Kya Non-Veg Khana Sahi hain? All Religions? A Wonderful Discussions
Sweet Brothers and sisters, iss blog me main bahut hi sunder discussion karne ja raha hu. Yeh aisa topic hai jiska jawab bahut sare log yes me dete hai aur bahut sare log no me dete hain. Kya sahi hai kya galat hain? Aaye iss post ke through jante hain. Apana comment iss blog par jarur kare.
Jaisa ki title me likha gaya hain, iss blog post me ham sabhi dharmo par prakash dalege ki kaun se dharam kya batate hain iss bare me? Aur kya hame aisa tamsik food khana chahiye?
All Religions
Hindus
https://en.wikipedia.org/wiki/Diet_in_Hinduism
Muslims
https://en.wikipedia.org/wiki/Islamic_dietary_laws
What items are not allowed at Hajj?
During the pilgrimage, *sexual activity, smoking, and swearing are also forbidden. Other forbidden activities include killing animals, using profane language, quarreling or fighting, and taking oaths, in addition to any other regularly prohibited acts. Males should also refrain from looking at women.
https://en.wikipedia.org/wiki/Ihram
Sikhs
https://en.wikipedia.org/wiki/Diet_in_Sikhism
Ishai
https://en.wikipedia.org/wiki/Christian_vegetarianism
Kya Non-Veg Khana Chahiye?
My personal experience, I am going to share with you. Hame non-veg nahi khana chahiye. I have researched a lot on this topic. I do not like it since my childhood. But there are some members of my family do like it and eat it. When I did my self-realization around 2017, I started doing research on the same and reached on conclusion that we should not eat it. There are many such things(protein and hygienic food) available in the world which we can eat. This food contains the vibration of Fear, anger etc. We should always have meal which has good vibration.
Kya Non-Veg Khana Pap Hain?
Mujhe lagta hai ki janwaro ko khane se pehle maarna toh padta hai tabhi na katkar khate hain. Yeh toh hinsa hua na. Aise koi *murder karta hai toh usse court 302 phansi ki saja deta hain. Kya court janwaro ki hinsa ke liye chhut deta hain. Hame sabhi janwaro ke prati raham bhawna karte hue hinsa band karna chahiye. Aur jo main problem hai usko khatam karne ka sochna chahiye. Main problem toh kam, krodh, lobh, moh aur ahankar hain. Uske chalte hi toh hinsa karte hai na. Toh main problem ko hi thik karna hain. Isko thik kewal parampita parmatma hi kar sakte hain. Aur bhagwan ne yeh kam shuru kar diya hain. Hame apne apne dharam grantho me pata chalta hain. Gandhi jee bhi ahinsa parmodharm kahte the.
Aur bhi bahut kuch research kiya hai maine. Un sabke basis par kah sakte hai ki yeh pap hain. Chahe koi bhi tarah ke activity me involve ho jisse janwaro par hinsa hoti hain. Wo pap hi kaha jayega na.
Kya Non-Veg Kha sakte hain?
Ab yeh decision sabka alag alag ho sakta hain. Unki jankari ke anusar. Mere hisab se toh non veg nahi khana chahiye. Dunia me aise bahut items hai jisko ma prakirti ne hame diya hain. Wo khaye aur shudh vibration me rahe. Aur positive vibration failate rahe.
I have received the following message on whatsapp which I Liked a lot. I am sharing:
शिक्षक का अदभुत ज्ञान
शाकाहारी - मांसाहारी
एक बार एक चिंतनशील शिक्षक ने अपने 7th - 8th स्टेंडर्ड के बच्चों से पूछा कि
आप लोग कहीं जा रहे हैं और
सामने से कोई कीड़ा मकोड़ा या कोई साँप, छिपकली या कोई गाय-भैंस या अन्य कोई ऐसा विचित्र जीव दिख गया, जो आपने जीवन में पहले कभी नहीं देखा हो, तो प्रश्न यह है कि
आप कैसे पहचानेंगे कि
वह जीव अंडे देता है या बच्चे ?
क्या पहचान है उसकी ?
अधिकांश बच्चे मौन रहे
जबकि कुछ बच्चों में बस आंतरिक खुसर-फुसर चलती रही...।
मिनट दो मिनट बाद
फिर उस चिंतनशील शिक्षक ने स्वयं ही बताया कि
बहुत आसान है,,
जिनके भी कान बाहर दिखाई देते हैं वे सब बच्चे देते हैं
और जिन जीवों के कान बाहर नहीं दिखाई देते हैं
वे अंडे देते हैं.... ।।
फिर दूसरा प्रश्न पूछा कि–
ये बताइए आप लोगों के सामने एकदम कोई प्राणी आ गया... तो आप कैसे पहचानेंगे की यह शाकाहारी है या मांसाहारी ?
क्योंकि आपने तो उसे पहले भोजन करते देखा ही नहीं,
बच्चों में फिर वही कौतूहल और खुसर फ़ुसर की आवाजें.....
