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एकाग्रता बढ़ाने के लिए क्या करें?

एकाग्रता बढ़ाने के लिए क्या करें? Answer By Rajyogi BK Surya Bhai Jee, Brahma Kumaris



अचानक मेरी एकाग्रता नष्ट हो गयी हैं, मन उखड़ा-उखड़ा सा रहता हैं | न संसार अच्छा लगता हैं, न ये जीवन जीने की इच्छा होती है, सब कुछ छोड़ दूँ | मुझे सत्मार्ग दिखाएँ | 

आप परेशान न हो, आपको अपने चित्त को पुनः स्थिर करना हैं | ये कुछ अभ्यास हैं... आप 15 दिन दृढ़ता पूर्वक अभ्यास करें |

मैं एक श्रेष्ठ आत्मा हूँ... मैं सर्वशक्तिमान का बच्चा हूँ... उसने ही मुझे ये सूंदर जीवन दिया है... मुझे संसार के लिए कुछ महान कार्य करने हैं... मेरे साथ स्वयं भगवान हैं... उसने मुझे वरदान दिया है कि सफलता मेरा जनम सिद्ध अधिकार है... यह जीवन प्रभु सौगात है...मुझे इससे सजाकर रखना हैं | 

यह विचार आपमें नयी शक्ति भरेंगे और आप स्थिर चित्त हो जाएंगे |

ज्यादा जानकारी के लिए अपने नजदीकी ब्रह्माकुमारीज सेंटर पर आये |

प्रतिदिन 25 बार ये अभ्यास करें कि मैं सर्वशक्तिमान की संतान, मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ |



29-12-19 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज: 27-03-85 मधुबन

और विशेष बात यह देखी कि समय प्रति समय परखने की शक्ति में कई बच्चे कमजोर हो जाते हैं। परख नहीं सकते हैं इसलिए धोखा खा लेते हैं। परखने की शक्ति कमजोर होने का कारण है बुद्धि की लगन एकाग्र नहीं है। जहाँ एकाग्रता है वहाँ परखने की शक्ति स्वत: ही बढ़ती है। 

एकाग्रता अर्थात् एक बाप के साथ सदा लगन में मगन रहना। एकाग्रता की निशानी सदा उड़ती कला के अनुभूति की एकरस स्थिति होगी। एक-रस का अर्थ यह नहीं कि वही रफ्तार हो तो एकरस है। एकरस अर्थात् सदा उड़ती कला की महसूसता रहे, इसमें एकरस। जो कल था उससे आज परसेन्टेज में वृद्धि का अनुभव करें। इसको कहा जाता है उड़ती कला। तो स्व उन्नति के लिए, सेवा की उन्नति के लिए परखने की शक्ति बहुत आवश्यक है। 

aaj avyakt murli me baba ne kha ki ekargata ki shakti kam hone se bacche har wa dhokha kha lete hain. Ekargata ki shakti se hamare ander parakhne ke shakti aati hain. Aur ekargata matlab ki aapki lagan ek ke sath ho. 

Ek ki lagan me magan rahna. Apne ko aatma samjh ek baap ko yaad karna. Jaise Brahma Kumaris Shantivan, Mount abu me 104 saal ki dadi janki jee, unhe viswa ki sabse stable mind ki mahila ka award mila. Unke mind ka analysis machine dwara kiya gaya jisme paya gaya ki, unke mind me har second uthne wale number of thoughts bahut hi kam the. 

Isliye kha jata hai ki dadi jee sabse stable mind hai. puri dunia me aisa mind aur nahi. Wo sada ek ki lagan me rahti hain, aur kahti bhi hai, main kaun aur mera kaun. Main aatma, mera parampita paramatma. This is the truth. Rajyogini Dadi janki jee bahut salo se rajyog ka abhyas kar rahi hai. Aur issi ke karan unka mind ki stage yaha tak pahuchi hain.

Toh baba aaj ekagrata par hi bata rahe the. ki Agar mind ekagra ho toh parakhne ki shakti hamari aachi ho jati hain aur ham kisi se dhokha nahi khate.

Finally, Ekagrata badhane ke liye hame rajyoga abhyas ki jarurat hai, jo swami vivekanand bhi kiya karte the aur issi yog ke karan unki ekagrata bahut hi aachi thi.

How To Become Like God: भगवान की तरह कैसे बनें

How To Become Like God?


भगवान की तरह कैसे बनें?

Aaj ki Avyakt Murli me Baba ne kha ki kaise ham Bhagwan ke saman ban sakte hain? Hame kya purusharth karna hai? Sab Baba ne aaj Gyan murli me kha. Ager ham Srimat par chale aur bhagwan ke khe maha vakyon ko follow karen toh ham jarur baap saman ban jayege.

आप श्रेष्ठ आत्माओं का हर दिन, हर समय उत्साह भरा उत्सव है। अज्ञानी आत्मायें स्वयं को उत्साह में लाने के लिए उत्सव मनाते हैं। लेकिन आप श्रेष्ठ आत्माओं के लिए यह ब्राह्मण जीवन उत्साह की जीवन है। उमंग, खुशी से भरी हुई जीवन है इसलिए संगमयुग ही उत्सव का युग है।

Baba Ne Kha bacche aap sab bhagwan ke ati snehi bacche, padmapadam bhagyashali ho jo purushart dwara pavitra ban rahe ho.

Loukik me bhi koi baccha nahi padhta hai toh usse pitai lagti hai tab wo thoda bahut padhta hai. Baba ne kha ki bacche hame jo itne janmo se pap karam kiye hai wo kaise chuktu hoga, yog se ya bhog(punish) dwara. Jab ham yog karte hai toh ek pavitra agni paida hoti hai usme hamare janam janam ke pap bhashm ho jate hain. Ager ham bhagwan ke diye hue srimat ka palan karte hai toh hamara jeevan pavitra banta jata hai aur hame dua milti hai. Ham punyaaatma bante jate hain. 

Mujhe kuch pata nahi tha, jab maine Brahma Kumaris Join kiye aur yaha 7 days ka free course kiya toh mujhe aatma gyan hua aur main bhi purushart karne lag pada. Dunia wale kahte hai ki hame toh sab pata hai, ham bhi toh khub bhakti karte hai. Kya koi parivartan aaya? Geeta me hath rakhkar kasam khate hai ki jo kahege sach kahege sach ke alawa kuch nahi. Lekin bolte kya hai?

Purusharth matlab ham kewal srimat par chalege, rawanmat par nahi. Aur yadi ham aisa karte hai toh ham bhi Bhagwan(Baap) saman bante jate hai aur ham devi-devta ban jate hai. Nar se Narayan aur Nari se Lakshmi.

May you become equal to the Father and become powerful by having the awareness of the highest Father, the highest self and the highest task.

How To Change People's Habit?

How To Change People's Habit?


"BEING LOVE - Creating beautiful relationships", a NEW BOOK by BK Shivani. You can order on Amazon: 


BK Shivani explains the power of our vibrations. If we criticize people for their weakness, our negative energy reaffirms that part of their personality. To help them change, our vibrations should match the reality that we want to see in them. If someone is not punctual, radiate a thought - "He is always punctual." If someone is dishonest, radiate a thought "Honest soul."

