बातें आपे ही बुद्धि में आ जाएगी l
✎..❻ तुम अभी सच्ची-सच्ची सत्यनारायण की कथा सुनते हो l
✎..❼ जब नंबरवार कर्मातीत अवस्था हो जाएगी तब लड़ाई शुरू होगी l तब तक रिहर्सल होती रहेगी l
══════✩ योग ✩══════
✎..❶ बाप राजयोग सीखला रहे है l फिर सतयुग में राज्य पाएंगे l अभी है संगम युग l
✎..❷ बाप तुमको घर के लिए लेशन देते है l दिन में भल धंधा आदि करो l शरीर निर्वाह तो करना ही है l अमृतवेले तो सबको फुर्सत रहती है l सवेरे सवेरे दो-तीन बजे का टाइम बहुत अच्छा है l उसमें उठ कर बाप को प्यार से याद करो l
✎..❸ अच्छा मुरली नहीं मिलती है , बाप को याद करो l
✎..❹ बाप को भूलना यह तो बड़ी भूल है l देह-अभिमान में आने से ही भूलते है l
✎..❺ 8 घंटा याद में रहने के लिए पुरुषार्थ करना है l
══════✩ धारणा ✩══════
✎..❶ यह संगम युग विकर्म विनाश करने का युग है l इस युग में कोई विकर्म तुम्हें नहीं करते है l पावन जरूर बनना है l
✎..❷ जो जितना ज्ञान को जीवन में धारण करते है , उतना साहूकार बनते है नई दुनिया के लिए l
✎..❸ ईश्वर का बनकर फिर पतित नहीं बनना चाहिए l
✎..❹ तुम बच्चे श्रीमत द्वारा शक्ति लेते हो l श्रीमत से ही श्रेष्ठ बनते है l श्रीमत संगम पर ही मिलती है l
✎..❺ इन विकारों ने ही तुमको आदि - मध्य - अंत दु:खी किया है l
✎..❻ पुरुषार्थ करते करते बच्चे अगर कभी फस पडो तो बापको समाचार दो l बाप सावधानी देंगे फिरसे खड़े होने की l
✎..❼ काम विकार है पांचवी मंजिल l ईसने तुमको पतित बनाया है l अब पावन बनो l
✎..❽ अब देही-अभिमानी बनने का पूरा पुरुषार्थ करो l इसमें है मेहनत l
══════✩ सेवा ✩══════
✎..❶ जो भी छोटे अथवा बड़े बच्चे है , सबको एक मुख्य बात जरूर समझानी है कि बाप को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे l
✎..❷ ड्रामा के प्लेन अनुसार हम फिर से स्थापना कर रहे है 5000 वर्ष पहले मुआफिक l
✎..❸ तुम संगमयुगी देवियां स्वर्ग का वरदान देने वाली हो l तुम देवियां मनुष्यों को ज्ञान दान करती हो जिससे सब कामनाएं पूर्ण कर देती हो l
✎..❹ बाप आकर तुम बच्चोंको अज्ञान नींद से जगाते है l तुम फिर औरों को जगाते हो l
✎..❺ जिन बच्चों को पुरुषोत्तम संगमयुग की स्मृति रहती है , वह ज्ञान रत्नों का दान करने बिना रह नहीं सकते l
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस पुरूषोत्तम मास में अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करना है। अमृतवेले उठ विचार सागर मंथन करना है। श्रीमत पर शरीर निर्वाह करते हुए बाप ने जो होम वर्क दिया है, वह भी जरूर करना है।
2) पुरूषार्थ में कभी रूकावट आये तो बाप को समाचार देकर श्रीमत लेनी है। सर्जन को सब सुनाना है। विकर्म विनाश करने के समय कोई भी विकर्म नहीं करना है।
वरदान:-
देह, सम्बन्ध और वैभवों के बन्धन से स्वतंत्र बाप समान कर्मातीत भव
जो निमित्त मात्र डायरेक्शन प्रमाण प्रवृत्ति को सम्भालते हुए आत्मिक स्वरूप में रहते हैं, मोह के कारण नहीं, उन्हें यदि अभी-अभी आर्डर हो कि चले आओ तो चले आयेंगे। बिगुल बजे और सोचने में ही समय न चला जाए - तब कहेंगे नष्टोमोहा इसलिए सदैव अपने को चेक करना है कि देह का, सम्बन्ध का, वैभवों का बन्धन अपनी ओर खींचता तो नहीं है। जहाँ बंधन होगा वहाँ आकर्षण होगी। लेकिन जो स्वतंत्र हैं वे बाप समान कर्मातीत स्थिति के समीप हैं।
स्लोगन:-
स्नेह और सहयोग के साथ शक्ति रूप बनो तो राजधानी में नम्बर आगे मिल जायेगा।
"मीठे बच्चे - यह संगमयुग विकर्म विनाश करने का युग है, इस युग में कोई भी विकर्म तुम्हें नहीं करना है, पावन जरूर बनना है''
Corona se Darona, Bhagwan Sathi Hain. Bhagwan ko Sathi bana le. Let's meditate and cooperate to the world.
