Jawalamukhi Yog - Brahma Kumaris
31-12-2011
“नये वर्ष में तीव्र पुरुषार्थी भव के वरदान द्वारा अपने चेहरे से फरिश्ता रूप दिखाओ, लाइट माइट स्वरूप ज्वालामुखी योग से व्यर्थ को जलाओ, दु:खी अशान्त आत्माओं को शक्तियों का दान दो” ।
ं क्योंकि अभी समय दिन प्रतिदिन नाज़ुक आना ही है। तो ऐसे समय पर अभी ज्वालामुखी योग चाहिए। वह ज्वालामुखी योग की आवश्यकता अभी आवश्यक है। ज्वालामुखी योग अर्थात् लाइट माइट स्वरूप शक्तिशाली, क्योंकि समय प्रमाण अभी दु:ख, अशान्ति, हलचल बढ़नी ही है इसलिए अपने दु:खी, परेशान आत्माओं को विशेष ज्वालामुखी योग द्वारा शक्तियां देने की आवश्यकता पड़ेगी। दु:ख अशान्ति के रिटर्न में कुछ न कुछ शक्ति, शान्ति अपने मन्सा सेवा द्वारा देनी पड़ेगी। जो आपने इस समय की टॉपिक रखी है एक परिवार, उसके प्रमाण जब एक परिवार है, तो अशान्त आत्माओं को कुछ तो अंचली देंगे इसीलिए बापदादा अगला वर्ष जो आया कि आया उसके लिए विशेष अटेन्शन खिंचवा रहे हैं कि अभी ज्वालामुखी योग की आवश्यकता है। ज्वालामुखी योग द्वारा ही जो भी संस्कार रहे हुए हैं वह भी भस्म होने हैं।
हे थे कि अभी हमारे तरफ से, जो भी दादियां गई हैं सब मिलके कह रही थी अब ज्वालामुखी योग की बहुत आवश्यकता है, चाहे औरों को शक्ति देने के लिए, चाहे अपने ब्राह्मण परिवार को सम्पन्न बनाने के लिए। अभी समय को समीप लाने वाले आप निमित्त हो इसलिए आने वाले वर्ष में क्या करेंगे? विशेष क्या करेंगे? एक दो के स्नेही सहयोगी बन हर एक सेन्टर, सेवास्थान ज्वालामुखी योग का वायब्रेशन और कर्म में एक दो के स्नेही सहयोगी बन, हर एक के प्रति अटेन्शन रखते जो भी कमी है उसमें सहयोग दो। मन्सा द्वारा अन्य आत्माओं की सेवा करो और अपने सहयोग द्वारा ब्राह्मण साथियों की विशेष सेवा करो, तभी हम लोगों की दिल की आश पूरी होगी।
फलानी हूँ, फलाना हूँ नहीं। फरिश्ता अनुभव में आवे, इसके लिए ज्वालामुखी योग, कोई व्यर्थ नहीं। लाइट और माइट स्वरूप योग से व्यर्थ को जलाओ
वेला। विदेश के भी सेन्टर पर बापदादा चक्र लगाता है लेकिन अभी एडीशन ज्वालामुखी योग। यह ज्वालामुखी योग सभी को समीप लायेगा क्योंकि शक्ति मिलेगी ना। आप भी लाइट माइट रूप बनेंगे। चलते फिरते भी लाइट माइट स्वरूप होंगे तो लोगों को भी वायब्रेशन आयेगा। फिर मेहनत कम और फल ज्यादा निकलेगा। जैसे भारत में अनुभव किया कि अभी जगह-जगह जो भी फंक्शन किये हैं, उसमें रिजल्ट पहले से अच्छी निकली है। और बाप बच्चों को जो भी निमित्त बनी हैं दादियां या दीदियां उन्हों को विशेष मुबारक देते हैं कि बापदादा के संग साथी बनकरके 75 वर्ष पूरे करके मैदान पर आये हैं, इसकी बहुत-बहुत-बहुत-बहुत मुबारक है। दादे भी हैं, सिर्फ दीदियां दादियां नहीं, दादे भी हैं। अच्छा।
29/5/2021