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Tulsi Vivah Ka Adhyatmik Rahashya: तुलसी विवाह का आध्यात्मिक रहश्य

Tulsi Vivah Ka Adhyatmik Rahashya: तुलसी विवाह का आध्यात्मिक रहश्य





तुलसी विवाह की कथा तथा आध्यात्मिक रहस्य

प्राचीन ग्रंथों में तुलसी विवाह व्रत की अनेक कथाएं दी हुई हैं। उन कथाओं में से एक कथा निम्न है।

इस कथा के अनुसार एक कुटुम्ब में ननद तथा भाभी साथ रहती थी। ननद का विवाह अभी नहीं हुआ था। वह तुलसी के पौधे की बहुत सेवा करती थी। लेकिन उसकी भाभी को यह सब बिलकुल भी पसन्द नहीं था। जब कभी उसकी भाभी को अत्यधिक क्रोध आता तब वह उसे ताना देते हुए कहती कि जब तुम्हारा विवाह होगा तो मैं तुलसी ही बारातियों को खाने को दूंगी और तुम्हारे दहेज में भी तुलसी ही दूंगी।

कुछ समय बीत जाने पर ननद का विवाह पक्का हुआ। विवाह के दिन भाभी ने अपनी कथनी अनुसार बारातियों के सामने तुलसी का गमला फोड़ दिया और खाने के लिए कहा। तुलसी की कृपा से वह फूटा हुआ गमला अनेकों स्वादिष्ट पकवानों में बदल गया। भाभी ने गहनों के नाम पर तुलसी की मंजरी से बने गहने पहना दिए। वह सब भी सुन्दर सोने–जवाहरात में बदल गए। भाभी ने वस्त्रों के स्थान पर तुलसी का जनेऊ रख दिया। वह रेशमी तथा सुन्दर वस्त्रों में बदल गया। ननद की ससुराल में उसके दहेज की बहुत प्रशंसा की गई। यह बात भाभी के कानों तक भी पहुंची। उसे बहुत आश्चर्य हुआ। उसे अब तुलसी माता की पूजा का महत्व समझ आया। भाभी की एक लड़की थी। 

वह अपनी लड़की से कहने लगी कि तुम भी तुलसी की सेवा किया करो। तुम्हें भी बुआ की तरह फल मिलेगा। वह जबर्दस्ती अपनी लड़की से सेवा करने को कहती लेकिन लड़की का मन तुलसी सेवा में नहीं लगता था। लड़की के बडी़ होने पर उसके विवाह का समय आता है। तब भाभी सोचती है कि जैसा व्यवहार मैने अपनी ननद के साथ किया था वैसा ही मैं अपनी लड़की के साथ भी करती हूं तो यह भी गहनों से लद जाएगी और बारातियों को खाने में पकवान मिलेंगें। ससुराल में इसे भी बहुत इज्जत मिलेगी। 

यह सोचकर वह बारातियों के सामने तुलसी का गमला फोड़ देती है। लेकिन इस बार गमले की मिट्टी, मिट्टी ही रहती है। मंजरी तथा पत्ते भी अपने रुप में ही रहते हैं। जनेऊ भी अपना रुप नहीम बदलता है। सभी लोगों तथा बारातियों द्वारा भाभी की बुराई की जाती है। लड़की के ससुराल वाले भी लड़की की बुराई करते हैं।भाभी कभी ननद को नहीं बुलाती थी। भाई ने सोचा मैं बहन से मिलकर आता हूँ। उसने अपनी पत्नी से कहा और कुछ उपहार बहन के पास ले जाने की बात कही। 

भाभी ने थैले में ज्वार भरकर कहा कि और कुछ नहीं है तुम यही ले जाओ। वह दुखी मन से बहन के पास चल दिया। वह सोचता रहा कि कोई भाई अपने बहन के घर ज्वार कैसे ले जा सकता है। यह सोचकर वह एक गौशला के पास रुका और जुवार का थैला गाय के सामने पलट दिया। तभी गाय पालने वाले ने कहा कि आप गाय के सामने हीरे-मोती तथा सोना क्यों डाल रहे हो। भाई ने सारी बात उसे बताई और धन लेकर खुशी से अपनी बहन के घर की ओर चल दिया। दोनों बहन-भाई एक-दूसरे को देखकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं।

उपरोक्त कथा हमें शिक्षा देती है कि हम जैसे कर्म का बीज बोएँगे, हमें वैसा ही फल मिलेगा। अगर हम श्रेष्ठ कर्म करेंगे, तो अवश्य ही हमें फल भी श्रेष्ठ प्राप्त होगा, जबकि यदि हम बुरा कर्म करेंगे, तो हमें फल भी बुरा ही मिलेगा।

उपरोक्त कथा हमें ईर्ष्या, किसी के बारे में बुरा सोचना आदि दुर्गुणों से ऊपर उठकर सत्कर्म करने की प्रेरणा देती है।

✳अतः
यदि हम वर्तमान धरमौ, कल्याणकारी, पुरुषोत्तम संगम युग में, जबकि परमात्मा शिव इस धरती पर आकर हमें सहज राजयोग के द्वारा मनुष्य से देवता बनने की श्रीमत् दे रहे हैं कि हम अपने को आत्मा समझ कर उन्हे याद कर संपूर्ण पावन और देवता अर्थात दैवी गुणों वाला मनुष्य बनें तो हमें उपरोक्त कथा अनुसार ननद के समान आने वाली स्वर्गिक दुनिया - सतयुग में सर्व सुखों से संपन्न होंगे।

🌱आप सभी को तुलसी विवाह के शुभ अवसर की बहुत-बहुत बधाई हो।

💓 से ओम शान्ति 🌹

The Power of Coolness - शीतलता की शक्ति - Manthan

The Power of Coolness - शीतलता की शक्ति - Manthan

Om Shanti to all peaceful and divine brothers and sisters,

Aaj Bhagwan(Shiv Baba) ne murli me kha ki bachhe, power of coolness se aap un sab aatmao ko madad kar sakte ho jo pareshan hain aur dukhi hain. Jaise Koi insan dhup me pareshan hota hai ki kahi chhaya mile aur tree unko chhaya deti hain. Thik usi prakar ham aatmaye jo bhagwan ka nitya dhyan karte hain aur Roj Geeta gyan padhte hai, dharan karte hain wo bacche un sabhi pareshan aur dukhi aatmao ke liye tree ban sakte hain aur unhe shanti, prem, sukh, pavitrata, gyan, shakti de sakte hain.

कैसे हर एक - सितारा ज्ञान सूर्य द्वारा सत्यता की लाइट माइट ले बाप समान सत्यता की शक्ति सम्पन्न सत्य स्वरूप बने हैं। और ज्ञान चन्द्रमा द्वारा शीतलता की शक्ति धारण कर चन्द्रमा समान शीतल स्वरूप बने हैं। यह दोनों शक्तियाँ सत्यता और शीतलता सदा सहज सफ-लता को प्राप्त कराती हैं। 
Bhagwan Ne aaj murli me kha ki bacche gyan surya baap se hame satyata ki light might milti hain aur ham baap saman satyata ki shakti(power of truth) sampann ban jate hain aur gyan chadrama ma se hame shitalta ki shakti(power of coolness) milti hai aur ham peaceful soul ban jate hain. Yeh Dono shakti se hame sahaj safalta mil jati hain. 

Yeh dono shakti jiske paas hoti hai wo kisi bhi aatma ki shanti pradan kar sakte hain. Aaj kal dunia me sabhi pareshan, dukhi, rogi, kami, bhogi hain aur ham aatmaye aisi aatmao ko shanti ki shakti, pyar ki shakti de sakte hain jisse wo bilkul nirogi, pavitra, shant aatma ban jayege. Aane wala samay aisa aa raha hai jab ham sab aatmaye sahyogi ban sakege jab sahajyogi honge tab. Ham aatmao ko pahle geeta gyan dharan karke  pavitra banna hai tab ham kisi ko pavitrata ke vibration de sakte hain.