Bhagwan kahte hain, jo hoga aachanak hoga. Yeh sangamyug vikaram vinash karne ka yug hain, iss yug me koi vikaram nahi karne hain. Pawan jarur banna hain. Pawan banna yahi iss gyan ka lakshya hain. Pavitra bannae baba aaye hue hain, baba par nishchay hai na? Baba hame pavitra banakar pavitra dunia ke malik banane aaye hain.
Meditation For Protection From Corona Virus: BK Shivani
प्रश्नः-
अतीन्द्रिय सुख का अनुभव किन बच्चों को हो सकता है?
उत्तर:-
जो अविनाशी ज्ञान रत्नों से भरपूर हैं, उन्हें ही अतीन्द्रिय सुख का अनुभव हो सकता है। जो जितना ज्ञान को जीवन में धारण करते हैं उतना साहूकार बनते हैं। अगर ज्ञान रत्न धारण नहीं तो गरीब हैं। बाप तुम्हें पास्ट, प्रेजन्ट, फ्युचर का ज्ञान देकर त्रिकालदर्शी बना रहे हैं।
गीत:-
ओम् नमो शिवाए........
══════✩ ज्ञान ✩══════
✎..❶ जो बच्चे अविनाशी ज्ञान रत्नों से भरपूर है उन्हें ही अतींद्रिय सुख का अनुभव हो सकता है l बाबा तुम्हें पास्ट , प्रेजेंट , फ्यूचर का ज्ञान दे कर त्रिकालदर्शी बना रहे है l
✎..❷ सतयुग में सब पवित्र थे l यह भारत पावन था l
✎..❸ नेचुरल कैलेमिटीज भी होनी है , अर्थक्वेक हुई और खत्म l
✎..❹ तुम शिव शक्तियां देवियां हो l जिनका मंदिर में भी पूजन होता है l तुम देवियां विश्व का राज्य पाती हो l
✎..❺ धीरज से विचार सागर मंथन करे तो सब बातें आपे ही बुद्धि में आ जाएगी l
✎..❻ तुम अभी सच्ची-सच्ची सत्यनारायण की कथा सुनते हो l
✎..❼ जब नंबरवार कर्मातीत अवस्था हो जाएगी तब लड़ाई शुरू होगी l तब तक रिहर्सल होती रहेगी l
══════✩ योग ✩══════
✎..❶ बाप राजयोग सीखला रहे है l फिर सतयुग में राज्य पाएंगे l अभी है संगम युग l
✎..❷ बाप तुमको घर के लिए लेशन देते है l दिन में भल धंधा आदि करो l शरीर निर्वाह तो करना ही है l अमृतवेले तो सबको फुर्सत रहती है l सवेरे सवेरे दो-तीन बजे का टाइम बहुत अच्छा है l उसमें उठ कर बाप को प्यार से याद करो l
✎..❸ अच्छा मुरली नहीं मिलती है , बाप को याद करो l
✎..❹ बाप को भूलना यह तो बड़ी भूल है l देह-अभिमान में आने से ही भूलते है l
✎..❺ 8 घंटा याद में रहने के लिए पुरुषार्थ करना है l
══════✩ धारणा ✩══════
✎..❶ यह संगम युग विकर्म विनाश करने का युग है l इस युग में कोई विकर्म तुम्हें नहीं करते है l पावन जरूर बनना है l
✎..❷ जो जितना ज्ञान को जीवन में धारण करते है , उतना साहूकार बनते है नई दुनिया के लिए l
