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Spiritual Significance : Why Rakshabandhan? - Brahma Kumaris

Why Rakshabandhan?
The Spiritual Significance Of Rakhi, Rakshabandhan?

Rakshabandhan Ka Sandesh - Pavitra Bano Yogi Bano
Rakshabandhan Ka Sandesh - Pavitra Bano Yogi Bano

Pavitra Bano, Yogi Bano

Pavitra bano, yogi bano ka sandesh dete yah rakshabandhan ka parv. Pavitra bandhan, pavitra rishta. Iss sansar me bhai-bahan ka rishta pavitra mana jata hain. Ek bhai apne bahan se pavitrata ki pratigya karta hai aur yeh wada karta hai ki wo hamesha uske raksha karega. Iss parv ka bada hi guhya aadhyatmik rahashya hain. Yeh parv pavitrata ki nishani hai ki ham sab aatmaye Jab apavitra ban jate hain, dukhi ho jate hain iss sansar me toh bhagwan aate hain aur ham aatmao ko adopt karte hain aur hame sabse pehla vardan yahi dete hain ki pavitra bano, yogi bano. Parmatma ham aatmao ko pavitrata ki rakhi bandhte hain. Isliye sabhi aatmaye brahmano se bhi rakhi bandhwate hain aur aajkal sabhi aatmaye rakhi bandhte hain. 

Aaj kal mahilao par kitna aatyachar ho raha hai, ham sab jante hai. Kitna crime badh gaya hai. Aur yeh apvitrata ke karan hi aisa samjh banta ja raha hain. Yeh parab hame yeh sikhata hai ki ham sabhi ko apna bahan samjhe. Ham sab brahma ki santan, bhai-bahan hai aur shiv baba(bhagwan) ki santan sabhi aatmaye bhai-bhai hai. Yeh tayohar hamare samaj me yeh awareness failata hain ki ham sabhi bahno ki raksha kare, repect every women. Yeh puri dunia hi ek parivar hain aur ham sab aatmaye bhai-bahan hain. Kewal apne bahan nahi, pura sansar me hi ham sab bhai-bahan hain. 

Ham sab ek parampita ki santan hain. Shiv Shaktiyan aur pandav sena. Hame phir se aisa bharat banana hain jaha nariyon ki puja hoti hain. Nari par aatyachar hona, yeh aatma me kam, krodh, lobh, moh, ahankar vikaro ke karan badh raha hain. Jaha, Durga, Kali, Lakshmi, Saraswati ki puja hoti hain waise desh me ham rahte hain. Bhagwan kahte hain, tum sab aapas me bhai bhai ho, bhagwan aayeh hai ham sabhi aatmao ko pavitra banane aur vardan dete hain, pavitra bano, yogi bano.

Ham iss pawan parv me pavitra ki rakhi bandhe. Pavitrata ki rakhi hai toh sabhi aatmaye safe hain. Bhagwan ki aagya hai ki ham pavitra bane. Isliye rakhi bandhne wada karne ka parb hain. Ham bhagwan se wada karte hai, vrat karte hain ki pavitra jarur banege aur phir pavitra(kam, krodh, lobh, moh, ahankar par vijay) bankar dilkhush mithai khate hai aur sukhi aur shant bante hain. 

Bhagwan pahle hame aatmik swarup ka tilak lagate hain, aur hamari aatma rupi dipak jaga dete hain. Matlab hamari budhi me laga tala khol dete hain. Hamari buddhi pavitra banate hain. Yahi ek tayohar hain jisme sabhi aatmaye vrat leti hain aur wada karte hain bhagwan se ki ham patit se pawan jarur banege. Patit, aapavitra buddhi ke karan hi sari dunia me pap hi pap, dukh hi dukh, aashanti hi aashanti aa jati hain. Jaha pavitrata hai waha sukh aur shanti hai. Iss tayohar ke spiritual significance ko hame samjhne ki jarurat hain. Ek parmatma hi sabhi aatmao ko aatmik tilak dete hain aur bacche baba se pratigya karte hain ki ham pavitra banege baba, chahe kuch bhi ho jaye ham pavitrata ko aapnayege. 

raksha bandhan ka adhyatmik rahashya


❖ “राखी मज़बूत करती है मर्यादाओं की डोर” ❖

(Part:~1)

➳ रक्षाबंधन का त्योहार भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। चिरातीत काल से ही बहनें भाई की कलाई पर श्रावणी पूर्णिमा को राखी बांधती चली आ रही हैं। 

➳ भारत का यह त्योहार विश्व भर में अपनी प्रकार का एक अनूठा ही त्योहार है। भाई को स्नेह के सूत्र में बांधने वाली यह एक बहुत ही मर्मस्पर्शी और भावभीनी भस्म है। यह त्योहार बहन और भाई के पारस्परिक स्नेह और सम्बन्ध के रूप में मनाया जाता है। 

➳ इस दिन बहनें भाई को राखी बांधती है और उनका मुख मीठा कराती है। कैसी है भारत की यह अद्भुत परम्परा कि भाई अपने हृदय में अपनी बहन के प्रति स्नेह-समुद्र को बटोरे हुए सहर्ष ही इसे स्वीकार कर लेता है। 

➳ 4-10 मिनट की इस रस्म में भारतीय संस्कृति की वह झलक देखने को मिलती है कि किस प्रकार यहाँ बहन और भाई में एक मासूम उम्र से लेकर जीवन के अंत तक एक-दूसरे से प्यार का यह सम्बन्ध अटूट बना रहता है। यह धागा तो एक दिन टूट भी जाता है, परंतु मन को मिलाने वाला स्नेह के सूक्ष्म सूत्र नहीं टूटते। 

