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Brahma Kumaris Murli Manthan 17 July 2020

Brahma Kumaris Murli Manthan 17 July 2020

"मीठे बच्चे - तुम्हारी बुद्धि में अभी सारे ज्ञान का सार है, इसलिए तुम्हें चित्रों की भी दरकार नहीं, तुम बाप को याद करो और दूसरों को कराओ''

Aaj Baba kahte hain mithe bacche tumahare budhi me abhi pure gyan ka saar samaya hua hain, isliye chitro ki darkar nahi hain. Bus aab tumeh baap ko yaad karo aur dusro ko bhi baap ki yaad dilao. Ham bacche baba ko yaad karte karte maya ke vash kab ho jate hain pata nahi chalta hain. Ham baccho ko isspar pura attention rakhna hain ki kahi mera mann kahi aur toh nahi ja raha hain. Agar ja raha hai, toh jarur yog ki kami hain. Alash aur albelapan apne aagosh me le raha hain. Isliye rest nahi, kewal attention me rahna hain. Aur apne mann buddhi par dhyan rakhna hai ki kahi koi chiz akarshit toh nahi kar rahi hain. Aur usse sirf aur sirf paramdham ke tika dena hai ki wahi wapas ghar jana hain. Ek baap ko hi yaad karna hain. Man buddhi se hame sirf aur sirf baba ke godd me rahna hain, karam karte hue man aur budhi baba ko samarpit rahe.

प्रश्नः-

पिछाड़ी के समय तुम बच्चों की बुद्धि में कौन-सा ज्ञान रहेगा?

उत्तर:-

उस समय बुद्धि में यही रहेगा कि अभी हम जाते हैं वापिस घर। फिर वहाँ से चक्र में आयेंगे। धीरे-धीरे सीढ़ी उतरेंगे फिर बाप आयेंगे चढ़ती कला में ले जाने। अभी तुम जानते हो पहले हम सूर्यवंशी थे फिर चन्द्रवंशी बनें...... इसमें चित्रों की दरकार नहीं।

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) अपना टाइम सफल करने का अटेन्शन रखना है। माया ग़फलत न करा सके - इसके लिए महादानी बन बहुतों को रास्ता बताने में बिजी रहना है।

2) अपनी ऊंची तकदीर बनाने के लिए धनी के नाम पर सब कुछ सफल करना है। रूहानी युनिवर्सिटी खोलनी है।

वरदान:-

कड़े नियम और दृढ़ संकल्प द्वारा अलबेलेपन को समाप्त करने वाले ब्रह्मा बाप समान अथक भव


ब्रह्मा बाप समान अथक बनने के लिए अलबेलेपन को समाप्त करो। इसके लिए कोई कड़ा नियम बनाओ। दृढ़ संकल्प करो, अटेन्शन रूपी चौकीदार सदा अलर्ट रहें तो अलबेलापन समाप्त हो जायेगा। पहले स्व के ऊपर मेहनत करो फिर सेवा में, तब धरनी परिवर्तन होगी। अभी सिर्फ ठकर लेंगे, हो जायेगा'' इस आराम के संकल्पों के डंलप को छोड़ो। करना ही है, यह स्लोगन मस्तक में याद रहे तो परिवर्तन हो जायेगा।

स्लोगन:-

समर्थ बोल की निशानी है - जिस बोल में आत्मिक भाव और शुभ भावना हो।

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)



➢➢ *बहुतों को रास्ता बताने में बिजी रहे ?*



➢➢ *धनी के नाम पर पाना सब कुछ सफल किया ?*



➢➢ *कड़े नियम और दृढ़ संकल्प द्वारा अलबेलेपन को समाप्त किया ?*



➢➢ *बोल में आत्मिक भाव और शुभ भावना रही ?*

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About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.