✎..❸ ईश्वर का बनकर फिर पतित नहीं बनना चाहिए l
✎..❹ तुम बच्चे श्रीमत द्वारा शक्ति लेते हो l श्रीमत से ही श्रेष्ठ बनते है l श्रीमत संगम पर ही मिलती है l
✎..❺ इन विकारों ने ही तुमको आदि - मध्य - अंत दु:खी किया है l
✎..❻ पुरुषार्थ करते करते बच्चे अगर कभी फस पडो तो बापको समाचार दो l बाप सावधानी देंगे फिरसे खड़े होने की l
✎..❼ काम विकार है पांचवी मंजिल l ईसने तुमको पतित बनाया है l अब पावन बनो l
✎..❽ अब देही-अभिमानी बनने का पूरा पुरुषार्थ करो l इसमें है मेहनत l
══════✩ सेवा ✩══════
✎..❶ जो भी छोटे अथवा बड़े बच्चे है , सबको एक मुख्य बात जरूर समझानी है कि बाप को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे l
✎..❷ ड्रामा के प्लेन अनुसार हम फिर से स्थापना कर रहे है 5000 वर्ष पहले मुआफिक l
✎..❸ तुम संगमयुगी देवियां स्वर्ग का वरदान देने वाली हो l तुम देवियां मनुष्यों को ज्ञान दान करती हो जिससे सब कामनाएं पूर्ण कर देती हो l
✎..❹ बाप आकर तुम बच्चोंको अज्ञान नींद से जगाते है l तुम फिर औरों को जगाते हो l
✎..❺ जिन बच्चों को पुरुषोत्तम संगमयुग की स्मृति रहती है , वह ज्ञान रत्नों का दान करने बिना रह नहीं सकते l
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस पुरूषोत्तम मास में अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करना है। अमृतवेले उठ विचार सागर मंथन करना है। श्रीमत पर शरीर निर्वाह करते हुए बाप ने जो होम वर्क दिया है, वह भी जरूर करना है।
2) पुरूषार्थ में कभी रूकावट आये तो बाप को समाचार देकर श्रीमत लेनी है। सर्जन को सब सुनाना है। विकर्म विनाश करने के समय कोई भी विकर्म नहीं करना है।
वरदान:-
देह, सम्बन्ध और वैभवों के बन्धन से स्वतंत्र बाप समान कर्मातीत भव
जो निमित्त मात्र डायरेक्शन प्रमाण प्रवृत्ति को सम्भालते हुए आत्मिक स्वरूप में रहते हैं, मोह के कारण नहीं, उन्हें यदि अभी-अभी आर्डर हो कि चले आओ तो चले आयेंगे। बिगुल बजे और सोचने में ही समय न चला जाए - तब कहेंगे नष्टोमोहा इसलिए सदैव अपने को चेक करना है कि देह का, सम्बन्ध का, वैभवों का बन्धन अपनी ओर खींचता तो नहीं है। जहाँ बंधन होगा वहाँ आकर्षण होगी। लेकिन जो स्वतंत्र हैं वे बाप समान कर्मातीत स्थिति के समीप हैं।
स्लोगन:-
स्नेह और सहयोग के साथ शक्ति रूप बनो तो राजधानी में नम्बर आगे मिल जायेगा।
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