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Brahma Kumaris Murli Manthan 25-07-2020

Brahma Kumaris Murli Manthan 25-07-2020

"मीठे बच्चे - देह-अभिमान छोड़ देही-अभिमानी बनो, देही-अभिमानियों को ही ईश्वरीय सम्प्रदाय कहा जाता है''

Aaj mithe baba, supreme soul, jyoti bindu, ham sab aatmao ke pyare pita sri, gyan ke sager, shanti ke sager, pavitrata ke sager pita sri, guru, teacher, sadguru, saccha dost, patio ke pati, saccha sajan ham aatmao ke kahte hai, mithe baccho dehi abhimani bano, deh bhan me aate ho, wahi sare dukho ka karan hain. Isliye dehi abhimani sthithi me raho, har second check karo ki deh bhan main hai ki dehi abhimani, aur turant change karo. Aise sthithi banani hain, jisse ham aatmaye aise stage me aa jaye. Ham aatma hai, lekin deh bhan me aane ke karan ham dukhi hue hai, hamari pavitrata kho gayi, ham baap se bichad gaye, baap ko bhul gaye. Apne aap ko bhule toh baap ko bhi bhul gaye. Ham devi devtao ki puja karte hai lekin hame pata nahi ki yeh kaun hai aur kab rajya karke gaye. Ham apne baap ko bhul bahut sare devi devtao se pavitrata mang rahe hai, sukh mang rahe hain, aanand, shakti, prem, gyan mang rahe hain. Hame apna baba apne wade anusar aakar ham aatmao ko adopt karte hai, jaise ek purush ek stri ko adopt  karta hai aur rachna rachta hain. Baba brahma ke tan me avtarit hokar ham aatmao ko brahman banate hain. Aur gyan amrit pilate hain. Ham aatmao ko aab sara gyan budhi me phir se emerge ho gaya hain. Aur ham sab aab patit se pawan ban rahe hain. Aur Dusro ko bhi pawan bana rahe hain. 

Jab bhi koi paristhithi ho, koi bol raha hai, koi jhuth bol raha ho aapke bare me, aapki ninda kar rahe hain, aaapko apne aap ko sahi sabit karne ka prayas bhi nahi karna hai, sab baba ko pata hain. Sahi sabit karne ke chalte sankalp tej hota chala jata hain. Samne wala ka sankalp tej hai, isliye wo itna bol raha hai, aur unko gyan talwar se sankalpo ko kam karna hai, aur yog ki shakti se dusro ko yog ka daan dena hain. Taki wo bandhan me tadapti aatmaye bhi santusht ho sake, apne kharab sanskaro ke bandhan se mukt ho sake. 

प्रश्नः-

तुम बच्चे अभी जो सतसंग करते हो यह दूसरे सतसंगों से निराला है, कैसे?

उत्तर:-

यही एक सतसंग है जिसमें तुम आत्मा और परमात्मा का ज्ञान सुनते हो। यहाँ पढ़ाई होती है। एम ऑब्जेक्ट भी सामने है। दूसरे सतसंगों में न पढ़ाई होती, न कोई एम आब्जेक्ट है।

Aaj baba prashan kiye ki tum bacche bhi abhi satsang karte hai, yah dusre satsango se bilkul nirala hain. Tum baccho ko sahi sahi parichay baba dete hain ki tum kaun ho, parmatma kaun hain. Yaha baba tum ruhani baccho ko padhate hain. Aim object samne khada hai, nar se sri narayan aur nari se sri lakshmi. Ham sab aatmaye patit se pawan bante hai, devta bante hain. Sacha sacha sang hai aatmao ka parmatma ke sath. Ham sab aatmaye daily nitya din parmatma se sacha sacha satyanarayan katha sunte hain.



