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बैज का महत्व - Brahma Kumaris Badge Ka Mahatwa

बैज का महत्व - Brahma Kumaris




★ बैज को धारण करना हरदम,इतना भी आसान *नहीं है*
★ ये कोई बाजार मे बिकता, चमकीला सामान *नहीं है*
ईश्वर का आकार है इसमे, ज्योति बिंदु बना *है जिसमें*
★ परमपिता का ये निशान है, इसकी बहुत बड़ी *शान है*
★ पात्र नहीं है इसका जिसको,आचरणों का ध्यान *नहीं है*
★ ये कोई बाजार मे बिकता, चमकीला सामान *नहीं है*
★ बैज तो सेवा बहुत कराता कोई उस पर *ही समझाता*
★ बाबा की मदद मिल जाती, माया उससे *है घबराती*
★ अटेंशन उसको रखना पड़ता, ऐसा वैसा कुछ *नहीं करता*
★ मधुबन का ये बैज लगाना, छोटी मोटी शान *नहीं है*
★ ये कोई बाजार मे बिकता, चमकीला सामान *नहीं है*
★ बैज लगाकर गलती करने, का कोई स्कोप *नहीं है*
★ वही लगा सकता है इसको,जिसमें कोई क्रोध *नहीं है*
★ नम्रता का भाव है जिसमें, संगम का प्रभाव *है जिसमें*
★ कलयुग की दुनिया का जिसको,किसी प्रकार का काम *नहीं है*
★ ये कोई बाजार मे बिकता, चमकीला सामान *नहीं है*
★ पवित्रा का सिम्बल है ये, याद दिलाने का बल *है ये*
★ ओम शांति लिखा है इसपर,बाबा की किरणें है *जिसपर*
★ रॉयल्टी इससे आ जाती, माया भी *इससे घबराती*
★ हरदम बैज लगा रहे तो,बाबा की याद सहज *ही आती*
★ बाबा का बच्चा हूं, इसकी भी पहचान *यही है*
★ ये कोई बाजार मे बिकता, चमकीला सामान *नहीं है*
★ बैज तो बाबा की इज्जत है, अगर लगाने वाले मे *सिद्दत है*
★ ज्ञान मार्ग मे ठीक चल रहे, बाबा से ही यहाँ *पल रहे*
★ कोई भी अभिमान नहीं है, ऐसा वैसा काम *नहीं है*
★ सबकी नजर रहती है उस पर, बैज लगा होता *है जिसपर*
★ डिस सर्विस हो जाती है, अगर इसपर ध्यान *नहीं है*
★ ये कोई बाजार मे बिकता, चमकीला सामान *नहीं है*
★ कोई कमी अगर रह जाती, वो अंदर से मन *को खाती*
★ बैज लगाने वाली आत्मा, अपनी नजरों में *गिर जाती*
★ सारी दुनिया जान गई है, बैज को अब पहचान *गई है*
★ उनकी नजर बहुत तेज है,चेक करने का सही *गेज है*
★ बिना बैज के ही ठीक है, अगर कोई उत्थान *नहीं है*
★ ये कोई बाजार में बिकता, चमकीला सामान *नहीं है*
*ओम शांति*

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About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.