उपवास से लाभ और हानियाँ - Benefits And Harmful Effects Of Fasting

उपवास से लाभ और हानियाँ


- उपवास में जब 12 घंटे या उससे अधिक कुछ नहीं खाते है तो हमारे शरीर मेंं एक ऐसी प्रक्रिया  आरंभ हो जाती है़  जिसमे हमारे शरीर की कोशिकाएं ( Cells ) शरीर में मौजूद  चर्बी को गलाकर इसके माध्यम से ऊर्जा लेना शुरू कर देती है ।

- यह ऊर्जा भोजन से मिलने वाली ऊर्जा की अपेक्षा दिमाग और शरीर दोनों के लिए अधिक फायदेमंद होती है।

-इस का असर शरीर पर लंबे समय तक बना रहता है।

-लगतार सुबह का उपवास और राजयोग के अभ्यास से कोशिकाओं में साफ सफाई के लिए होने वाली प्रक्रिया आरंभ हो जाती है़  जिस से व्यक्ति की आयु बढ़ने लगती है़ । 

-सुबह के उपवास से  कोशिकाओं को नुकसान करने वाले विषैले तत्व और बेक्टिरिया भी नष्ट  होने लगते है जिस से  शरीर की कार्यक्षमता बढ  जाती है।

- उपवास करने से शरीर में  अच्छे बेक्टिरिया की वृद्धि भी होने लगती है ।

-उपवास करने से  गंभीर रोग सोरायसिस , पेट की सूजन , एक्जिमा , गठिया आदि भी ठीक हो सकते है ।

-उपवास और राजयोग के अभ्यास से तन , मन और चेतन के सभी दोष व विकार दूर होकर सम्पूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

- उपवास करने से  हीमोग्लोबिन सही रहता है.

- उपवास रखने से नुकसान भी होते हैं।

-उपवास जब अधिक समय तक पेट में किसी तरह का भोजन या पेय पदार्थ नहीं जाता है तो मस्तिष्क में कुछ खतरनाक रसायन बनते हैं जिसके कारण आपको गंभीर सिरदर्द हो सकता है। इस लिये लम्बे उपवास  न  करें ।

- उपवास रखने से शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है जिसके कारण आपको जी मिचलाने, चक्कर आने या फिर कमजोरी की समस्या हो सकती है। जब ऐसा महसूस हो तो सिर्फ  एक संतरा या मौसमी या सेब आदि खा  लें ।

- अगर आपके शरीर में खून की कमी हो या फिर आप पहले से ही बहुत कमजोर हों तो आपको उपवास रखने का नुकसान हो सकता है। ऐसी दशा मेंं डॉक्टर्स से राय करें ।

-अक्सर देखा जाता है कि व्रत या उपवास के दौरान व्यक्ति अधिक चिड़चिड़ेपन (irritation) का शिकार हो जाता है और उसे गुस्सा भी बहुत ज्यादा आता है।

- अगर आप गुस्सैल स्वभाव के हों तो  व्रत या उपवास (upvas) के समय फलों का रस लेते रहें । 

World Mental Health Day -10 October 2019 - Theme Suicide Prevention

World Mental Health Day -10 October 2019 - Theme Suicide Prevention


Today is "World Mental Health Day" and Dr.Avdhesh Sharma, Consultant Well-Being and Psychiatrist is here to talk about this year's theme "Suicide Prevention".

https://www.facebook.com/brahmakumaris/videos/739351939911581/

DYK: Every 40 seconds, someone loses their life to #suicide.

This year we are focusing on #SuicidePrevention. Join us in raising awareness of the scale of suicide around the 🌏🌎🌍 & play a role to help prevent it 👉 http://bit.ly/2VCsr9T

IF WE-
Stop reading & watching negative media
Study & apply spiritual principles
Meditate and do pranayam, yoga
Be with people more than gadgets
Then together by 2020 we can
ERADICATE DEPRESSION - BK Shivani













क्या पेड़ पौधों मे जान होती हैं क्या उनमें आत्मा होती हैं या वो जड़ हैं उनकी वृद्धि कैसे होती हैं स्पस्ट करें?

क्या पेड़ पौधों 🌱मे जान होती हैं ❓क्या उनमें आत्मा होती हैं या वो जड़ हैं उनकी वृद्धि कैसे होती हैं स्पस्ट करें❓❓




🌾 पहले तो ये समझना चाहिए क़ि क्या पेड़ पौधों में आत्मा होती हैं, आत्मा केवल मनुष्य व एनिमल्स में होती हैं प्लांट्स में आत्मा नही होती। ये सुनकर आपको आश्चर्य लग रहा होगा अगर पेड़ पौधों में आत्मा नही होती हैं तो पेड़ पौधे grow ग्रो कैसे करते हैं।

🌴 पेड़ पौधो में अलग से कोई आत्मा प्रवेश नहीं करती है जिस तरह प्राणीयों में प्रवेश करती है। उनमें जड़ तत्वों के विशेष गुण होते हैं जो चेतन जैसे प्रतीत होते है l
     इनमें मस्तिष्क नहीं होताl इसलिये वे सोच नहीं सकते लेकिन उनमें तंत्रिका तंत्र होता है, जो उन्हे प्रतिक्रिया देने में सहायता करता है l जैसे छुईमुई का पौधा, सूरजमुखी आदि l

🌾 पुरे ब्रह्माण्ड में दो चीजें हैं एक होता हैं जीव और दूसरी होती हैं आत्मा, जीव अर्थात मैटर कई बार मैटर भी ऐसी हरकतें दिखाता हैं जिससे ये लगें कि उसके अंदर चेतना या जान हैं लेकिन वो चेतना नही होती। जैसे कोई भी पौधे के अंदर ब्रेन नही होता है और न वो सुख और दुःख या दर्द को महसूस कर सकते हैं , पेड़ पौधों के अंदर सोचने समझने की शक्ति भी नही होती हैं।

🌴 एनिमल्स के अंदर नर्वस सिस्टम होता हैं वे सुख दुःख को महसूस कर सकते हैं प्लांट्स नही कर सकते। कोई भी बायोलॉजिकल रिसर्च ये नही बता रहा हैं कि प्लांट्स के अन्दर नर्वस सिस्टम होते हैं जब नर्वस सिस्टम ही नही तो प्लांट्स फील ही नही कर सकता सुख और दुःख, इसलिए पेड़ को हम काट रहे हैं तो उसकी हम हत्या कर रहे हैं या हिंसा कर रहे हैं ऐसा नही हैं।

🌱🌱🌱उनकी वृद्धि कैसे होती है ?

🌾 पेड़-पौधो में भिन्न-भिन्न प्रकार होते है l और उनके अपने बीज होते है, जिनके आधार पर वे अनुकूल वातावरण में अंकुरित होते हैं l फलते-फूलते हैं और अपने गुण-धर्म के अनुरूप पंच तत्वों अर्थात् मिट्टी, पानी, हवा, अग्नि, आकाश से अणु-परमाणु आकर्षित करके अपनी वृद्धि करते हैं l और आगे के लिये नये बीजो का सृजन करते है l इनमें कोशिकाएँ होती हैं l और इनका एक मैगनेटिक फील्ड होता है जो उसके आकार, प्रकार और स्वरूप पर निर्भर करता, परन्तु उसमें सोचने समझने, स्थान्तरित होने आदि की अपनी शक्ति नही होती है जैसे चेतन आत्मा की होती है l

🌴 पेड़ पौधे एक लिविंग मैटर हैं जो फिजियो केमिकल रिएक्शन के तहत बढ़ते हैं। पेड़-पौधे प्रकृति की रचना है, प्रकृति मनुष्य के वाइब्रेशन को ग्रहण करती हैं पेड़ पौधो का कनेक्शन प्रकृति के 5 तत्वों से हैं बीज को जब हम धरती में बोते हैं खाद पानी डालते है उससे ही पेड़ पौधों की उत्पत्ति और वृद्धि होती हैं। सूर्य से ऊर्जा प्राप्त होती हैं जिससे पेड़ पौधों का विकास होता हैं। ऐसा नही हैं कि उनमें मनुष्य की तरह आत्मा होती हैं इस कारण वो वृद्धि को पाते हैं। पेड पौधों मे जो ऊर्जा है वो उन्हें बीज से प्राप्त होती हैं । जब तक पेड पौधे अपने बीज से जुड़े है उन्हें जल मिलता है। सूर्य से उन्हें रोशनी मिलती हैं। इस तरह पेड-पौधों की वृद्धि होती हैं।