Q : हर मुरली में शिवबाबा याद करने पर जोर देते हैं, सिर्फ याद करने से ही विकर्म विनाश कैसे होता है कृपया स्पष्ट करें ? जैसे स्थूल कीचड़े को भस्म करने के लिए अग्नि का इस्तेमाल होता है अथवा सूर्य के किरणों को lens के माध्यम से एकाग्र करते हैं वैसे ही आत्मा द्वारा जन्मजन्मान्तर के विकर्मों द्वारा निर्मित संस्कार रूपी कीचड़े को भस्म करने के लिए परमात्मा रूपी ज्ञान सूर्य की आवश्यकता होती है । आत्मा के विकर्म रूपी कीचड़े का विनाश किसी भी स्थूल सूक्ष्म साधन द्वारा संभव नहीं क्योंकि कोई भी साधन महातत्व अर्थात भौतिक पञ्च तत्वों के अंतर्गत आता है जिसे उर्जात्मक इथर कहते हैं यहाँ तक कि ब्रह्मतत्व जो स्वयं प्रकाशित इथर है उससे भी आत्मा के विकर्म विनाश नहीं होंगे । चैतन्य आत्मा जो दिव्य लाइट से निर्मित है एक अविनाशी सत्ता है और वह अति सूक्ष्म होने के कारण जब उसका कनेक्शन डायरेक्ट परमधाम में हाईएस्ट चैतन्य दिव्य ज्योति से होता है जो सदा सत्य सदा पावन सदा सर्वशक्तिमान है तब उससे उत्पन्न योगाग्नि ही जन्मजन्मान्तर के पाप व विकर्मों को भस्म करने में समर्थ होती है । जब आत्मा परमधाम में केवल एक विचार में स्थित रहती है तो highest stable state में रहती है जिसे ही delta state भी कहते हैं । इस अवस्था में आत्मा supreme power house परमात्मा से अधिकतम ऊर्जा ग्रहण करती है जिससे विकर्म विनाश होता है । इसे ही ज्वालामुखी योग भी कहते हैं ।
जिम्मेवारी और ज्वालामुखी स्थिति
आपकी जिम्मेवारी क्या है ? बाप के बजाए अपनी जिम्मेवारी समझ लेते हैं तो माथा भारी होता है। बाप सर्व शक्तिवान मेरा साथी है तो क्या भारीपन होगा। छोटी सी गलती कर देते हो, मेरी जिम्मेवारी समझते हो तो माथा भारी होता है। तो ब्राह्मण जीवन ही नाचो गाओ और मौज करो। सेवा चाहे वाचा है चाहे कर्मणा। यह सेवा भी एक खेल है। दिमाग के खेल में दिमाग भारी होता है क्या। तो यह सब खेल करते हो। तो चाहे कितना भी बड़ा सोचने का काम हो, अटेन्शन देने का काम हो लेकिन मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा के लिए सब खेल है।
▪️ अभी निर्भय ज्वालामुखी बन प्रकृति और आत्माओं के अंदर जो तमोगुण है उसे भस्म करो। तपस्या अर्थात ज्वाला स्वरूप याद, इस याद द्वारा ही माया व प्रकृति का विकराल रूप शीतल हो जाएगा। आपका तीसरा नेत्र, ज्वालामुखी नेत्र माया को शक्तिहीन कर देगा।
▪️ ज्वाला स्वरूप याद के लिए मन और बुद्धि दोनों को एक तो पावरफुल ब्रेक चाहिए और मोड़ने की भी शक्ति चाहिए। इसमें बुद्धि की शक्ति वा कोई भी एनर्जी वेस्ट ना होकर जमा होती जाएगी। जितनी जमा होगी उतना ही परखने की, निर्णय करने की शक्ति बढ़ेगी। इसके लिए अब संकल्पों का बिस्तर बंद करते चलो अर्थात समेटने की शक्ति धारण करो।
Om Shanti...
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