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Brahma Kumaris Murli Manthan 22 July 2020

Brahma Kumaris Murli Manthan 22 July 2020


"मीठे बच्चे - तुम बहुत रॉयल स्टूडेन्ट हो, तुम्हें बाप, टीचर और सतगुरू की याद में रहना है, अलौकिक खिदमत (सेवा) करनी है''

Aaj Baba kahte hain mithe bacche, tum bade royal student ho, baba aaj ham baccho ko shuru me bhi bahut motivate karte hain aur hame kahte hain tumeh padhane wala kaun hain, main tumhara baap bhi hu, guru bhi hu aur teacher bhi hu aur satguru bhi hun. Tumeh ek baap ki hi yaad me rahna chahiye aur baap ke sath hamesha aloukik sewa me busy rahna hain. Tum ho baba ke khudai khitmatgar bacche. Baba ke vishesh royal aloukik sewa dhari bacche. Tumeh kam se kam 8 ghanta aatma abhimani stage me rahna hain. Tabhi tum karmatit stage ko paoge aur bandhanhmukt aur jeevanmukt stage ko paoge.

प्रश्नः-

जो अपने आपको बेहद का पार्टधारी समझकर चलते हैं, उनकी निशानी सुनाओ?

उत्तर:-

उनकी बुद्धि में कोई भी सूक्ष्म वा स्थूल देहधारी की याद नहीं होगी। वह एक बाप को और शान्तिधाम घर को याद करते रहेंगे क्योंकि बलिहारी एक की है। जैसे बाप सारी दुनिया की खिदमत करते हैं, पतितों को पावन बनाते हैं। ऐसे बच्चे भी बाप समान खिदमतगार बन जाते हैं।

Baba puchte hain ki jo tum baba ke vishesh behad ke sewadhari ho un baccho ki nishani kya hogi. Baba uttar dete hue kahte hain ki mithe bacche jo bache baba ke behad ke sewa dhari hai, baba ke ruhani sena hai wo baccho ki buddhi kahi bhi deh dhariyon me nahi jayegi aur kewal aur kewal baap ko yaad karege aur shantidham ghar ko yaad karte rahege. Kyoki balihari toh ek baap ki hain. Jaise hamare baba puri dunia ke khidmat karte hain patito ko pawan banane ki waise hi tum bacche bhi baap saman khudai khidmatgar bante ho.

तुम हो डबल अहिंसक सेना। बड़ी हिंसा तो यह विकार की है, जो पतित बनाती है। इनको ही जीतना है। भगवानुवाच काम महाशत्रु है, इन पर जीत पाने से ही तुम जगतजीत बनेंगे। यह लक्ष्मी-नारायण जगतजीत हैं ना। भारत जगत जीत था।

Tum ho ruhani sena, gupt sena, double ahinsak. Sabse badi hinsa toh kaam vikar ki hain. Yeh sab gupt baate hain, tum bacche hi yeh sab baate samajh sakte ho, dusre toh isse samjh nahi payege, isliye baba unke liye 7 roj ki bhatti rakhte hain, taki pura gyan samjh sake ki kaise baba hame patit se pawan bana rahe hai aur nar se narayan aur nari se lakshmi bana rahe hain. Yeh sab gupt hain. Ham ruhani sena sabse pehle apne vikaro par jeet pate hain, Aur vikaro par jeet pakar baap saman bante hain aur dusro ko bhi aap saman banate hain. Yahi mukhya hain ki apne ko aatma samjh ek baap ko yaad karna hain tabhi vikaram vinash honge aur ham aatmaye baap saman karmatit bante jayege. 

Murli ke mukhya points kavita ke format me:

★ तुम बहुत रॉयल स्टूडेंट हो, अलौकिक खिदमत करना 
★ बाप, टीचर और सतगुरु की, तुम्हें सदा  याद में रहना।

★ जो अपने को बेहद का, पार्टधारी समझ चलते हैं 
★ अपनी  बुद्धि  में  कोई भी, देहधारी याद ना रखते हैं।

★ वह एक  बाप व शांतिधाम, घर को  ही याद करते रहेंगे 
★ क्योंकि बलिहारी एक की है, तो उसके गुण गाते रहेंगे।

★ जैसे बाप  सारी दुनिया की, खिदमत  कर पावन बनाते
★ ऐसे बच्चे भी बाप समान, खिदमतगार  हैं बन जाते।

★ सदा ध्यान  में रहे  चलन, देह अभिमान की ना रखना
★ तुम्हें बहुत ही सिंपल रहना, किसी  में ममत्व न रखना। 
कुसंग  से  संभाल  करना, खुदाई खिदमतगार बनना।
★ याद  की  मेहनत  से कर्म, बंधन तोड़ कर्मातीत बनना
★ कम से कम 8 घंटा आत्म, अभिमानी बनकर रहना।

★ सदा  बेहद  की  स्थिति में, आप स्थित रहने वाले बनो
★ और ऐसा करने वाले आप, बंधन, मुक्त जीवनमुक्त बनो 
★ निश्चय बुद्धि की है निशानी निश्चित विजयी निश्चिंत होंगे 

★ उनके पास  तो  व्यर्थ  के, कोई संकल्प न आ सकेंगे।

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) सदा ध्यान रहे कि हमारी कोई भी चलन देह-अभिमान वाली न हो। बहुत सिम्पुल रहना है। किसी भी चीज़ में ममत्व नहीं रखना है। कुसंग से अपनी सम्भाल रखनी है।

2) याद की मेहनत से सर्व कर्मबन्धनों को तोड़ कर्मातीत बनना है। कम से कम 8 घण्टा आत्म-अभिमानी रह सच्चा-सच्चा खुदाई खिदमतगार बनना है।

वरदान:-

सदा बेहद की स्थिति में स्थित रहने वाले बन्धनमुक्त, जीवनमुक्त भव


देह-अभिमान हद की स्थिति है और देही अभिमानी बनना - यह है बेहद की स्थिति। देह में आने से अनेक कर्म के बन्धनों में, हद में आना पड़ता है लेकिन जब देही बन जाते हो तो ये सब बन्धन खत्म हो जाते हैं। जैसे कहा जाता बन्धनमुक्त ही जीवनमुक्त है, ऐसे जो बेहद की स्थिति में स्थित रहते हैं वह दुनिया के वायुमण्डल, वायब्रेशन, तमोगुणी वृत्तियां, माया के वार इन सबसे मुक्त हो जाते हैं। इसको ही कहा जाता है जीवनमुक्त स्थिति, जिसका अनुभव संगमयुग पर ही करना है।

स्लोगन:-

निश्चयबुद्धि की निशानी - निश्चित विजयी और निश्चितं, उनके पास व्यर्थ आ नहीं सकता।



प्यारे बाबा- मीठे मीठे बाबा, तेरी मुरली हमे लगे बड़ी प्यारी........Very Beautiful Song



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About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.