🌾 पेड़ पौधों में जो ग्रोथ होती हैं वो मनुष्यों की शरीर की ही भांति होती हैं जैसे कि प्लांट फिजियोलॉजी जो हम पढ़ते हैं कि जो सेल डिवीज़न होता हैं जो कोशिका विभाजन प्रिक्रिया के द्वारा हमारे शरीर की संरचना होती है और ग्रोथ होती हैं। उसमें 5 तत्वों का अहम रोल होता हैं - जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश उसी प्रकार से प्लांट में ही सेल डिवीज़न होता है उनके अंदर भी ग्रोथ होती हैं और इस प्रकार उनमे वृद्धि होती हैं।

🌴 पेड़ और पौधों को हम भोजन के लिए उपयोग करते हैं तो इसमें कोई हिंसा नही हैं क्योंकि इनमें कोई आत्मा नही हैं केवल लिविंग मैटर होते हैं एक तत्व होते हैं जो फिजियो केमिकल रिएक्शन के तहत बढ़ते हैं।

🌾 कुछ पेड़-पौधे ऐसे होते है जिनका बीज नहीं होता हैं, उनकी कलम लगती हैं l कुछ पेड़-पौधे मांसाहारी होते हैं जैसे फिलीपींस में मिलने वाला नेपेंथिस डायनियाना नामक मांसाहारी पौधा है।

🌴 पौधें हमें छाया देते हैं भोजन देते हैं बहुत कुछ हमारा प्लांट्स पर निर्भर करता हैं इसलिए हमनें उनको देवता का रूप दे दिया हैं लेकिन वो देवता कोई हईैं नही लेकिन उनके अन्दर कोई जान नही होती हैं लेकिन आज जो कहते प्लांट्स को काटना नही चाहिए उनके अंदर भी जान होती हैं तो ये केवल अवेयरनेस के लिए हैं ऐसा जिससे लोग उसकी वैल्यू को समझें क्योंकि प्लांट्स के द्वारा हमे ऑक्सिजन मिलती हैं कार्बन डाई ऑक्साइड को कुछ प्लांट्स अब्जॉर्ब करते हैं खत्म करते हैं।तो बिना नेचर के हमारा जीवन असंभव हैं।

🌾 प्लांट्स पर भी वाइब्रेशन का प्रभाव पड़ता हैं जैसे शरीर पर पड़ता है वाइब्रेशन का प्रभाव । सबसे ज्यादा जो अब्जॉर्ब करने की पॉवर हैं वो पानी के अंदर होती हैं तो वो पौधों में ही होता हैं जिससे उनकी ग्रोथ होती हैं, इसलिए विदेशों में तो जहाँ पर प्लांट्स होते हैं वहाँ पर म्यूजिक सिस्टम लगाये जाते हैं और प्लांट्स की ग्रोथ बहुत अच्छी होती हैं। हमारी वाइब्रेशन का प्रभाव प्रकृति पर आता हैं इसलिए कहा जाता हैं कि प्रकृति को मनुष्य ने ख़राब किया हैं नेगेटिव वाइब्रेशन आये विकार आये तो उसका प्रभाव प्रकृति पर आता हैं।

🌴 पेड़ पौधे मनुष्य के वाइब्रेशन को ग्रहण करते है , जैसे की एक पौधे को आप रोज नेगेटिव वाइब्रेशन दो कि ये तो पौधा बढ़ेगा ही नही इसके फल भी अच्छे नही होंगे आदि। तो वो उसको ग्रहण अवश्य करते है और आप देखेंगे कि उसका विकास भी सही रीति नही हो पाता।

🌾 जैसे कि एक पौधे को आप रोज पॉजिटिव वाइब्रेशन दो और उसे परमात्मा पिता से कनेक्शन जोड़कर शक्ति और प्योर वाइब्रेशन दो तो वो अवश्य ही उसको ग्रहण करते हैं और उसकी growth और उसके फल में भी आपको अवश्य अच्छा रिजल्ट मिलेगा।

🌴मनुष्य के संकल्पो का प्रभाव प्रकृति पर पड़ता हैं। इसके प्रैक्टिकल उदाहरण आज शाश्वत यौगिक खेती में भी आप देख सकते हैं। जिन -जिन स्थान पर खेतों में रोज योग किया गया। जो भाई /बहन प्रतिदिन वहाँ नियम से  करते थे बाबा का झंडा जिन्होंने अपने खेतों में लगाया वहाँ की फसल और उसकी पैदावार भी बहुत अच्छी हुई हैं और बिना किसी कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग के। क्योंकि प्रकृति मनुष्य के वाइब्रेशन को ग्रहण करती हैं। राजयोग के नित्य अभ्यास से हम प्रकृति को भी पावन बना सकते हैं।

Check Out Answers and Views by Many Peoples Here: Research

https://www.quora.com/Do-trees-have-souls

5 Steps To Becoming A Perfect Angel

5 Steps To Becoming A Perfect Angel



A very important aspect of our lives is giving respect to everyone we meet in the day and showering praise on each one as they interact with us. People often talk to us and everyone is looking for and expecting love filled behaviour from us. So, to serve others with my nature and good wishes radiating from my inner positivity, I need to be full of the treasures of all the qualities that exist in human nature. There should not be a single positive nature characteristic or virtue that I should be lacking.

When we became full of all qualities, people will experience perfection from us and get inspired to become perfect themselves. Sometimes a single negative word, action or even facial expression can distance people from us and also make them inclined towards negativity. In this message, we look at different practical methods to become a perfect human being or angel, who satisfies everyone at every step and becomes an example for others to follow:

1. Create The I Am A Soul Feeling - The first and foremost step towards becoming perfect is seeing oneself as a spiritual being and not a human form only. This is because it is the soul which performs all actions. To remember that it is me responsible for everything I do, through soul consciousness, will make me positive and powerful and always to willing to bring positive changes in myself. The soul is an energy with immense potential to bring about any thought and personality change through the power of self-wisdom and the power of determination. So, right from the time you wake up every morning and throughout the day, keep the I am a soul feeling in your mind, and make actions beautiful and perfect.

2. Remember God Is Watching You - The best way to start becoming perfect is to know and remember that our spiritual parent, the soul’s Father and Mother is watching us and always wants us to imbibe positive qualities. This is what even any physical parent would want from his or her child. The child should become beautiful within and not just on the outside in terms of looks and personality. Also, as a teacher, God is watching us. He wants us to excel in different ways, as someone who gives respect and gets respect, who makes others content and others are also content with and also as someone who radiates goodness to others, in every sphere of life. Thirdly, as a Guide, God is watching us and wants to be a perfect example of the right way of living. Others should get inspired by how we lead our lives. As a friend, God wants us to hold His hand and show the world how true Godly companionship is the need of the hour. It is the key to remaining light and blissful, when surrounded by life’s pressures of the physical body, wealth, role and relationships.

3. Remind Yourself You Are On The World Stage - We are all actors of the world and our every act is like a performance in the eyes of the world. Remember even every thought and feeling of yours is constantly being felt and perceived by people around you. It’s as if you are on a stage and just like you notice everything that others do, others are also doing the same. When we remain in this actor consciousness, we will see our every action with greater respect and responsibility and not be careless in the way we present ourselves to people. Also, the slogan that - What we do, others will also see and do the same - will become a positive reality on our lives.

4. Keep A Daily Chart For Your Progress - The key to perfection is self-observation and under the eye of self-observation, weakness stop existing. So, keeping a daily mental chart about your self-progress is a very important key to becoming a beautiful person without any imperfections. E.g. I become angry very easily. If this afternoon I observe myself and make a note in my mind that I have been very peaceful and loveful since the morning and will continue to behave in the same anger-free manner for the rest of the day, it makes me more careful. Such a mental chart of regular progress over many days, makes us spiritual engineers who construct bridges of goodness that help us reach our desired stage of perfect human beings easily.

5. Give A Gift To Everyone You Meet – The best way to become a beautiful human being, who does not make any mistakes at the level of the personality is gifting a virtue, a kind word, a lovely smile, a warm handshake, a caring hug to people you meet. When you make everyone richer with your love, joy and cheerfulness, they will return the same to you and you will become further richer. Spiritually rich people with the wealth of every virtue in their heart are created by donating that wealth to all. Also, the more others take this wealth from us at all times, the more we become careful that we do not make mistakes that reduce this wealth in anyway. So, take these 5 steps to becoming a perfect angel! Start the journey today and keep enjoying it!

