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Brahmakumaris Murli Manthan 16 July 2018

Brahmakumaris Murli Manthan 16 July 2018

“मीठे बच्चे - कोई भी विकर्म करके छिपाना नहीं, छिपकर सभा में बैठने वाले पर बहुत दण्ड पड़ता है इसलिए सावधान, विकार की कड़ी भूल कभी भी नहीं हो”

Aaj baba ne kha ki pavitra banna hi hai tabhi sare vikarm vinash honge aur punya ka khata banega. Baba se kuch chipakar koi kaam nahi karna hai. Baba ka bankar koi vikaram kiya toh kabhi mala ke dana m aayege nahi. Baba ki sab pata chal jata hai.

प्रश्नः-

किस लक्ष्य को सामने रखते हुए पुरुषार्थ में सदा आगे बढ़ते रहना है?

उत्तर:-

लक्ष्य है - हमें सपूत बच्चा बन मात-पिता के तख्तनशीन बनना है। हर कदम में फालो फादर करना है। ऐसी कोई चलन नहीं चलनी है, जिससे कुल कलंकित बनें। ऐसे सपूत बच्चे अपने को यात्री समझ यात्रा में सदा तत्पर रहते हैं। यात्री कभी भी यात्रा पर पतित नहीं बनते, अगर कोई विकार के वश होते हैं तो चकनाचूर हो जाते हैं, सत्यानाश हो जाती है। फिर बहुत दु:खी होते हैं।

Baba ne kha ki koi aisa karam nahi karna hai jo srimat ke virudh ho. Nahi toh satyanash ho jayega aur dukhi hote rahege.

मम्मा बाबा कहकर फिर विकार में गया तो ऐसे समझो मर गया। यह मंजिल बड़ी खबरदारी की है। मैं उस परमपिता परमात्मा की सन्तान हूँ और विचित्र हूँ।

यह तो समझते हो - बाप सुख देने वाला भी है तो फिर धर्मराज द्वारा हिसाब भी पूरा लेते हैं। बाप दु:ख नहीं देते हैं। वह तो सुख दाता है लेकिन बाबा ने समझाया है - जैसे गवर्मेन्ट है तो उनके साथ धर्मराज अर्थात् चीफ जस्टिस (बड़ा जज) भी है। एक-दो को कसम उठवाते हैं ना। यहाँ भगवान खुद कहते हैं - अगर तुम विकारों में गिर पतित बने और सुनाया नहीं तो सौगुणा दण्ड पड़ता रहेगा।

बाप का बच्चा बनकर फिर अगर छिपकर नर्क का द्वार बने और फिर बाबा को समाचार नहीं दिया तो एकदम मर पड़ेंगे फिर कितना भी पुरुषार्थ करे, विजय पा नहीं सकेंगे। बाबा इतला दे रहे हैं। बहुत बच्चे हैं जो छिपाते हैं। विकार में जाना बड़ा पाप है। छिपाया और मरा। ऐसे तो बच्चा न बनें तो अच्छा है।

बाबा सावधान करते हैं - यहाँ असुर से देवता बनाया जाता है। असुर पतित को कहा जाता है। यह सारी पतित आसुरी दुनिया है। पतित दुनिया में पावन कोई होता नहीं।

अपवित्र बन और फिर छिपाया तो बहुत-बहुत कड़ी सजा भोगनी पड़ेगी। ट्रिब्युनल बैठती है फिर यह बाबा भी बैठेंगे। धर्मराज भी बैठेंगे। फिर धर्मराज बतलाते हैं - तुम फलाने समय विकार में गये और सभा में आकर बैठे। बताया नहीं था, अब खाओ सजा इसलिए बाबा कहते हैं - बहुत खबरदार रहना है।

हम बाबा के साथ यात्रा पर हैं। बाबा लेने के लिए आया है। ऐसा न हो माया कहीं कान काट दे। फिर सुनते हुए भी धारणा नहीं होगी। खुशी का पारा नहीं चढ़ेगा। बहुतों को दान करेंगे तो बहुतों की आशीर्वाद मिलेगी। ज्ञान मार्ग में सबसे बहुत मीठा रहना है। लून-पानी नहीं बनना है। विकारी सम्बन्ध से और दैवी सम्बन्ध से तोड़ निभाना है। दोनों तरफ से स्नेही बनना है। बाप भी अपने सपूत बच्चों को देख खुश होते हैं। अच्छा!

Baba ne kha ki bahut khabardar rahna hai pavitra banna hi hai. Ager Baba ka baccha bankar vikar me gaye toh samjho bahut bada dand bhogna padega. Dharamraj tumeh chodege nahi. Maya se bachkar rahna hai.

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) अभी हम यात्रा पर हैं, इसलिए बहुत सम्भलकर चलना है। पवित्र जरूर रहना है।

2) बाप समान निरहंकारी बनना है। हमको बाबा पास जाना है इसलिए सबसे ममत्व निकाल देना है। अपने आपसे बातें कर प्रफुल्लित रहना है।

वरदान:-

दु:ख के चक्करों से सदा मुक्त रहने और सबको मुक्त करने वाले स्वदर्शन चक्रधारी भव

जो बच्चे कर्मेन्द्रियों के वश होकर कहते हैं कि आज आंख ने, मुख ने वा दृष्टि ने धोखा दे दिया, तो धोखा खाना अर्थात् दु:ख की अनुभूति होना। दुनिया वाले कहते हैं - चाहते नहीं थे लेकिन चक्कर में आ गये। लेकिन जो स्वदर्शन चक्रधारी बच्चे हैं वह कभी किसी धोखे के चक्कर में नहीं आ सकते। वह तो दु:ख के चक्करों से मुक्त रहने और सबको मुक्त करने वाले, मालिक बन सर्व कर्मेन्द्रियों से कर्म कराने वाले हैं।

स्लोगन:-

अकाल तख्तनशीन बन अपनी श्रेष्ठ शान में रहो तो कभी परेशान नहीं होंगे।


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About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.