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Brahma Kumaris Avyakt Murli Manthan 01-03-1986 Revised Dated 02-08-2020

Brahma Kumaris Avyakt Murli Manthan 01-03-1986 Revised Dated 02-08-2020

होलीहंस बुद्धि, वृत्ति दृष्टि और मुख

         ✦ चारों सब्जेक्ट्स के ✦
═════✩   मुख्य बिंदु    ✩═════
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अव्यक्त वाणी : 01-03-1986

होली हंस बुद्धि , वृत्ति , दृष्टि और मुख l

Aaj Baba jo gyan ke sager hai, prem ke sager hain, sabhi baccho me visheshta hi dekhte hai aur un vishestao ka varnan karte hain. Wo baba jo nirakari, nirwikari, nirahankari, mera baba, pyara baba sabke ke liye rahamdil bhawna, sabke prati subh bhawna, subh kamna apne baccho se kahte hain mithe baccho, buddhi, vriti, drishti aur mukh sada holy hansh ke jaisa ho. Hansh ka example baba dete hai, wo sada pavitra hote, sada pavitra chize hi chugte hain. Aur dharan kar lete hain. Wo gandh nahi khate hain. Toh baba kahte hain ki budhi sada pavitra rahe, parakhne ki achi shakti ho. Sada samarth chintan ho. Apni vriti sada kalyan ki bhawna ho, kalyan ki vriti ho. Taki dusre akalyan ki bhawna ko hamare kalyan ki vriti se parivartan ho jaye. Aur Mukh se sada samarth bol, vardan hi nikale, Mukh se kabhi vyarth bol na nikle. Aisa holy hansh baba hame banate hain. Pavitrata ke sager baba hame bhi holy hansh bana rahe hain. Baba aakar ham baccho ki buddhi ka tala khol dete hain. Aur hamari buddhi bahut hi nirmal ban jati hain. Thank You Baba, mithe baba, mera baba, pyara baba. 

══════✩   ज्ञान    ✩══════

✎..❶   इस समय का परिवर्तन गोल्डन  दुनियाका अधिकारी बनाएगा l
✎..❷  पहले स्व पर विजई l फिर सर्व पर विजइ , फिर प्रकृति पर विजइ बनेंगे l प्रकृतिमें वायुमंडल , वाइब्रेशन या स्थूल प्रकृति की समस्याएं सब आ जाता है l
✎..❸  बाप-दादा के पास तो जो जैसा है , जितना करता है , जिस स्टेज से करता है सब जमा होता है l
✎..❹  स्मृति , स्थिति और सेवा तीनों ही समर्थ हो l
✎..❺  वरदान भूमि पर आना यह महान भाग्य है l

══════✩   योग    ✩══════

✎..❶  एक बल एक भरोसा आगे बढ़ा रहा है l
✎..❷  ऑस्ट्रेलिया वाले भटकती हुई आत्माओं के ऊपर रहम दिल बन सेवा में आगे बढ़ रहे है l
✎..❸  बाप से प्यार की निशानी यह है कि सभी ब्राह्मण आत्माएं प्यारी लगेगी l
✎..❹  सदा बाप और वरसे की स्मृति में रहते  हो ? स्थिति  का आधार  है स्मृति l शक्तिशाली स्मृति है - " मैं बाप का और बाप मेरा " l 
✎..❺  बाप की याद ही श्रेष्ठ बनाती है , पावन बनाती है l स्नेहसे और संबंधसे याद करो l

══════✩   धारणा    ✩══════

✎..❶  बापदादा हर एक बच्चे को देख रहे है कि कहां तक होली हंस बने है !
✎..❷  होली हंस बुद्धि अर्थात सदा हर आत्मा के प्रति श्रेष्ठ और शुभ सोचने वाले l कंकर और रत्नको अच्छी तरह परख कर  रत्न को धारण करने वाले l
✎..❸  होली हंस के मुख से कभी व्यर्थ नहीं निकलेगा l
✎..❹  स्वउन्नति का समय ज्यादा नहीं रहा है l इसलिए अपने को चेक करो , चेंज करो l
✎..❺  जो बाप ने कहा उसे धारण किया l धारण करने से प्रैक्टिकल स्वत: ही आ जाएगा l
✎..❻  बापदादा सदा हर बच्चे की विशेषता देखते है और वर्णन करते है l
✎..❼  निराकारी , निर्विकारी और निरअहंकारी यह तीनों विशेषताएं निमित्त भाव से स्वत: आ जाती है l निमित्त भाव अनेक प्रकार का मैं-पन और मेरा-पन स्वत: खत्म कर देता है l
✎..❽  सभी अपने को विशेष आत्मा समझते हो ! बोलना भी विशेष , देखना भी विशेष , करना भी विशेष , सोचना भी विशेष l इससे संपूर्णता को प्राप्त कर लेंगे l

══════✩   सेवा    ✩══════

✎..❶  सदा हर आत्मा के प्रति श्रेष्ठ कल्याण की वृत्ति हो l
✎..❷  औरों के अकल्याण की वृत्ति को अपने कल्याण की वृत्ति से बदलना यही होली हंस का कर्तव्य है l
✎..❸  दृष्टि में सदा हर आत्मा के प्रति श्रेष्ठ शुद्ध स्नेह की दृष्टि हो l
✎..❹  श्रेष्ठ भाव , शुभ भावना से अपने वा दूसरों के भाव-स्वभाव को परिवर्तन करने की विजय प्राप्त करेंगे l
✎..❺ ऑस्ट्रेलिया वाले सभी को आगे रख कर चांस देते हो , यह विशेषता है l 
✎..❻  ऑस्ट्रेलिया में पांडवों को सेवा का चांस विशेष मिला हुआ है l ज्यादा सेंटर्स भी पांडव संभालते है l शक्तियों ने पांडवों को चांस दिया है l आगे रखने वाले सदैव आगे रहते ही है l
✎..❼  पांडव अपने को सदा निमित्त समज सेवा में आगे बढ़ रहे हो ना ! सेवा में निमित्त बनना अर्थात स्टेज पर आना l वो सोचेंगे - "हम जो करेंगे हमें देख सब करेंगे" l इससे अटेंशन रहेगा l
✎..❽  सच्ची दिल से सेवा करने वाले अपना बहुत अच्छी रीती से जमा कर रहे है l 

वरदान:-

मस्तक द्वारा सन्तुष्टता के चमक की झलक दिखाने वाले साक्षात्कारमूर्त भव

जो सदा सन्तुष्ट रहते हैं, उनके मस्तक से सन्तुष्टता की झलक सदा चमकती रहती है, उन्हें कोई भी उदास आत्मा यदि देख लेती है तो वह भी खुश हो जाती है, उसकी उदासी मिट जाती है। जिनके पास सन्तुष्टता की खुशी का खजाना है उनके पीछे स्वत: ही सब आकर्षित होते हैं। उनका खुशी का चेहरा चैतन्य बोर्ड बन जाता है जो अनेक आत्माओं को बनाने वाले का परिचय देता है। तो ऐसी सन्तुष्ट रहने और सर्व को सन्तुष्ट करने वाली सन्तुष्ट मणियां बनो जिससे अनेकों को साक्षात्कार हो।

स्लोगन:-

चोट लगाने वाले का काम है चोट लगाना और आपका काम है अपने को बचा लेना।

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About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.