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Brahma Kumaris Murli Manthan 07-08-2020

 Brahma Kumaris Murli Manthan 07-08-2020

"मीठे बच्चे - श्रीमत पर चल सबको मुक्ति-जीवनमुक्ति पाने का रास्ता बताओ, सारा दिन यही धन्धा करते रहो''

Aaj Mithe Baba kahte hai apne bacho se, mithe bacche sabko rasta batana hai, jis mukti-jeevanmukti ka rasta tumeh bhi pata nahi tha, wo baba ne tum baccho ko bata diya hai. Ab tumeh bhi dusro ko rasta batana hain. Sabse pehle srimat par chalna pade tabhi sewa kar sakte hain. Yahi tumhara dhandha(business) hain jo tumeh dinbhar karte rahna hain. Businessman kya karta hain, ek taraf wo wholeseller se maal lata hain aur retail m bechta hain. Hame apne baba se shakti, gyan lekar dusri aatmao ka udhhar karna hain. Nimit bankar sewa karna hain.

Iss samay aatmaye kitna tadap rahi hai, bhagwan ki khoj me kya kya yukti nahi apna na rahi. Hame un sabhi aatmao ka jo dukhi hain, bimar hain, aur iss samay toh kitna crisis ho gaya hain ki sabhi aatmaye dari hui hain. Un sabhi aatmao ko hame gyan sunana hai aur unko baba se light aur might lekar unhe dena hain. Ham sab farishta hai kahi bhi jakar mann aur buddhi se sewa kar sakte hain.


प्रश्नः-

बाप ने कौन-सी सूक्ष्म बातें सुनाई हैं जो बहुत समझने की हैं?

उत्तर:-

सतयुग अमरलोक है, वहाँ आत्मा एक चोला बदल दूसरा लेती है लेकिन मृत्यु का नाम नहीं इसलिए उसे मृत्युलोक नहीं कहा जाता। 2. शिवबाबा की बेहद रचना है, ब्रह्मा की रचना इस समय सिर्फ तुम ब्राह्मण हो। त्रिमूर्ति शिव कहेंगे, त्रिमूर्ति ब्रह्मा नहीं। यह सब बहुत सूक्ष्म बातें बाप ने सुनाई हैं। ऐसी-ऐसी बातों पर विचार कर बुद्धि के लिए स्वयं ही भोजन तैयार करना है।

         ✦ चारों सब्जेक्ट्स के ✦

═════✩   मुख्य बिंदु    ✩═════

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═════✩   ज्ञान    ✩══════

✎..❶  सतयुग अमरलोक है l वहां आत्मा एक चोला बदल दूसरा लेती है , लेकिन मृत्यु का नाम नहीं l

✎..❷  त्रिमूर्ति शिव कहेंगे त्रिमूर्ति ब्रह्मा नहीं l यह सब बहुत सूक्ष्म बातें बाबा ने सुनाई है l ऐसी ऐसी बातों पर विचार कर बुद्धि के लिए स्वयं ही भोजन तैयार करना है l

✎..❸  ब्रह्मा है आदि देव , शिव का बच्चा l शिवबाबा प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा स्थापना कर रहे है l 

✎..❹  सबसे ज्यास्ती पार्ट कहेंगे विष्णु का l विराट रूप विष्णु का दिखाते है l

✎..❺  बाप नए-नए तरीके से समझाते रहते है l

✎..❻  सारे झाड़ का बीज रूप है शिव बाबा l ऊनकी रचना को शालिग्राम कहेंगे l ब्रह्मा की रचना को ब्राह्मण ब्राह्मणीया कहेंगे l

✎..❼  विनाश के समय नेचुरल कैलेमिटीज  भी आती है l विनाश तो होना ही है l कलयुग के बाद फिर सतयुग होगा l

✎..❽  सतयुग में हेल्थ-वेल्थ-हैप्पीनेस सब होता है l

══════✩   योग    ✩══════

✎..❶  मुख्य बात है याद की l  ज्ञान तो बहुत सहज है l याद झट खिसक जाती है l

✎..❷  तुम किसको भी समझाते हो तो याद  अक्षर बोलो l योग अक्षर रॉन्ग है l

✎..❸  टीचर को , बाप को , गुरु को याद किया जाता है l

✎..❹  बाप का मंत्र एक ही है मनमनाभव l फिर मध्याजीभव l तुम विष्णुपुरी में चले जाएंगे l

✎..❺  दिन प्रतिदिन तुमको रिफाइंड बुद्धि बनाते है l


══════✩   धारणा    ✩══════


✎..❶  तुम बच्चों को तो बड़ी खुशी होनी चाहिए l हमको पढ़ाते कौन है ? शिवबाबा- त्रिमूर्ति शिव l 

✎..❷  मैं आया हूं पत्थर बुद्धि को पारस बुद्धि बनाने l

✎..❸  तुम बच्चों को खुशी में नाचना चाहिए l तुम सच्ची कमाई कर रहे हो l स्वर्ग में तुमको सब कुछ नया माल मिलेगा l

✎..❹  महेनत करनी पड़ती है l मेहनत बिगर काम नहीं चलेगा l

✎..❺ रावण राज्य में सब देह अभिमानी बन जाते है l सतयुग में होते है आत्म अभिमानी l 

✎..❻  बच्चों को ज्यास्ती खानपान के हंगामे में भी नहीं जाना चाहिए l खाने का शौख नहीं रहना चाहिए l

✎..❼  सूर्यवंशी लक्ष्मीनारायण बनना है तो फिर इतना पुरुषार्थ करना चाहिए l


══════✩   सेवा    ✩══════


✎..❶  सबसे ऊंच सर्विस शिवबाबा की होती है l सभी आत्माओं को पावन बना कर ले जाते है l

✎..❷  तुम ब्राह्मण श्रीमत पर सेवा करते हो l मनुष्य को मुक्ति - जीवन मुक्ति का रास्ता बताते हो l तुम्हारा सारा दिन यही धंधा है l

✎..❸  जो इस धर्म के होंगे वह निकल आएंगे l

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) हम ब्रह्मा की नई रचना आपस में भाई-बहन हैं, यह अन्दर समझना है किसी को कहने की दरकार नहीं। सदा इसी खुशी में रहना है कि हमें शिवबाबा पढ़ाते हैं।

2) खान-पान के हंगामें में जास्ती नहीं जाना है। हबच (लालच) छोड़ बेहद बादशाही के सुखों को याद करना है।

वरदान:-

माया के सम्बन्धों को डायवोर्स दे बाप के सम्बन्ध से सौदा करने वाले मायाजीत, मोहजीत भव

अब स्मृति से पुराना सौदा कैन्सिल कर सिंगल बनो। आपस में एक दो के सहयोगी भल रहो लेकिन कम्पेनियन नहीं। कम्पेनियन एक को बनाओ तो माया के सम्बन्धों से डायवोर्स हो जायेगा। मायाजीत, मोहजीत विजयी रहेंगे। अगर जरा भी किसी में मोह होगा तो तीव्र पुरूषार्थी के बजाए पुरूषार्थी बन जायेंगे इसलिए क्या भी हो, कुछ भी हो खुशी में नाचते रहो, मिरूआ मौत मलूका शिकार - इसको कहते हैं नष्टोमोहा। ऐसा नष्टोमोहा रहने वाले ही विजय माला के दाने बनते हैं।

स्लोगन:-

सत्यता की विशेषता से डायमण्ड की चमक को बढ़ाओ।

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About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.