शिक्षक ने कहा–
देखो भाई बहुत आसान है,,
जिन जीवों की आँखों की बाहर की यानी ऊपरी संरचना गोल होती है, वे सब के सब माँसाहारी होते हैं,
जैसे-कुत्ता, बिल्ली, बाज, चिड़िया, शेर, भेड़िया, चील या अन्य कोई भी आपके आस-पास का जीव-जंतु जिसकी आँखे गोल हैं वह माँसाहारी ही होगा और है भी,
ठीक उसी तरह जिसकी आँखों की बाहरी संरचना लंबाई लिए हुए होती है, वे सब के सब जीव शाकाहारी होते हैं,
जैसे- हिरन, गाय, हाथी, बैल, भैंस, बकरी,, इत्यादि।
इनकी आँखे बाहर की बनावट में लंबाई लिए होती है ....
फिर उस चिंतनशील शिक्षक ने बच्चों से पूछा कि-
बच्चों अब ये बताओ कि मनुष्य की आँखें गोल हैं या लंबाई वाली ?
इस बार सब बच्चों ने कहा कि मनुष्य की आंखें लंबाई वाली होती है...
इस बात पर
शिक्षक ने फिर बच्चों से पूछा कि
यह बताओ इस हिसाब से मनुष्य शाकाहारी जीव हुआ या माँसाहारी ??
सब के सब बच्चों का उत्तर था शाकाहारी ।
फिर शिक्षक से पूछा कि
बच्चों यह बताओ कि
फिर मनुष्य में बहुत सारे लोग मांसाहार क्यों करते हैं ?
तो इस बार बच्चों ने बहुत ही गम्भीर उत्तर दिया
और वह उत्तर था कि अज्ञानतावश या मूर्खता के कारण।
फिर उस चिंतनशील शिक्षक ने बच्चों को दूसरी बात यह बताई कि
जिन भी जीवों के नाखून तीखे नुकीले होते हैं, वे सब के सब माँसाहारी होते हैं,
जैसे- शेर, बिल्ली, कुत्ता, बाज, गिद्ध या अन्य कोई तीखे नुकीले नाखूनों वाला जीव....
और
जिन जीवों के नाखून चौड़े चपटे होते हैं वे सब के सब शाकाहारी होते हैं,
जैसे-मनुष्य, गाय, घोड़ा, गधा, बैल, हाथी, ऊँट, हिरण, बकरी इत्यादि।
इस हिसाब से भी अब ये बताओ बच्चों कि मनुष्य के नाखून तीखे नुकीले होते हैं या चौड़े चपटे ??
सभी बच्चों ने कहा कि
चौड़े चपटे,,
फिर शिक्षक ने पूछा कि
अब ये बताओ इस हिसाब से मनुष्य कौन से जीवों की श्रेणी में हुआ ??
सब के सब बच्चों ने एक सुर में कहा कि शाकाहारी ।
फिर शिक्षक ने बच्चों से तीसरी बात यह बताई कि,
जिन भी जीवों अथवा पशु-प्राणियों को पसीना आता है, वे सब के सब शाकाहारी होते हैं,
जैसे- घोड़ा, बैल, गाय, भैंस, खच्चर, आदि अनेकानेक प्राणी... ।
जबकि
माँसाहारी जीवों को पसीना नहीं आता है, इसलिए कुदरती तौर पर वे जीव अपनी जीभ निकाल कर लार टपकाते हुए हाँफते रहते हैं
इस प्रकार वे अपनी शरीर की गर्मी को नियंत्रित करते हैं.... ।
तो प्रश्न यह उठता है कि
मनुष्य को पसीना आता है या मनुष्य जीभ से अपने तापमान को एडजस्ट करता है ??
सभी बच्चों ने कहा कि मनुष्य को पसीना आता है, इसलिए मनुष्य भी शाकाहारी हुआ।
फिर शिक्षक ने एक पहचान और बताई कि जो मांसाहारी होते हैं वह जीभ से चाट कर पानी पीते हैं जबकि शाकाहारी सुरूक कर या खींच कर पीते हैं। बच्चों ने इस पर ताली बजाई।
शिक्षक ने कहा कि अच्छा यह बताओ कि
इस बात से भी मनुष्य कौन सा जीव सिद्ध हुआ, सब के सब बच्चों ने एक साथ कहा –
शाकाहारी ।
सभी लोग विशेषकर अहिंसा में, सनातन धर्म, संस्कृति और परम्पराओं में विश्वास करने वाले लोग भी चाहे तो बच्चों को नैतिक-बौद्धिक ज्ञान देने अथवा सीखने-पढ़ाने के लिए इस तरह बातचीत की शैली विकसित कर सकते हैं,
इससे जो वे समझेंगे सीखेंगे वह उन्हें जीवनभर काम आएगा...
याद रहेगा, पढ़ते वक्त बोर भी नहीं होंगे....।
बच्चे अगर बड़े हो जाएं तो उनको यह भी बताएं कि कैसे शाकाहारी मनुष्य जानकारी के अभाव में मांसाहार का उपयोग करता है और कहता है कि जब अन्न नहीं उपजाया जाता था तब मनुष्य मांसाहार का सेवन करते थे, जो सरासर गलत है ; तब मनुष्य कंद-मुल एवं फलों पर जीवित रहते थे, जो सही है एवं मनुष्य के संरचना और स्वभाव से मेल भी खाता है। धन्यवाद