Brahma Kumaris Murli Manthan 24 July 2020
"मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम्हें ज्ञान रत्न देने, बाप तुम्हें जो भी सुनाते वा समझाते हैं यह ज्ञान है, ज्ञान रत्न ज्ञान सागर के सिवाए कोई दे नहीं सकता''
Baba kahte mithe bacche jo main sunata hu, samjhata hu wahi gyan hain, issi gyan(srimat) par hame chalna hai. Gyan kaun de raha hain? Nasha hai? Swayang parampita parmatma, jisse abhi bhi bahut sare bhakt khoj rahe hain, aur wo pita hame mil chuke hain aur hamari jholi gyan ratno se bhar rahe hain.
प्रश्नः-
आत्मा की वैल्यु कम होने का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:-
वैल्यु कम होती है खाद पड़ने से। जैसे सोने में खाद डालकर जेवर बनाते हैं तो उसकी वैल्यु कम हो जाती है। ऐसे आत्मा जो सच्चा सोना है, उसमें जब अपवित्रता की खाद पड़ती है तो वैल्यु कम हो जाती है। इस समय तमोप्रधान आत्मा की कोई वैल्यु नहीं। शरीर की भी कोई वैल्यु नहीं। अभी तुम्हारी आत्मा और शरीर दोनों याद से वैल्युबुल बन रहे हैं।
★ मीठे बच्चे ज्ञान रतन देने, बाप तुम्हें अभी आते हैं
★ यही ज्ञान है बाप तुमको, जो सुनाते समझाते हैं।
★ ज्ञान रत्न ज्ञान सागर के, सिवा कोई ना दे सकता
★ ऐसा ज्ञान व ज्ञान सागर, दूसरा कोई न हो सकता।
★ सोने में खाद डाल जेवर, बनाते वैल्यू कम हो जाती
★ आत्मा में खाद पड़ने से, उसकी वैल्यू कम हो जाती।
★ आत्मा जो सच्चा सोना है, अपवित्रता की खाद पड़ती
★ शरीर की कोई वैल्यू नहीं, आत्मा वैल्यू कम हो जाती।
★ अभी तुम्हारी आत्मा और, देह है वैल्युबुल बन रही
★ तमोप्रधान आत्मा याद से, फिर सतोप्रधान बन रही।
★ बाप से पूरा वरसा लेने जो, कथनी करनी एक बनाना
★ इसका ही पुरुषार्थ करना, और मोहजीत बन जाना।
★ याद रखना शांति सागर के, बच्चे हमें शांति में रहना है
★ मुख में मुहलरा डाल लेना, तुम्हें टाइम वेस्ट ना करना है।
★ तड़पती हुई आत्माओं को, सेकंड में गति सद्गति दो
★ और ऐसा करने वाले तुम, मास्टर दाता बन जाओ।
★ हुजूर को बुद्धि में तुम, सदा अपने हाजिर रखो
★ तो सर्व शक्तियां जी हुजूर, करके सामने हाजिर हों।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप से पूरा वर्सा लेने के लिए जो कथनी हो वही करनी हो, इसका पुरूषार्थ करना है। मोहजीत बनना है।
2) सदा याद रहे कि हम शान्ति के सागर के बच्चे हैं, हमें शान्ति में रहना है। मुख में मुहलरा डाल लेना है। ग़फलत में अपना टाइम वेस्ट नहीं करना है।
वरदान:-
तड़फती हुई आत्माओं को एक सेकण्ड में गति-सद्गति देने वाले मास्टर दाता भव
जैसे स्थूल सीजन का इन्तजाम करते हो, सेवाधारी सामग्री सब तैयार करते हो जिससे किसी को कोई तकलीफ न हो, समय व्यर्थ न जाए। ऐसे ही अब सर्व आत्माओं की गति-सद्गति करने की अन्तिम सीजन आने वाली है, तड़फती हुई आत्माओं को क्यू में खड़ा करने का कष्ट नहीं देना है, आते जाएं और लेते जाएं। इसके लिए एवररेडी बनो। पुरूषार्थी जीवन में रहने से ऊपर अब दातापन की स्थिति में रहो। हर संकल्प, हर सेकण्ड में मास्टर दाता बन करके चलो।
स्लोगन:-
हज़ूर को बुद्धि में हाज़िर रखो तो सर्व प्राप्तियां जी हज़ूर करेंगी।
"मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम्हें ज्ञान रत्न देने, बाप तुम्हें जो भी सुनाते वा समझाते हैं यह ज्ञान है, ज्ञान रत्न ज्ञान सागर के सिवाए कोई दे नहीं सकता''
Baba kahte mithe bacche jo main sunata hu, samjhata hu wahi gyan hain, issi gyan(srimat) par hame chalna hai. Gyan kaun de raha hain? Nasha hai? Swayang parampita parmatma, jisse abhi bhi bahut sare bhakt khoj rahe hain, aur wo pita hame mil chuke hain aur hamari jholi gyan ratno se bhar rahe hain.
