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Shiv Aur Shankar Me Mahan Antar - शिव और शंकर में महान अन्तर - Brahma Kumaris

Shiv Aur Shankar Me Mahan Antar

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☀ "शिव और शंकर में महान अन्तर" ☀

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अधिकाँश भक्त शिव और शंकर को एक ही मानते हैं, परन्तु वास्तव में इन दोनों में भिन्नता है। आप देखते हैं कि दोनों की प्रतिमायें भी अलग-अलग आकार वाली होती हैं। शिव की प्रतिमा अण्डाकार अथवा अंगुष्ठाकार होती है जबकि महादेव शंकर जी की प्रतिमा शारीरिक आकार वाली होती है।यहाँ उन दोनों का अलग-अलग परिचय, जोकि परमपिता परमात्मा शिव ने अब स्वयं हमे समझाया है तथा अनुभव कराया है स्पष्ट किया जा रहा है । इसे हर किसी को समझने की जरूरत है। इसे समझने के बाद ही श्रद्धालुओं को उसके अनुरूप ही पूजा अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान करना चाहिए।


🌸 परमात्मा शिव ज्योति बिंदु है, जबकि शंकर जी का शारीरिक आकार है। 


🌸 शिव परमात्मा सारी सृष्टि के रचयिता हैं, जबकि शंकर जी स्वयं शिव की रचना है। 


▪जैसे गुजरात में रिवाज है कि बच्चे के साथ बाप का नाम भी जोड़ा जाता है ताकि पता चल जाये कि यह फलाने का बेटा है....जैसे उदाहरण के तौर पर महात्मा गांधी का नाम मोहन दास था। लेकिन पूरा नाम मोहन दास कर्मचंद गांधी कहते हैं क्योंकि कर्मचंद उनके पिता जी का नाम था ताकि पता चल जाये यह फलाने का बेटा है। वैसे शिव शंकर कहते अर्थात शंकर जी भी शिव का बच्चा है..

👉🏻 एक बात ध्यान देने योग्य है कि शास्त्रो 📘में सभी देवी-देवता के मात- पिता दिखाये गए। लेकिन परमपिता परमात्मा शिव के कोई मात-पिता नहीं दिखाये गए क्योंकि स्वयं शिव पूरे जगत के खुद मात-पिता हैं उनका एक और बहुत प्यारा नाम शम्भू है यानि स्वयं धरा पर आने वाले....


▪ शिव परमात्मा को कल्याणकारी कहते हैं, जबकि शंकर जी को प्रलयकारी कहते हैं। 


▪ परमात्मा शिव परमधाम(ब्रह्मलोक) वासी हैं, लेकिन शंकर जी सूक्ष्मवतन(सूक्ष्म देवलोक) वासी हैं। 


▪परमात्मा शिव की प्रतिमा शिवलिंग के रूप में बताते हैं जबकि शंकर जी की प्रतिमा शारीरिक आकार की।


▪ शिव परमात्मा तो स्वयं रचयिता हैं, दाता हैं, उन्हें किसी की तपस्या करने की आवश्यकता नहीं, जबकि शंकर जी को सदा तपस्वी रूप में दिखाते हैं।


▪ शिव (परमात्मा) की प्रतिमा शिवलिंग सदा शंकर जी की प्रतिमा के आगे ही दिखाया जाता है। इसका अर्थ है शंकर जी सदा शिव की तपस्या करते थे। क्योंकि यदि शिव व शंकर एक होते तो क्या शंकर जी खुद की ही तपस्या कर रहे हैं। क्या कभी कोई स्वयं, स्वयं की ही तपस्या करेगा क्या ? यदि शंकर जी स्वयं परमात्मा हैं तो उन्हें किसी की तपस्या करने की क्या जरूरत?


▪परमात्मा शिव की प्रतिमा को शिवलिंग कहते हैं, शंकर लिंग नहीं कहते हैं। 


▪परमात्मा शिव के अवतरण को शिवरात्रि कहते हैं न कि शंकर रात्रि।


▪ इसमें एक और अंतर है- ब्रह्मा

देवाए नम:, विष्णु देवाए नम:, शंकर देवाए नम: लेकिन परमात्मा शिव के लिये सदा शिव परमात्माए नम: कहा जाता है, कभी भी शिव देवताये नम: नहीं कहते। सदा शिव कहते, सदा शंकर नहीं कहते हैं।


▪ जब भी कोई मंत्र देते हैं तो वह 'ओम नमः शिवाय' का मंत्र देते हैं कभी 'ओम नमः शंकराय' का उच्चारण नहीं करते।


▪ शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि अमरनाथ में शंकर जी ने पार्वती जी को अमरनाथ की अमर कथा सुनाई थी ।अब शंकर जी ने पार्वती जी को कौन से अमरनाथ की कथा सुनाई कहने का भाव यह है कि अमरनाथ और शंकर जी एक है या अलग ।उस कथा के साक्षी रूप में वह दो कबूतर दिखाते हैं। अब अगर शंकर जी ने भी पार्वती जी को अमरनाथ की अमर कथा सुनाई तो इसका मतलब शंकर जी और अमरनाथ अलग हैं तभी तो कथा सुनाई ,नहीं तो पार्वती जी को तो पता ही होना चाहिए था ना? फिर सुनाने का मतलब ही क्या। अमरनाथ अर्थात वह अमर शिव परमात्मा।