Shanti Ki Ek Chhidiya Aayi | Devotional Songs - 5 | BK Songs | Brahma Kumaris




══════✩   ज्ञान    ✩══════

✎..❶  यही एक सत्संग है जिसमें तुम आत्मा और परमात्मा का ज्ञान सुनते हो l यहां पढ़ाई होती है l एइम ऑब्जेक्ट भी सामने है l  
✎..❷  ईश्वर को देह नहीं है l वह सदैव आत्म अभिमानी है l वह है सुप्रीम आत्मा l सभी आत्माओं का बाप l वह जन्म-मरण में नहीं आते l 
✎..❸  जैसे आत्मा का रूप बिंदी है , वैसे परमपिता परमात्मा का रूप भी बिंदी है l
✎..❹  भारत में रुद्र यज्ञ रचते है तो मिट्टी का शिवलिंग और शालिग्राम बनाकर फिर उनकी पूजा करते है l
✎..❺  आत्मा अविनाशी है l शरीर विनाशी    है l आत्मा शरीर द्वारा पार्ट बजाती है l
✎..❻  भारत में सतयुग था तो देवी- देवताओं का राज्य था l स्वर्ग है वंडर ऑफ वर्ल्ड l
✎..❼  भारत ही ऊंच खंड है l सबका तीर्थ है l सर्व की सद्गति करने वाला बाप स्वयं यहां आते है l
✎..❽  सतयुग में सोने-हीरे-जवाहरो के अनेक महल थे l द्वापर में भी कितने महल आदि होते है l वह फिर अर्थक्वेक में अंदर चले जाते है l
✎..❾  पुरानी दुनिया का विनाश सामने खड़ा है l मनुष्य बिल्कुल ही अंधियारे में कुंभकरण की नींद में सोए पड़े है l
  ..10)  आज के देह-अभिमानी मनुष्य को थोड़ा पैसा मिला तो समझते है हम तो स्वर्ग में बैठे है l स्वर्ग को बिल्कुल जानते ही नहीं l
  ..11)  बाप की महिमा है ज्ञान का सागर , शांति का सागर , पवित्रता का सागर l

══════✩   योग    ✩══════

✎..❶  अब बाप बच्चों को कहते है , अपनेको आत्मा समझो l
✎..❷  यह सच्ची सत्यनारायण की कथा है l सत्य बाप तुमको नर से नारायण बनने का राजयोग सिखला रहे है l

══════✩   धारणा    ✩══════

✎..❶  देह अभिमान छोड़ , देही अभिमानी बनो l देही अभिमानीओं को ही ईश्वरीय संप्रदाय कहा जाता है l
✎..❷  अभी तुम बच्चों के लिए यह पुरुषोत्तम संगमयुग है , जबकि बाप तुमको पुरुषोत्तम - पारस बुद्धि बना रहे है l बाप मनुष्य से देवता बनने की तुमको सुमत देते है  l

══════✩   सेवा    ✩══════

✎..❶  इस यज्ञ का नाम है - राजस्व  अश्वमेघ अविनाशी रूद्र गीता ज्ञान यज्ञ l
✎..❷  बाप अभी स्वर्ग की स्थापना कर रहे है l
✎..❸  बाप सबको रावण राज्य से लिब्रेट कर , गाइड बन साथ ले जाते है l
✎..❹  पूरी रीति समझने में 7 रोज लगते है l पत्थर बुद्धि को पारस बुद्धि बनाना है l

✎..❺  अभी तुम समझते हो कि भारत की  चढ़ती कला और उतरती कला कैसे होती है l

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) एक बाप की सुमत पर चलकर मनुष्य से देवता बनना है। इस सुहावने संगमयुग पर स्वयं को पुरूषोत्तम पारसबुद्धि बनाना है।

2) 7 रोज़ की भट्ठी में बैठ पतित बुद्धि को पावन बुद्धि बनाना है। सत्य बाप से सत्य नारायण की सच्ची कथा सुन नर से नारायण बनना है।

वरदान:-

फरिश्तेपन की स्थिति द्वारा बाप के स्नेह का रिटर्न देने वाले समाधान स्वरूप भव

फरिश्ते पन की स्थिति में स्थित होना - यही बाप के स्नेह का रिटर्न है, ऐसा रिटर्न देने वाले समाधान स्वरूप बन जाते हैं। समाधान स्वरूप बनने से स्वयं की वा अन्य आत्माओं की समस्यायें स्वत: समाप्त हो जाती हैं। तो अब ऐसी सेवा करने का समय है, लेने के साथ देने का समय है। इसलिए अब बाप समान उपकारी बन, पुकार सुनकर अपने फरिश्ते रूप द्वारा उन आत्माओं के पास पहुंच जाओ और समस्याओं से थकी हुई आत्माओं की थकावट उतारो।

स्लोगन:-

व्यर्थ से बेपरवाह बनो, मर्यादाओं में नहीं।

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About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.