Always Happy : How To Always Be Happy And Positive : हर श्वांस में खुशी का साज बजना ही इस श्रेष्ठ जन्म की सौगात है

Always Happy : How To Always Be Happy And Positive

हर श्वांस में खुशी का साज बजना ही इस श्रेष्ठ जन्म की सौगात है |

Always Happy : How To Always Be Happy And Positive

Always Happy : How To Always Be Happy And Positive

Om Shanti to All Divine Sisters and Brothers,

Kal Mahalaya Sampann hua aur aaj se Navratri ki shuruwat ho gayi, Aaj kalash sthapna hain. Isliye aaplogo se navaratri ke spiritual and scientific rahashya ka video share kar raha hun. Jarur Dekhe.

Navratri Day 1st I Significance I BK Shivani




इस नवरात्री आइये खुद को आध्यत्मिकता से सशक्त करें | B.K. Usha Didi | Godlywood Studio



Brahmakumaris ke aaj sunday dated 29 Sep 2019 ki avyakt murli ka anubhaw aapse share kar raha hu aur aaye iss par manthan bhi karte hain.

Aaj ki murli ka title hain ki har sans me khushi ka saaj(music) bajna ki iss shresth janam ki sougat hain. Hame hamesha hi khush rahna hain. Lekin Kya yeh hamesha possible hain? Toh iss baat me kitna sachhai hain? Iss srishti chakra me 2 baar aisa samay aata hain jab ham hamesha khushi ka anubhaw karte hain. Ek kalyuga ke ant aur satyug ke aadi ka samay jisse ham Sangamyug kehte hain, jab khud bhagwan aakar(yada-yada hi dharmashya...) hame sacha sacha Geeta gyan padhate hain aur hamesha ke kiye khush bana dete hain. Hamare sare dukh har(dukh harta, sukh karta) lete hain. Yahi samay bhagya banane ka hain. Toh hua na always happiness. Toh Aaye Brahma Kumaris ke kisi bhi najdiki center aur bhagya banaye.

Muj aatma ke manthan anusar, dusra samay hain Satyug(Swarg, Paradize, Sukhdham etc), Jaha ek dharam, ek rajya, ek bhasha hoti hain jis dharam ka naam aadi sanatan devi-devta dharam hota hain. Jaha aatma puri 16 kala sampuran hoti hain aur sato guno(pavitrata, gyan, prem, sukh, shanti, anand aur shakti) se bharpur hoti hain. Waha dukh ka namo nisan nahi hota hain. Toh hua na always happiness

Bhole Nath Bhandari

Itna din se hamlog puja karte aa rahe hai, bhole nath jee ka, lekin kya hame malum hain ki bhole nath bhandari kyo kaha jata hain. Wo kaun sa bhandar hai jisse ham aatmao ko ve bharpur kar dete hain. Yeh yahi aatma ke satogunn. Jab aatma satoguno se bharpur ho jati hain toh bhole nath bhandari hame swarg ke 21 janam ka rajya-bhag de dete hain. Aur hamare 21 janam khub dhan se bhar dete hain. Isliye Bharat ko sone ki chidiyan kha jata hain. Toh bhagwan jab aate hain toh hame Geeta Gyan padha kar aatmao ko paawan banate hain.

आप सदा खुशनसीब सदा सम्पन्न श्रेष्ठ आत्मायें हो
Jab Bhagwan aate hai toh hame hamesha ke liye khush bana dete hain. Ham kya karte hain? Ham paristhithi vas Negative sochne lagte hain aur apne bhagya ko hi kosne lagte hain. Hamne Brahmakumaris ka 7 days ka course kiya hain aur hamne bhagwan ko pahchan liya hain. Bhagwan(Baap), Bhagya+wan = Bhagwan. Wo khud aaye hai hamara bhgya banne, toh kya hame apna bhagya nahi banana hain? Bhagya batne ka samay toh yahi hai. Jo Chal Raha hain.

अभी का पुरूषार्थ इक्कीस जन्म की प्रालब्ध। इक्कीस जन्म सदा सम्पन्न स्वरूप में होंगे। तो पुरूषार्थ क्या किया? मेहनत लगती है? पुरूषार्थ अर्थात् सिर्फ अपने को इस रथ में विराजमान पुरूष अर्थात् आत्मा समझो। इसको कहते हैं पुरुषार्थ। यह पुरुषार्थ किया ना। इस पुरुषार्थ के फलस्वरूप इक्कीस जन्म सदा खुश और मौज में रहेंगे। अब भी संगमयुग मौजों का युग है। मूँझने का नहीं, मौजों का युग है।
आज के इस दिव्य दिवस की विशेष सौगात बापदादा सभी स्नेही बच्चों को दो गोल्डन बोल दे रहे हैं। एक सदा अपने को समझो-"मैं बाप का नूरे रत्न हूँ।'' दूसरा-"सदा बाप का साथ और हाथ मेरे ऊपर है।'' साथ भी है और हाथ भी है। सदा आशीर्वाद का हाथ है और सदा सह-योग का साथ है। 
Toh Hame Brahma Baap Saman Banna Hai, Sada Khus. Sirf Thoda samay khush nahi. Pura Sangamyug hi mouz ka samay hain. Baap-Dada Ke Godi(hamesha baap ke sath ka anubhaw, mahsusta) me baith hamesa khus. Devi-Devta Ban rahe hain. Devi-Devta rote hai kya. Nahi Na!

Dil Se Om Shanti! Agar aap kuch kahna chahte hai, toh jarur comment kare 

न खाली हाथ आए थे, न जाएंगे, कर्म की बैलेंस शीट साथ होगी।

न खाली हाथ आए थे, न जाएंगे, कर्म की बैलेंस शीट साथ होगी।

न खाली हाथ आए थे, न जाएंगे, कर्म की बैलेंस शीट साथ होगी।

जीवन में सफल होने के लिए एक ही मंत्र याद रखना, अपने फायदे से पहले दूसरे का फायदा सोचना है। कभी हमने ऐसा अनुभव किया कि हम फल लेने के लिए फल की दुकान पर गए और उसने कहा साहब आज ताजे फल नहीं है, आप सामने वाली दुकान से खरीद लो। आपको भी मिलते होंगे न ऐसे लोग।

जिसने अपने फायदे से पहले दूसरे का फायदा सोचा। 200 रुपए आपके लिए कोई चीज नहीं है लेकिन उस दुकानदार के लिए बहुत बड़ी चीज है। ये उसकी वृत्ति है कि उसने अपने फायदे से पहले हमारा फायदा सोचा। हम घर जाएंगे तो उसके बारे में जरूर सोचेंगे। उस दिन उस फल वाले ने आपसे दुआएं कमाई। हम घर जाकर दो-चार लोगों को यह बात बताएंगे। उस दिन उस दुकानदार ने धन नहीं बल्कि दुआएं कमाई।

अगले दिन से हमने जिन चार लोगों को बताया वे चार लोग दस लोगों को बताएंगे और सभी उसी फल वाले के पास जाएंगे। जो धन कमाते हैं जरूरी नहीं है कि वे दुआएं भी कमाते हैं। लेकिन जो लोग दुआएं कमाते हैं वे अपनी क्षमता से कई गुना ज्यादा धन-नाम-सम्मान कमाते हैं। धन से हमारे घर में सिर्फ सम्मान आएगा लेकिन दुआओं से हमारे घर में धन के साथ-साथ खुशी आएगी, सेहत आएगी, अच्छे रिश्ते आएंगे। कई बार जीवन में कोई मुसीबत आ जाती है, फिर अचानक ठीक हो जाती है। हम कहते हैं जरूर किसी की दुआ लगी है। दुआ ऐसे ही फ्री में नहीं लगती। हमने ही किसी कर्म से दुआ कमाई होती है। और कई बार उलटा हो जाता है। वह भी यूं ही नहीं मिलता। उसे भी हमने ही किसी कर्म से कमाया होता है।