▪ स्वयं शिव परमात्मा इन तीनों देवताओं द्वारा अपने तीन कर्तव्य कराते हैं। इसमें प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा नई सृष्टि की स्थापना, विष्णु द्वारा नई सतयुगी सृष्टि की पालना तथा शंकर जी के द्वारा पुरानी कलयुगी सृष्टि का विनाश। इससे जाहिर होता है कि शिव परमात्मा इन तीनों आकारी देवताओं के भी रचयिता हैं। इसलिए शिव परमात्मा को त्रिमूर्ति भी कहा जाता है। 


▪ शिवपुराण में भी जब परमात्मा शिव के बारे में बताया जाता है तो उनको निराकार ज्योति स्तंभ स्वरूप ही बताया जाता है और सदाशिव नाम से ही पुकारा जाता है न की सदाशिव शंकर के नाम से।


▪ इससे स्पष्ट है कि शिव और शंकर में महान अंतर है।


 शंकर का आध्यात्मिक रहस्य क्या है ❓❓

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▪▪ वास्तव में शंकरजी हम मनुष्यों का ही प्रतीकात्मक है। शंकर शब्द को English में hybrid कहते हैं। अर्थात हम मनुष्यों के अच्छे व बुरे कर्मों का प्रतीक है।


▪ शंकरजी का परिवार दिखाया है पार्वती गणेश कार्तिकेय, वैसे ही हमारा भी परिवार होता है।


▪ पांच सर्प विकारों  काम, क्रोध ,लोभ, मोह ,अहंकार का प्रतीक है जिन्होंने मनुष्य को ही काट कर नीला पीला कर दिया है।फिर सर्पों को गले की माला दिखाया है जिन विकारों को हम ही तपस्या द्वारा वश में कर गले की माला बना देते हैं।


▪ आज तांडव कौन मचा रहा है?

मनुष्य ही ना। विनाश का कारण मनुष्य स्वयं बना हुआ है। मनुष्य-मनुष्य का खून बहा रहा है। यही तांडव नृत्य है।


▪ शंकर की तीसरी आँख खुलना अर्थात आत्म ज्ञान द्वारा बुराइयों का विनाश होना है।

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🌸 भक्ति में परमात्मा शिव की पूजा विधि का आध्यात्मिक रहस्य : 


   परमात्मा शिव पर अक धतूरा के कड़वे फूल चढ़ाने का अर्थ है मनुष्य अपने अंदर की कड़वाहट विकारों को प्रभु को अर्पण कर दे। विषय विकारों का जो विष है उसे सहन करने की सामर्थ्य केवल शिव पिता में ही है। 

दूध चढ़ाने का अर्थ परमात्म आज्ञा पर पवित्रता को धारण करना है।

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 "शिव का जन्मोत्सव रात्रि में क्यों?"

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       🌌‘रात्रि’ वास्तव में अज्ञान, तमोगुण अथवा🗿 पापाचार की निशानी है।अत: द्वापरयुग और कलियुग के समय को ‘रात्रि’ कहा जाता है। कलियुग के अन्त में जबकि 🎅🏻साधू, सन्यासी, गुरु, आचार्य इत्यादि सभी मनुष्य 👥पतित तथा दुखी होते हैं और अज्ञान-निंद्रा में सोये पड़े होते हैं, जब धर्म की ग्लानी होती है और जब यह भारत विषय-विकारों के कारण वेश्यालय बन जाता है, तब पतित-पावन परमपिता परमात्मा 🌟शिव इस सृष्टि में दिव्य-जन्म लेते हैं इसलिए अन्य सबका जन्मोत्सव तो ‘जन्म दिन’ के रूप में मनाया जाता है परन्तु परमात्मा शिव के जन्म-दिन को ‘शिवरात्रि’ (Birth-night) ही कहा जाता है।


       ज्ञान-सूर्य 🌟शिव के प्रकट होने से सृष्टि से अज्ञान-अन्धकार तथा विकारों का 🌋नाश होता है।जब इस प्रकार अवतरित होकर ज्ञान-सूर्य परमपिता परमात्मा शिव ज्ञान-प्रकाश देते हैं तो कुछ ही समय में ज्ञान का प्रभाव सारे विश्व🌍में फ़ैल जाता है और कलियुग तथा तमोगुण के स्थान पर संसार में सतयुग और सतोगुण की स्थापना हो जाती है और अज्ञान-अन्धकार का तथा विकारों का विनाश हो जाता है।सारे कल्प में परमपिता परमात्मा शिव के एक अलौकिक जन्म से थोड़े ही समय में यह सृष्टि वेश्यालय से बदल कर शिवालय बन जाती है और नर को श्री नारायण पद तथा नारी को श्री लक्ष्मी पद की प्राप्ति हो जाती है ।इसलिए शिवरात्रि 💎हीरे तुल्य है।


परमात्मा ऊपर परमधाम से आते हैं इसका यादगार भक्ति मार्ग में यह है कि जब शिव मंदिर में शिवलिंग की स्थापना होती तो शिव पिंडी को दरवाजे से प्रवेश नहीं कराते बल्कि ऊपर गुम्बज से नीचे लाते है, बाद में गुम्बज का निर्माण किया जाता है।

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About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.