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Subtle Sins in Brahmin Life - ब्राह्मण जीवन के सूक्ष्म विकर्म


Subtle Sins in Brahmin Life

ब्राह्मण जीवन के सूक्ष्म विकर्म


1.) Waste Talks ( व्यर्थ वार्तालाप)

2.) Criticizing someone​ ( निंदा करना और सुनना)

3.) Fault finding Nature ( दूसरे में कमी निकालना)

4.) Wasting time of Nimmit Teachers/Seniors due to misunderstanding or no depth of Knowledge ( खुद में ज्ञान की कमी या धारणा होने के कारण निमित्त टीचर सीनियर्स का समय बर्बाद करना)

5.)  Allegations ( मिथ्या आरोप लगाना)

6.) Creating Rumours (अपवाह पैदा करना)

7.) Sharing Wrong Information
 (गलत सूचनाएं फैलाना)

8.) Defaming Someone (बदनामी करना)

9.) Not helping someone Knowingly ( जानबूझकर किसी की सहायता नही करना)

10.) Not adhering to the Group rules in which you belongs (किसी भी ग्रुप या संगठन में रहकर उसकी नियम और मर्यादाओं का उल्लंघन करना)

11.)  Arguments with Seniors (सीनियर्स के साथ बहस करना)

12.) Trying to prove self (गलत होते हुए भी खुद को सही सिद्ध करना)

13.) Disregard of Seniors/Juniors ( सीनियर या जूनियर किसी का भी अपमान करना)

14.) Not giving Seva to the one who is worthy of that (योग्य आत्मा को सेवा देना उसकी योग्यता के अनुरूप)

15.) Doubt in Baba (बाबा में संशय होना)

16.) Doubt in Baba's Supreme Knowledge(Murli) ( मुरली में संशय रखना )

17.) Doubt in Brahmin Family
(ब्राह्मण परिवार में संशय रखना)

18.) Not firm in Srimat ( Doing things according to own Comfort) (श्रीमत में निश्चयबुद्धि होना, मनमत से कार्य करना)

19.) Blaming others for own Karma ( अपने कर्मों के लिए दूसरों को दोषी बनाना)

20.) Attachment with bodily being (देहधारियों से ममत्व)

21.) Adulterated Yad of Baba( व्यभिचारी याद)

22.) Ask in return after giving Donation ( सेवा में देने के बाद वापस मांगना)

23.) Doing seva for name, fame and Praise (नाम,मान और शान के लिए सेवा करना)

24.) Bodily Sight (दैहिक दृष्टि)

25.) Bodily Fantasy (दैहिक तृष्णाएं , कल्पनाएं )

26.) Misuse of the things/Facilities of Baba's Yagya ( बाबा के यज्ञ से मिले वस्तुओं या साधनों का गलत उपयोग करना)

27.) Doing no seva while your are capable of that (योग्यता होते हुए भी सेवा करना)

28.) Not doing Any kind of Yagya seva (Mind/Speech/deeds (किसी भी प्रकार की यज्ञ सेवा करना चाहे मनसा, वाचा या कर्मणा)

29.) Disservice of Baba's Yagya (बाबा के यज्ञ की ग्लानि करना)

30.) Having bad thoughts for someone  (किसी के बारे में गलत सोच रखना। )

31.) Giving Sorrow (किसी को दुख देना)

32.)  False assumption about someone (किसी के बारे में गलत अनुमान लगाना)

33.) Having bad attitude/sight for someone (किसी के प्रति बुरी/गंदी दृष्टि रखना। )

34.) Taunting (किसी को टोंट करना)

35.) Hurt someone's feeling (किसी की भावना को ठेस पहुचाना )

36.)  Listening Waste/or Sharing Waste (किसी को फालतू/व्यर्थ सुनाना या सुनना)

37.)  Saying Rough words to someone (किसी को कड़वा बोलना)

38.) Having jealousy inside but on face is being good. ( मन मे द्वेष ऊपर से हर्षित चेहरा)