प्रश्नः-
आत्मा की वैल्यु कम होने का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:-
वैल्यु कम होती है खाद पड़ने से। जैसे सोने में खाद डालकर जेवर बनाते हैं तो उसकी वैल्यु कम हो जाती है। ऐसे आत्मा जो सच्चा सोना है, उसमें जब अपवित्रता की खाद पड़ती है तो वैल्यु कम हो जाती है। इस समय तमोप्रधान आत्मा की कोई वैल्यु नहीं। शरीर की भी कोई वैल्यु नहीं। अभी तुम्हारी आत्मा और शरीर दोनों याद से वैल्युबुल बन रहे हैं।
★ मीठे बच्चे ज्ञान रतन देने, बाप तुम्हें अभी आते हैं
★ यही ज्ञान है बाप तुमको, जो सुनाते समझाते हैं।
★ ज्ञान रत्न ज्ञान सागर के, सिवा कोई ना दे सकता
★ ऐसा ज्ञान व ज्ञान सागर, दूसरा कोई न हो सकता।
★ सोने में खाद डाल जेवर, बनाते वैल्यू कम हो जाती
★ आत्मा में खाद पड़ने से, उसकी वैल्यू कम हो जाती।
★ आत्मा जो सच्चा सोना है, अपवित्रता की खाद पड़ती
★ शरीर की कोई वैल्यू नहीं, आत्मा वैल्यू कम हो जाती।
★ अभी तुम्हारी आत्मा और, देह है वैल्युबुल बन रही
★ तमोप्रधान आत्मा याद से, फिर सतोप्रधान बन रही।
★ बाप से पूरा वरसा लेने जो, कथनी करनी एक बनाना
★ इसका ही पुरुषार्थ करना, और मोहजीत बन जाना।
★ याद रखना शांति सागर के, बच्चे हमें शांति में रहना है
★ मुख में मुहलरा डाल लेना, तुम्हें टाइम वेस्ट ना करना है।
★ तड़पती हुई आत्माओं को, सेकंड में गति सद्गति दो
★ और ऐसा करने वाले तुम, मास्टर दाता बन जाओ।
★ हुजूर को बुद्धि में तुम, सदा अपने हाजिर रखो
★ तो सर्व शक्तियां जी हुजूर, करके सामने हाजिर हों।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप से पूरा वर्सा लेने के लिए जो कथनी हो वही करनी हो, इसका पुरूषार्थ करना है। मोहजीत बनना है।
2) सदा याद रहे कि हम शान्ति के सागर के बच्चे हैं, हमें शान्ति में रहना है। मुख में मुहलरा डाल लेना है। ग़फलत में अपना टाइम वेस्ट नहीं करना है।
वरदान:-
तड़फती हुई आत्माओं को एक सेकण्ड में गति-सद्गति देने वाले मास्टर दाता भव
जैसे स्थूल सीजन का इन्तजाम करते हो, सेवाधारी सामग्री सब तैयार करते हो जिससे किसी को कोई तकलीफ न हो, समय व्यर्थ न जाए। ऐसे ही अब सर्व आत्माओं की गति-सद्गति करने की अन्तिम सीजन आने वाली है, तड़फती हुई आत्माओं को क्यू में खड़ा करने का कष्ट नहीं देना है, आते जाएं और लेते जाएं। इसके लिए एवररेडी बनो। पुरूषार्थी जीवन में रहने से ऊपर अब दातापन की स्थिति में रहो। हर संकल्प, हर सेकण्ड में मास्टर दाता बन करके चलो।
स्लोगन:-
हज़ूर को बुद्धि में हाज़िर रखो तो सर्व प्राप्तियां जी हज़ूर करेंगी।
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