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Brahmakumaris Murli Manthan 17 July 2018

Brahmakumaris Murli Manthan 17 July 2018

“मीठे बच्चे - पावन बनने के लिए अपने स्वधर्म में रहो और अशरीरी बन एक बाप को याद करो”

प्रश्नः-

किस विधि से नये स्टूडेन्ट्स पर ज्ञान का रंग लग सकता है?

उत्तर:-

उन्हें पहले-पहले सात रोज़ की भट्ठी में बिठाओ। कायदा है - जब कोई भी आता है तो उनसे फार्म भराओ। पहले सात रोज़ भट्ठी में पड़े तब पूरा रंग लगे। तुम भ्रमरियां ज्ञान की भूँ-भूँ कर आप समान बनाती हो। तुम जानती हो - अभी देवता धर्म की सैपलिंग लग रही है। जो इस घराने की आत्मायें होंगी वह महा-रोगी से निरोगी बनने के पुरुषार्थ में लग जायेंगी।

Baba ne kal kha tha, ki bacche pavitra banna hi hai, pavitra par hi sara daromdar hai. Ager hamesha ashariri banne ka practice karoge aur apne swadharm m rahoge toh kabhi bhi maya pareshan nahi karegi, aur pavitra ban jaoge.

Baba ne kha ki ager koi naya baccha aata hai toh usse form jarur bharwane hai aur 7 days ka course jarur karna hai tabi gyan thoda ander jayega.

आत्मा का स्वधर्म है ही साइलेन्स। आत्मा किसकी सन्तान है? कहेंगे परमपिता परमात्मा की। वह भी साइलेन्स है। आत्मायें साइलेन्स वर्ल्ड शान्तिधाम में रहती हैं। फिर पार्ट बजाने टॉकी वर्ल्ड में आती हैं।

अब बेहद का बाप कहते हैं - हे बच्चे, अपने स्वधर्म में रहो। अशरीरी होकर बैठो। बाप को याद करो।
तुम जानते हो - हम मनुष्य से देवता बन रहे हैं। अभी वह बाप पतितों की महफिल में आये हैं। मनुष्य समझते हैं - पतित-पावनी गंगा है, स्नान करने जाते हैं। फिर भी कोई पाप आत्मा से पुण्य आत्मा नहीं बनते। फिर साल बाई साल जाकर गंगा स्नान करते हैं। इस समय कोई भी पावन नहीं है। जब तक पावन बनाने वाला बाप न आये तब तक पावन बन न सकें।

पावन बनाते हैं गीता का भगवान्। वह भगवान् तो सभी आत्माओं का बाप एक ही है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) विकर्माजीत बनने के लिए सारी पुरानी दुनिया से बेहद का वैराग्य कर, इसे भूल एक बाप की याद में रहना है।

2) भ्रमरी मिसल ज्ञान रंग लगाने की सेवा करनी है। युक्ति से महारोगियों को निरोगी, नास्तिक को आस्तिक बनाना है।

वरदान:-

परमात्म प्यार की छत्रछाया में सदा सेफ रहने वाले दु:खों की लहरों से मुक्त भव

जैसे कमल पुष्प कीचड़ पानी में होते भी न्यारा रहता है। और जितना न्यारा उतना सबका प्यारा है। ऐसे आप बच्चे दु:ख के संसार से न्यारे और बाप के प्यारे हो गये, यह परमात्म प्यार छत्रछाया बन जाता है। और जिसके ऊपर परमात्म छत्रछाया है उसका कोई क्या कर सकता! इसलिए फ़खुर में रहो कि हम परमात्म छत्रछाया में रहने वाले हैं, दु:ख की लहर हमें स्पर्श भी नहीं कर सकती।

स्लोगन:-

जो अपने श्रेष्ठ चरित्र द्वारा बापदादा तथा ब्राह्मण कुल का नाम रोशन करते हैं वही कुल दीपक हैं। 

Baba ne kha ki apna kul ka deepak hamesha jalaye rakhna bujhne mat dena. Brahman kul ka naam roshan karte rahna. 

Iss kalyug m na kisi ko dukh dena hai aur na hi lena hai. Ham kya karte hai dukh le lete hai aur khud bhi dukhi ho jate hai.

Kitna bhi maya picha kare, aap sada baap ki yaad m mast rahe. Maya apne aap bhag khadi hogi. Koi kitna bhi dukh dete rahe, aapko usko lena hi nahi hai. Baap ki yaad m mast aur gadgad rahna hai.

मातेश्वरी जी के महावाक्य

गुरुनानक ने भी परमात्मा की इतनी बड़ाई की एकोंकार सत् नाम। एकोंकार का अर्थ है परमात्मा एक है। सत् नाम अर्थात् उसका नाम सत्य है तो गोया परमात्मा नाम रूप वाला भी है, अविनाशी है, अकालमूर्त भी है तो फिर कर्ता पुरुष भी है माना वो खुद अकर्ता होते हुए भी कैसे ब्रह्मा तन द्वारा कर्ता पुरुष भी बनता है। अब यह सारी महिमा एक परमात्मा की है, अब मनुष्य इतना समझते हुए फिर भी कहते हैं ईश्वर सर्वत्र है।

यह जो अपने को अविनाशी ज्ञान मिल रहा है वो डायरेक्ट ज्ञान सागर परमात्मा द्वारा मिल रहा है। इस ज्ञान को हम ईश्वरीय ज्ञान कहते हैं क्योंकि इस ज्ञान से मनुष्य आदि मध्य अन्त सुख पाते हैं अर्थात् जन्म-जन्मान्तर दु:ख के बंधन से छूट जाते हैं। कर्मबन्धन में नहीं आते इसीलिए ही इस ज्ञान को अविनाशी ज्ञान कहा जाता है। 

इस ज्ञान में दो मुख्य बातें बुद्धि में रखनी हैं, एक तो इसमें विकारी कलियुगी संगदोष से दूर होना है और दूसरी बात कि मलेच्छ खान-पान आदि की परहेज़ रखनी है। इस परहेज रखने से ही जीवन सफल होती है। अच्छा। ओम् शान्ति।

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About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.