39.) Talking bad about someone in group ( समूह में किसी के बारे में गलत बोलना)

40.) Gossiping (अमर्यादित हंसी-मजाक)

41.) Trying to put others down tactfully..( किसी को गिराने की युक्तियाँ निकलना)

42.) Being unhappy at success of others..( दूसरों की सफलता से दुखी होना)

43.) Remaining unhappy (दुखी रहना)

44.) Sleeping while Murli class as well as in Yoga (मुरली क्लास या सामूहिक योग में सोना)

45.) Murmuring or talking while Class is going on (क्लास के समय बड़बड़ाना या किसी से बात करना)

46.) Inspite of having Spiritual Knowledge, doing Sins in ignorance (आध्यत्मिक ज्ञान होते हुए भी भूलकर पाप कर्म करना)


47.) Not having Consciousness of Right/True Relations ( Brother -Brother relationship as we all are Souls ), performing actions under the Anger and jealousy
( भाई-भाई की चेतना को भूलकर गुस्से या द्वेष में आकर कर्म करना)

48.) Partiality in bodily relations and Others (अपने और पराये में पक्षपात)

49.) feeling of  Mine and  others (अपने पराये का भाव )

50.)  Nepotism (भाई-भतीजावाद या वंशवाद)

51.)  Helping others in collecting money for Fulfilling Fantasy( Not for Godly services ) ( किसी ऐसी आत्मा को धन देना जो उसका प्रयोग खुद की इच्छाओं के पूर्ति के लिए करने वाला हो न् कि यज्ञ सेवा के लिए)

52.) No control on wordings (बोल पर कंट्रोल नही होना)

53.) Conversation on Wordly matters ( लौकिक बातों पर बातचीत)

54 .) Impure Love Chat/Sexual Chats ( अशुद्ध या गन्दे कामुक वार्तालाप)

55.) Groupism (समूहवाद)

56.) Wasting time of self and others by bad application of Manipulated words/statements ( मनगढ़ंत या लुभावने बोल द्वारा शब्दों का गलत प्रयोग करके अपना और दूसरों का समय बर्बाद करना)

57.) Disturbing others by acts of talk/laugh/karms (बोल/हंसी/कर्मों द्वारा दूसरे को जानबूझकर परेशान करना)


57.) No control on Sense Organs and performing actions under them ( अपनी ज्ञान-इंद्रियों पर कंट्रोल नही होना, उनके वश होकर कर्म करना)

58.) Feeling of wrongful actions through sight, attitude and deeds ( दृष्टी, वृत्ति और कृति में गलत भावनाएं रखना)

59.) Bad eye gestures, eye winking and Staring to opposite sex ( आंखों से भद्दे इशारे करना , विपरीत लिंग को घूरना)

60.) Wrong gestures by hands
(हाथों से गलत इशारे)

61.) Saying something by touching someone by feets ( किसी को पैर से स्पर्श करके अपनी बात कहना)

62.) Being Narad ( Transfer of talks to here and there , creating misunderstanding) ( नारद बनना, यहाँ की बात उधर करना)

63.) Being Rude , using imperative sentences always ( अशिष्ट होकर सदैव आदेशात्मक बोल बोलना)

64.) Dual Meaning Speech ( दो-अर्थी बोल )

65.) Doing service by  having impure thoughts ( अशुद्ध विचारों से सेवा करना)

66.) Giving Excuses on time of seva (सेवा के समय बहाने करना)

67.) Laughing at the miserable condition of others (दूसरों की मजबूरी में हँसना)

68.) Giving name of Seva to false attachments ( झूठी आसक्ति को सेवा का नाम देना)

69.) Wasting Time in fashion to pull attention of others ( साज-श्रृंगार में समय व्यर्थ करना दूसरों का ध्यान आकर्षित करने के लिए)

70.) Telling lie so called Yukti yukt bolna (झूठ बोलकर उसे युक्तियुक्त चलने का नाम देना)

71.) Mixing own intellect in Baba's Srimat ( श्रीमत में मनमत मिक्स करना)

