Brahmakumaris Murli Manthan 8 August 2018
"मीठे बच्चे - यह पुरानी दुनिया अब मिट्टी में मिल धूलछाई हो जायेगी, इसलिए इस धूल में मिलने वाली दुनिया से अपना बुद्धियोग निकाल दो"
प्रश्नः-
मनुष्यों की कौन-सी चाहना एक बाप ही पूरी कर सकते हैं?
उत्तर:-
मनुष्य चाहते हैं शान्ति हो। लेकिन अशान्त किसने बनाया है, यह नहीं जानते हैं। तुम उन्हें बतलाते हो कि 5 विकारों ने ही तुम्हें अशान्त किया है। भारत में जब पवित्रता थी तो शान्ति थी। अब बाप फिर से पवित्र प्रवृत्ति मार्ग स्थापन करते हैं, जहाँ सुख-शान्ति सब होगी। मुक्ति-जीवनमुक्ति की राह बाप के सिवाए कोई बतला नहीं सकता।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बेहद ड्रामा के राज़ को बुद्धि में रख नथिंगन्यु का पाठ पक्का करना है। वाणी से परे रह वानप्रस्थ अवस्था में जाना है।
2) माया दुश्मन पर जीत पाने के लिए सर्वशक्तिमान बाप से शक्ति लेनी है। ज्ञान नयन हीन आत्माओं को ज्ञान नेत्र देना है।
वरदान:-
सहनशक्ति का कवच पहन, सम्पूर्ण स्टेज को वरने वाले विघ्न जीत भव
अपनी सम्पूर्ण स्टेज को वरने अर्थात् प्राप्त करने के लिए अलबेलेपन के नाज़ नखरों को छोड़ सहनशक्ति में मजबूत बनो। सहनशक्ति ही सर्व विघ्नों से बचने का कवच है। जो यह कवच नहीं पहनते वह नाजुक बन जाते हैं। फिर बाप की बातें बाप को ही सुनाते हैं, कभी बहुत उमंग-उत्साह में रहते, कभी दिलशिकस्त हो जाते। अब इस उतरने चढ़ने की सीढ़ी को छोड़ सदा उमंग-उत्साह में रहो तो सम्पूर्ण स्टेज समीप आ जायेगी।
स्लोगन:-
याद और सेवा की शक्ति से अनेक आत्माओं पर रहम करना ही रहमदिल बनना है।
"मीठे बच्चे - यह पुरानी दुनिया अब मिट्टी में मिल धूलछाई हो जायेगी, इसलिए इस धूल में मिलने वाली दुनिया से अपना बुद्धियोग निकाल दो"
प्रश्नः-
मनुष्यों की कौन-सी चाहना एक बाप ही पूरी कर सकते हैं?
उत्तर:-
मनुष्य चाहते हैं शान्ति हो। लेकिन अशान्त किसने बनाया है, यह नहीं जानते हैं। तुम उन्हें बतलाते हो कि 5 विकारों ने ही तुम्हें अशान्त किया है। भारत में जब पवित्रता थी तो शान्ति थी। अब बाप फिर से पवित्र प्रवृत्ति मार्ग स्थापन करते हैं, जहाँ सुख-शान्ति सब होगी। मुक्ति-जीवनमुक्ति की राह बाप के सिवाए कोई बतला नहीं सकता।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बेहद ड्रामा के राज़ को बुद्धि में रख नथिंगन्यु का पाठ पक्का करना है। वाणी से परे रह वानप्रस्थ अवस्था में जाना है।
2) माया दुश्मन पर जीत पाने के लिए सर्वशक्तिमान बाप से शक्ति लेनी है। ज्ञान नयन हीन आत्माओं को ज्ञान नेत्र देना है।
वरदान:-
सहनशक्ति का कवच पहन, सम्पूर्ण स्टेज को वरने वाले विघ्न जीत भव
अपनी सम्पूर्ण स्टेज को वरने अर्थात् प्राप्त करने के लिए अलबेलेपन के नाज़ नखरों को छोड़ सहनशक्ति में मजबूत बनो। सहनशक्ति ही सर्व विघ्नों से बचने का कवच है। जो यह कवच नहीं पहनते वह नाजुक बन जाते हैं। फिर बाप की बातें बाप को ही सुनाते हैं, कभी बहुत उमंग-उत्साह में रहते, कभी दिलशिकस्त हो जाते। अब इस उतरने चढ़ने की सीढ़ी को छोड़ सदा उमंग-उत्साह में रहो तो सम्पूर्ण स्टेज समीप आ जायेगी।
स्लोगन:-
याद और सेवा की शक्ति से अनेक आत्माओं पर रहम करना ही रहमदिल बनना है।
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