आजकल डॉक्टर और वकील से समाज भी डरता है। कहते हैं डॉक्टर-वकील के चक्कर में फंस गए। पेशे का उद्देश्य होना चाहिए कि कोई भी हमारे पास दर्द में आए तो उसको जल्दी से ठीक कर दें। उस समय यह न सोचें कि थोड़ा लम्बा खींच लेंगे तो हम ज्यादा कमा लेंगे। अगर आप उसे जल्दी से ठीक कर देंगे तो आपके पास लाइन लग जाएगी। इन दोनों प्रोफेशन को कुछ चैरिटी करने की जरूरत है। जब लाइन लगी हुई है तो लोगों को खुशी दो, दुआएं कमाओ तो और लोग आएंगे। आज मुझे मालूम है गलती करने के बाद भी वकील है जो बचा लेंगे। लेकिन जिसने गलती की है जब हम उसका साथ देंगे तो हम किसी और के साथ गलत कर रहे होते हैं। इससे हमारा कार्मिक अकाउंट बन जाएगा।

ध्यान रहे कि मुझसे कोई कर्म ऐसा न हो जिससे किसी और को दुख हो, जिसकी कोई गलती ही नहीं थी, उनके भाग्य में मेरे कर्म की वजह से दु:ख लिखा जाए। तो फिर मेरी बैलेंस शीट कहां जाएगी? आत्मा अपनी यात्रा पर है जब हम शरीर छोड़ेंगे तो आप अपने साथ क्या लेकर जाएंगे? सब लोग यही कहते हैं कि खाली हाथ आए थे खाली हाथ जाना है। यह कहना गलत है, न हम खाली हाथ आए थे और न हम खाली हाथ जाएंगे। ये जो सब दिखता है, जो धन कमाया है, जो लोग मिले हैं, वे सब छूट जाएंगे, लेकिन जो कर्म की बैलेंस शीट है वह साथ जाएगी।

BK Shivani Sister



बेहतर का नियम - The Rule Of Perfection

बेहतर  का नियम - The Rule Of Perfection - Job Promotion

हम जो देते है वही मिलता है लेकिन हमें पहले देना  पड़ता है ।


Friends, Ham Jo Dete Hai wahi hame milta hai, lekin yeh hai ki pehle dena padta hai. Jaise pehle ham kisi ko pranam karte hai ya good morning bolte hai toh hame bhi samne wala asirvad deta hai aur good morning bolta hai. Jaise ham diwal par white ball(good deed) pheke ya black ball(bad karma) pheke, jaisa phekege waisa hi laut kar return aayega. Ham kisi ke sath haskar baat karte hai toh samnewala bhi haskar hi bat karta hai. Jaisa karege waisa bharege.

हो सकता है आप दिहांडी  मजदूर हो, इसके बावजूद आप दे सकते है । थोड़ी ज्यादा ऊर्जा, श्रम  और विचार  दें  ।


Dosto ek garib aatmi tha aur bahut hi dukhi tha, wo ek sadhu jee ke paas gaya aur kha ki sadhu jee bahut dukhi hai kuch upay bataye. Sadhu jee bataye ki tum thoda daan-pun karna shuru karo. Tab thik ho gayega. Wo garib aadmi kahne laga ki main khud garib hun main kha se doonga kisi ko. Tab wo sadhu jee bole ki aap kuch nahi daan de sakte, unhone kha ki aap kisi ko ek muskan toh de saakte hai, isme toh paisa nahi lagta hain. 

Saabke sath haskar baat kiya kare. Yaha iss line me bhi mujhe yahi samjh aaya ki chahe ham garib ho lekin hamare hath m kya hai jo ham de sakte hain. Jyada Urja, thoda jyada mehnat, thoda jyada imandari, wafadari etc. Hame dekhna hai ki ham apni behtari ke liye kya kar rahe hain. Ham apna promotion chahte toh hain lekin usske badle me kuch nahi karte hain.

Dosto ek baar mujhe poocha ki bhaiya job m promotion kaise hoga, bade dino se promotion nahi hua hai. Maine poocha aapne itne dino me kya creativity kiya hain. Hame apna kartavyon dwara boss ko impress karna hai bus, boos khud bula ke hamaro salary m aur post m promotion dete hain.

अपने कामकाज में थोड़ी अतिरिक्त योग्यता लाने की  कोशिश करें ।


Dosto, jab ham koi job kar rahe hote hai aur bahut dino tak promotion nahi hota hai toh ham job chodne ka soch lete hai aur chod bhi dete hai aur kahi aur job join kar lete hai. Lekin isse kya phayda. 

Phark toh tab padta hai dosto jab ham kuch naya sikhte hai. Ham apni skills ko nahi badhate, ham kuch naya karke boss ko nahi dikhate. Ham apne me leadership skills develop nahi karte hai aur sochte hai job m promotion kyo nahi ho raha. 

Dosto ek baat yeh bhi hai ki employee bahut hi aacha hai, wo apne skills ko bada bhi raha hai, leadership skills bhi hai lekin boss unki salary ya post promotion nahi de rahe hai, waha kya hota hai wo ek bahut hi aacha employee kho deta hain.

आप को जो काम दिया जाता है आप दिमाग के इस्तेमाल से  उसे करने का कोई बेहतर तरीका खोजे । अच्छी सफाई, अच्छा  भोजन बनाना, अच्छा  प्रबंधन, मीठे  बोल, मीठी  मुस्कान ।


Dosto hame jo bhi kaam diya jata hai toh ham usse bus kar dete hai kisi tarah. Lekin kuch log hote hai ki pehle yeh search karte hai ki yeh kaam kisi tarah behtar tarike se aur kam samay me kiya ja sakta hai. Iss par pura research karke wo kam ko kam samay m kar dete hai aur behtar tarik se bhi karte hain. 

Boliye dosto kaun aacha hai, kisse boss pasand karege. Toh dosto hame jo bhi kam diya jata hai usse ham aur bhi behtar tarik se kar sakte hain, chahe wo koi bhi kam ho. Aur wo kaam bhi aur effective ho jata hai jab ham mithi muskan ke sath aur mitha bolkar aur pure umang utsah ke sath koi kaam karte hain.


ऐसा एक भी  काम नहीं है जो विचार  करने से बेहतर न  बनता हो । ऐसी कोई विधि नहीं है जो विचार  करने से बेहतर न बनती हो ।


Dosto, aisa koi kaam hai jo thoda vichar karne se behtar na bane. Toh hame har kaam karne se pehle thoda sochna chahiye aur usse behtar karne ke tarik ko sochna chahiye. Hame apne working style ke bare m sochna chahiye ki ham kaise behtar bana sakte hain. 

अपने काम के बारे लगातार सोचते रहें । जब तक काम करें, हर घड़ी सोचे, क्या कोई ऐसा  तरीका है  जिस से यह काम ज्यादा आसानी से, ज्यादा जल्दी और बेहतर तरीके से किया जा सकें ।


सदा  याद रखो


बेहतर योग, बेहतर  ज्ञान , बेहतर सेवा,  बेहतर  लौकिक कार्य, बेहतर संकल्प, बेहतर सेहत, बेहतर ड्राइविंग, बेहतर विद्यार्थीपन, बेहतर चरित्र  ।


आप जो हो, जहां हो , जैसे हो  बस एक शब्द दिमाग में रिपीट करो   ' बेहतर'  कैसे बनाऊ । आप की यह सोच आप को अमीरी की राह पर ले जायेंगी ।


ओम शान्ति

16 Singar Ka Matlab - 16 सिंगार का मतलब

16 Singar Ka Matlab - 16 सिंगार का मतलब

16 Singar Ka Matlab - 16 सिंगार का मतलब
16 Singar Ka Matlab - 16 सिंगार का मतलब
Om Shanti - Parmatma Pyare Bhaiyon Aur Bahno - Aaj Teej parva pure bharat me bahut hi dhum dham se manaya ja raha hain. Jisme Sabhi Bahne apne pati ki lambi umar ke liye yeh parva bade hi utsah se karte aaye hai aur aaj ke din nirjala upwas karke, 16 singar karke itni sharadhha se mana rahi hain. 