72.) Misleading or Misguiding ( गलत मार्ग प्रदर्शना करना)

73.) Wasting time of precious Confluence age ( संगम युग के अमूल्य समय को व्यर्थ गंवाना)

74.) Watching bad videos consisting impurity, sensuality ( गन्दे चलचित्र देखना)

75.) Disregard of Brahma bhojan (ब्रह्मा भोजन का अनादर करना या एक्स्ट्रा लेकर फिर नही खाना और उसे वेस्ट करना)

76.) Giving hospitality to someone who has no regard of Madhuban, Center , this knowledge  ( ऐसी आत्मा की खातरी करना जिसके मन मे यज्ञ के प्रति, मधुबन के प्रति, और इस ईश्वरीय ज्ञान के प्रति जरा भी सम्मान नही है)

77.) Not leading others in this Spiritual path ( ज्ञान मार्ग में दूसरों को आगे नही बढ़ाना)

78.) Comparison of self and others ( स्वयं और दूसरों की तुलना करना)

79.) Insulting others (अपमान करना)

80.) Scolding (डांटना)

81.) Laughing Loudly ( जोर-जोर से आवाज़ निकालकर हँसना)

82.) Talking loudly when no need (जोर-जोर से बोलना बिना आवश्यकता के)

83.) Giving somuch attention to someone special ( किसी को अति विशेष ध्यान देना)

84.) No flexibility in services (सेवा में लचीलापन/निर्मानता नही होना)

85.) Lack of Molding​ Nature in seva (मोल्डिंग स्वभाव नही होना)

86.) Lack of Harmonization of Sanskars ( संस्कार मिलन नही करना)

87.) Follow brother/Sister (फोलो भाई या बहन करना)

88.) To underestimate  someone    ( किसी को कम समझना)

89.) To put finger on someone's Character ( किसी के चरित्र पर प्रश्नचिन्ह लगाना)

90.) To impress someone knowingly (  दूसरों को जान बूझकर स्वयं में फंसाना)

91.) False Appreciation (झूटी प्रशंसा)

92.) Dual standard nature (अंदर एक बाहर दूसरा होना)

93.) Wearing revealing Dresses in Madhuban or center ( मधुबन में या सेंटर पर सभ्य ड्रेस ना पहनना)

94.) Using someone's things without seeking Permission (किसी से बिना पूछे उसकी कोई वस्तु इस्तेमाल करना)

95.) Statism (अपने राज्य या अपने भाषा वाले को प्राथमिकता देना)

96.) Castism (जातिवाद)

97.) Feeling of Revenge/Tit for Tat ( बदले की भावना)

98.) Criticising to any Religon or spiritual organization (  किसी भी धर्म या आध्यात्मिक संस्था की ग्लानि करना)

99.) Hiding truth (सत्य को छिपाना)

100.) Perversion at the level of thoughts for opposite sex (विपरीत लिंग के लिए विकारी विचारों का होना)

101.) Not Speaking truth Tactfully (सत्यता के साथ सभ्यता का  होना)

102.)  While living in Madhuban or Center , not utilizing your proper time in Purusharth ( मधुबन या सेवस्थल पर रहते हुए भी पुरुषार्थ का लाभ लेना)

103.) Misuse of Facilities of Science or being dependent on Facilities (साधनों का दुरुपयोग, या पूरी तरह से निर्भर हो जाना)

104.) Waste outing or  Picnic (व्यर्थ भ्रमण , पिकनिक करना)

105.) Misuse of the money of Yagya, utilizing it for fulfilling self-desires (यज्ञ के पैसे का गलत उपयोग अपनी इच्छा पूर्ति के लिए करना।)


Yeh kuch subtle sins hai jisse ham brahmino ko bachna chahiye. All brahmins, please read it many times to learn it. These are sins which we do not care about it while forgetting the GOD.

Visit brahmakumarisdhanbad.org for more such updated post from Brahmakumaris Dhanbad Centre.

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About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.