Kya Bhai ke liye koi parva hain jo apne patni ki lambi umar ke liye karte ho?

Mujhe nahi yaad aata hai ki koi parva hoga jisme bhai upwas karte ho apne patni ke liye ya bahan ke liye(Godhan, rakshabandhan, bhai-dooj etc). Maine yeh kahi padha hain ki Bharat me sabhi tyohar bahne par hi kendrit hain. Kyoki Bhagwan aate hai toh swarg ki sthapna ki kalash bahno ko dete hain. Isliye bharat me nariyon ko puja jata hain.
Bharat Mata Ki Jai 
Durga Mata Ki Jai
Saraswati Mata Ki Jai
Kali Mata Ki Jai
Lakshmi Mata Ki Jai
Ganga Mata Ki Jai etc

Jab Bhagwan aate hain to ham aatmao ka 16 singaar karte hain

Aaj teej ke din sabhi striyan apne pati ke liye 16 singar karti hain. Maine yeh padha hain ki bhagwan ham sabhi aatmao ko 16 kla sampurna banate hain geeta gyan dwara aur hame swarg ki badhsahi de dete hain. Maine upar me ek chitra share kiya hain usme 16 kalayen dikhaye hai sri krishna ke. 

Bhagwan ham sab aatmao ko Geeta gyan padhate hain aur ham aatmaye yeh gyan dharan karke 16 kla sampurna bante hain. Kyoki kahte hain swarg me sabhi aatmaye 16 kla sampurn pavitra hogi. Mujhe lagta hai ki aaj teej ka tyohar ke madhyam se bhagwan hame yeh sikh dete hain ki hame(pati-patni) 16 kla sampurn banna hai abhi aur aane wali swarg ki badsahi leni hain bhagwan se. 

Pati-patni ka risha bada hi pavitra bataya gaya hai shashtro main. Lekin mujhe lagta hai ki aaj iss ghor kalyug me yeh rishta bada hi apavitra ho chuka hai. Ghar-ghar me ladai, divorce cases, sas-bahu me ladai. Yeh sab mujhe lagta hai ki kam vikar ke karan hi ho raha hai. Geeta me bhi likha hai ki Kam Maha Shatru - kam ko jitkar hi ham aatmaye jagatjit ban sakte hain. 

Dil Se Om Shanti



Spiritual Significance : Why Rakshabandhan? - Brahma Kumaris

Why Rakshabandhan?
The Spiritual Significance Of Rakhi, Rakshabandhan?

Rakshabandhan Ka Sandesh - Pavitra Bano Yogi Bano
Rakshabandhan Ka Sandesh - Pavitra Bano Yogi Bano

Pavitra Bano, Yogi Bano

Pavitra bano, yogi bano ka sandesh dete yah rakshabandhan ka parv. Pavitra bandhan, pavitra rishta. Iss sansar me bhai-bahan ka rishta pavitra mana jata hain. Ek bhai apne bahan se pavitrata ki pratigya karta hai aur yeh wada karta hai ki wo hamesha uske raksha karega. Iss parv ka bada hi guhya aadhyatmik rahashya hain. Yeh parv pavitrata ki nishani hai ki ham sab aatmaye Jab apavitra ban jate hain, dukhi ho jate hain iss sansar me toh bhagwan aate hain aur ham aatmao ko adopt karte hain aur hame sabse pehla vardan yahi dete hain ki pavitra bano, yogi bano. Parmatma ham aatmao ko pavitrata ki rakhi bandhte hain. Isliye sabhi aatmaye brahmano se bhi rakhi bandhwate hain aur aajkal sabhi aatmaye rakhi bandhte hain. 

Aaj kal mahilao par kitna aatyachar ho raha hai, ham sab jante hai. Kitna crime badh gaya hai. Aur yeh apvitrata ke karan hi aisa samjh banta ja raha hain. Yeh parab hame yeh sikhata hai ki ham sabhi ko apna bahan samjhe. Ham sab brahma ki santan, bhai-bahan hai aur shiv baba(bhagwan) ki santan sabhi aatmaye bhai-bhai hai. Yeh tayohar hamare samaj me yeh awareness failata hain ki ham sabhi bahno ki raksha kare, repect every women. Yeh puri dunia hi ek parivar hain aur ham sab aatmaye bhai-bahan hain. Kewal apne bahan nahi, pura sansar me hi ham sab bhai-bahan hain. 

Ham sab ek parampita ki santan hain. Shiv Shaktiyan aur pandav sena. Hame phir se aisa bharat banana hain jaha nariyon ki puja hoti hain. Nari par aatyachar hona, yeh aatma me kam, krodh, lobh, moh, ahankar vikaro ke karan badh raha hain. Jaha, Durga, Kali, Lakshmi, Saraswati ki puja hoti hain waise desh me ham rahte hain. Bhagwan kahte hain, tum sab aapas me bhai bhai ho, bhagwan aayeh hai ham sabhi aatmao ko pavitra banane aur vardan dete hain, pavitra bano, yogi bano.

Ham iss pawan parv me pavitra ki rakhi bandhe. Pavitrata ki rakhi hai toh sabhi aatmaye safe hain. Bhagwan ki aagya hai ki ham pavitra bane. Isliye rakhi bandhne wada karne ka parb hain. Ham bhagwan se wada karte hai, vrat karte hain ki pavitra jarur banege aur phir pavitra(kam, krodh, lobh, moh, ahankar par vijay) bankar dilkhush mithai khate hai aur sukhi aur shant bante hain. 

Bhagwan pahle hame aatmik swarup ka tilak lagate hain, aur hamari aatma rupi dipak jaga dete hain. Matlab hamari budhi me laga tala khol dete hain. Hamari buddhi pavitra banate hain. Yahi ek tayohar hain jisme sabhi aatmaye vrat leti hain aur wada karte hain bhagwan se ki ham patit se pawan jarur banege. Patit, aapavitra buddhi ke karan hi sari dunia me pap hi pap, dukh hi dukh, aashanti hi aashanti aa jati hain. Jaha pavitrata hai waha sukh aur shanti hai. Iss tayohar ke spiritual significance ko hame samjhne ki jarurat hain. Ek parmatma hi sabhi aatmao ko aatmik tilak dete hain aur bacche baba se pratigya karte hain ki ham pavitra banege baba, chahe kuch bhi ho jaye ham pavitrata ko aapnayege. 

raksha bandhan ka adhyatmik rahashya


❖ “राखी मज़बूत करती है मर्यादाओं की डोर” ❖

(Part:~1)

➳ रक्षाबंधन का त्योहार भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। चिरातीत काल से ही बहनें भाई की कलाई पर श्रावणी पूर्णिमा को राखी बांधती चली आ रही हैं। 

➳ भारत का यह त्योहार विश्व भर में अपनी प्रकार का एक अनूठा ही त्योहार है। भाई को स्नेह के सूत्र में बांधने वाली यह एक बहुत ही मर्मस्पर्शी और भावभीनी भस्म है। यह त्योहार बहन और भाई के पारस्परिक स्नेह और सम्बन्ध के रूप में मनाया जाता है। 

➳ इस दिन बहनें भाई को राखी बांधती है और उनका मुख मीठा कराती है। कैसी है भारत की यह अद्भुत परम्परा कि भाई अपने हृदय में अपनी बहन के प्रति स्नेह-समुद्र को बटोरे हुए सहर्ष ही इसे स्वीकार कर लेता है। 

➳ 4-10 मिनट की इस रस्म में भारतीय संस्कृति की वह झलक देखने को मिलती है कि किस प्रकार यहाँ बहन और भाई में एक मासूम उम्र से लेकर जीवन के अंत तक एक-दूसरे से प्यार का यह सम्बन्ध अटूट बना रहता है। यह धागा तो एक दिन टूट भी जाता है, परंतु मन को मिलाने वाला स्नेह के सूक्ष्म सूत्र नहीं टूटते। 

➳ यदि वह तार किसी पारिवारिक तूफान के झटके से टूट भी जाता है, तो फिर अगली राखी पर फिर से नया सूत्र उस स्नेह में एक नयी ज़िंदगी और एक नयी तरंग भर देता है। इस प्रकार यह स्नेह की धारा जीवन के अंत तक ऐसे ही बहती रहती है जैसे कि गंगा, अपने उद्गम स्थल से लेकर सागर के संगम तक कहीं तीव्र और कहीं मधुर गति से प्रवाहित होती रहती है। 

➳ रक्षाबंधन को केवल कायिक अथवा आर्थिक रक्षा का प्रतीक मानना इस त्योहार के महत्व को कम कर देने के बराबर है। 

➳ भारत एक मुख्यतः एक आध्यात्मिक प्रधान देश है। यहाँ मनाए जाने वाला हर त्योहार आध्यात्मिक पृष्ठभूमि को लिए हुए है। 

➳ यदि उसी परिपेक्ष्य में देखा जाए तो रक्षाबंधन का भी आध्यात्मिक महत्व है। भारत में सूत्र सदा किसी आध्यात्मिक भाव को लेकर ही बाँधे जाते हैं। 

➳ दूसरों शब्दों में कहें, सूत्र बांधने की रस्म शुद्ध धार्मिक है और हर धार्मिक कार्य को शुरू करने के समय कुछ व्रतों अथवा नियमों को ग्रहण करने के लिए यह रस्म अदा की जाती है। जब भी किसी व्यक्ति से कोई संकल्प कराया जाता है तो उसे सूत्र बांधा जाता है और तिलक भी दिया जाता है। 

➳ सूत्र बांधना और संकल्प करना तथा तिलक देना - इन तीनों का सहचर्य आध्यात्मिक संकल्प का ही प्रतीक है क्योंकि यह रस्म सदा किसी धार्मिक अथवा पवित्र व्यक्ति द्वारा ही कराई जाती है और सूत्र बँधवाने वाला व्यक्ति संकल्प करने वाले को दक्षिणा भी देता है- इसी का रूपांतर यह ‘रक्षा बंधन’ त्योहार है। यह त्योहर एक धार्मिक त्योहार है और यह इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने के संकल्प का सूचक है, अर्थात भाई और बहन के नाते में जो मन, वचन कर्म की पवित्रता समाई हुई है, यह उसका बोधक है। 


➳ पुनश्च, यह ऐसे समय की याद दिलाता है, जब परमपिता परमात्मा ने प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा कन्याओं-माताओं को ब्राह्मण पद पर आसीन किया, उन्हें ज्ञान का कलश दिया और उन द्वारा भाई-बहन के सम्बन्ध की पवित्रता की स्थापना का कार्य किया जिसके फलस्वरूप सतयुगी पवित्र सृष्टि की स्थापना हुई। उसी पुनीत कार्य की आज पुनरावृति हो रही है।

❖ “राखी मज़बूत करती है मर्यादाओं की डोर” ❖

(Part:~2)

➳ यदि ज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो रक्षाबंधन एक बहुत ही रहस्ययुक्त पर्व है। यदि इसकी पूरी जानकारी हो और ज्ञान-युक्त रीति से इस बंधन को निभाया जाए तो मनुष्य को मुक्ति और जीवन मुक्ति की प्राप्ति हो सकती है। 

➳  इसके बारे में एक जगह यह भी वर्णन आता है कि जब असुरों से हारकर इंद्र ने अपना राज्य-भाग्य गंवा दिया था तो उसने भी इंद्राणी से यह रक्षाबंधन बंधवाया था और इसके फलस्वरूप उसने अपना खोया हुआ स्वराज्य पुनः प्राप्त कर लिया था। 

➳ इसी प्रकार, एक दूसरे आख्यान में यह वर्णन मिलता है कि यम ने भी अपनी बहन यमुना से यह रक्षाबंधन बंधवाया था और कहा था कि इस बंधन को बांधने वाले मनुष्य यमदूतों से छूट जाएंगे। 

➳ स्पष्ट है कि ऐसा रक्षाबंधन जिससे कि स्वर्ग का स्वराज्य प्राप्त हो अथवा मनुष्य यम के दंडों से बच जाए, पवित्रता का ही बंधन हो सकता है, अन्य कोई बंधन नहीं। अब प्रश्न उठता है कि इस त्योहार से इतनी बड़ी प्राप्ति कैसे होती है? इसका उत्तर हमें इस त्योहार के अन्यान्य नामों से ही मिल जाता है। 

➳ रक्षा बंधन को ‘विष तोड़क पर्व’ ‘पुण्य प्रदायक’ पर्व भी कहा जाता है, जो इसके अन्य- अन्य नाम हैं उससे यह सिद्ध होता है कि यह त्योहार रक्षा करने, पुण्य करने और विषय-विकारों की आदत को तोड़ने की प्रेरणा देने वाला त्योहार है।

➳ सचमुच भारत-भूमि की मर्यादायें और यहाँ की रस्में एक बहुत ही गहरे दर्शन को स्वयं में छिपाये हुए है। यह स्वयं में एक जागृति का प्रतीक है और एक महान संस्कृति का द्योतक है

➳ यह वृतांत विश्व ज्ञात है कि शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में जहां हर धर्म के प्रतिनिधि श्रोताओं को ‘प्रिय भाइयों’ कहकर संबोधित कर रहे थे, तब भारतीय संस्कृति और परम्परा के प्रतिनिधि स्वामी विवेककानंद ने सम्बोधन में कहा था- ‘प्रिय भाइयों और बहनों’ तब वहाँ का हाल (Hall) तालियों से गूंज उठा था और चहुं ओर से आवाज़ आई “वाह! वाह!” 

➳ क्योंकि निश्चय ही बहन और भाई के सम्बन्ध में जो स्नेह है, वह एक अपनी ही प्रकार का निर्मल स्नेह है जिसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं। इसमें एक विशेष प्रकार की आत्मीयता का भाव है, निकटता है और एक दूसरे के प्रति हित की भावना है।

 ➳ “प्रिय बहनों और भाइयों”- इन शब्दों में वहाँ के विश्व धर्म सम्मेलन के श्रोताओं ने सब प्रकार के झगड़ों का हल निहित महसूस किया था। इन शब्दों ने ही भारतीय संस्कृति के झंडे को सबके समक्ष बुलंद किया था। परंतु स्नेह-सिक्त शब्दों में, जिनमें बड़े-बड़े दार्शनिकों ने गूढ़ दर्शनिकता पायी थी और धार्मिक नेताओं ने धर्म का सार पाया था। 

➳ बहन और भाई के निर्मल स्नेह का स्वरूप था, जो इस त्योहार का मूल था, वे अपने अनादि स्थान भारत से प्रायः लुप्त होते जा रहे हैं। अतः आज के संदर्भ में राखी की पुरानी रस्म की बजाय एक नए दृष्टिकोण से इस त्योहार को मनाने की ज़रूरत है। 


➳ दूसरे शब्दों में कहें, अर्थ-बोध के बिना राखी मनाने की बजाय अब राखी के मर्म को समझकर इसे मानते हुए, वातावरण को बदलने की आवश्यकता है। तभी इसकी सार्थकता सिद्ध होगी।


The True Significance Of Raksha Bandhan

Raksha Bandhan Song | Raksha Bandhan Special | Brahmakumaris


रक्षाबंधन : Rakshabandhan


Rakshabandhan Ka Adhyatmik Rahasya by BK Suraj Bhai


अनोखा रक्षाबंधन - परमात्म रक्षासूत्र आपके लिए - पावर ऑफ सकाश मधुबन




About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.