➳ यदि वह तार किसी पारिवारिक तूफान के झटके से टूट भी जाता है, तो फिर अगली राखी पर फिर से नया सूत्र उस स्नेह में एक नयी ज़िंदगी और एक नयी तरंग भर देता है। इस प्रकार यह स्नेह की धारा जीवन के अंत तक ऐसे ही बहती रहती है जैसे कि गंगा, अपने उद्गम स्थल से लेकर सागर के संगम तक कहीं तीव्र और कहीं मधुर गति से प्रवाहित होती रहती है। 

➳ रक्षाबंधन को केवल कायिक अथवा आर्थिक रक्षा का प्रतीक मानना इस त्योहार के महत्व को कम कर देने के बराबर है। 

➳ भारत एक मुख्यतः एक आध्यात्मिक प्रधान देश है। यहाँ मनाए जाने वाला हर त्योहार आध्यात्मिक पृष्ठभूमि को लिए हुए है। 

➳ यदि उसी परिपेक्ष्य में देखा जाए तो रक्षाबंधन का भी आध्यात्मिक महत्व है। भारत में सूत्र सदा किसी आध्यात्मिक भाव को लेकर ही बाँधे जाते हैं। 

➳ दूसरों शब्दों में कहें, सूत्र बांधने की रस्म शुद्ध धार्मिक है और हर धार्मिक कार्य को शुरू करने के समय कुछ व्रतों अथवा नियमों को ग्रहण करने के लिए यह रस्म अदा की जाती है। जब भी किसी व्यक्ति से कोई संकल्प कराया जाता है तो उसे सूत्र बांधा जाता है और तिलक भी दिया जाता है। 

➳ सूत्र बांधना और संकल्प करना तथा तिलक देना - इन तीनों का सहचर्य आध्यात्मिक संकल्प का ही प्रतीक है क्योंकि यह रस्म सदा किसी धार्मिक अथवा पवित्र व्यक्ति द्वारा ही कराई जाती है और सूत्र बँधवाने वाला व्यक्ति संकल्प करने वाले को दक्षिणा भी देता है- इसी का रूपांतर यह ‘रक्षा बंधन’ त्योहार है। यह त्योहर एक धार्मिक त्योहार है और यह इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने के संकल्प का सूचक है, अर्थात भाई और बहन के नाते में जो मन, वचन कर्म की पवित्रता समाई हुई है, यह उसका बोधक है। 


➳ पुनश्च, यह ऐसे समय की याद दिलाता है, जब परमपिता परमात्मा ने प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा कन्याओं-माताओं को ब्राह्मण पद पर आसीन किया, उन्हें ज्ञान का कलश दिया और उन द्वारा भाई-बहन के सम्बन्ध की पवित्रता की स्थापना का कार्य किया जिसके फलस्वरूप सतयुगी पवित्र सृष्टि की स्थापना हुई। उसी पुनीत कार्य की आज पुनरावृति हो रही है।

❖ “राखी मज़बूत करती है मर्यादाओं की डोर” ❖

(Part:~2)

➳ यदि ज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो रक्षाबंधन एक बहुत ही रहस्ययुक्त पर्व है। यदि इसकी पूरी जानकारी हो और ज्ञान-युक्त रीति से इस बंधन को निभाया जाए तो मनुष्य को मुक्ति और जीवन मुक्ति की प्राप्ति हो सकती है। 

➳  इसके बारे में एक जगह यह भी वर्णन आता है कि जब असुरों से हारकर इंद्र ने अपना राज्य-भाग्य गंवा दिया था तो उसने भी इंद्राणी से यह रक्षाबंधन बंधवाया था और इसके फलस्वरूप उसने अपना खोया हुआ स्वराज्य पुनः प्राप्त कर लिया था। 

➳ इसी प्रकार, एक दूसरे आख्यान में यह वर्णन मिलता है कि यम ने भी अपनी बहन यमुना से यह रक्षाबंधन बंधवाया था और कहा था कि इस बंधन को बांधने वाले मनुष्य यमदूतों से छूट जाएंगे। 

➳ स्पष्ट है कि ऐसा रक्षाबंधन जिससे कि स्वर्ग का स्वराज्य प्राप्त हो अथवा मनुष्य यम के दंडों से बच जाए, पवित्रता का ही बंधन हो सकता है, अन्य कोई बंधन नहीं। अब प्रश्न उठता है कि इस त्योहार से इतनी बड़ी प्राप्ति कैसे होती है? इसका उत्तर हमें इस त्योहार के अन्यान्य नामों से ही मिल जाता है। 

➳ रक्षा बंधन को ‘विष तोड़क पर्व’ ‘पुण्य प्रदायक’ पर्व भी कहा जाता है, जो इसके अन्य- अन्य नाम हैं उससे यह सिद्ध होता है कि यह त्योहार रक्षा करने, पुण्य करने और विषय-विकारों की आदत को तोड़ने की प्रेरणा देने वाला त्योहार है।

➳ सचमुच भारत-भूमि की मर्यादायें और यहाँ की रस्में एक बहुत ही गहरे दर्शन को स्वयं में छिपाये हुए है। यह स्वयं में एक जागृति का प्रतीक है और एक महान संस्कृति का द्योतक है

➳ यह वृतांत विश्व ज्ञात है कि शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में जहां हर धर्म के प्रतिनिधि श्रोताओं को ‘प्रिय भाइयों’ कहकर संबोधित कर रहे थे, तब भारतीय संस्कृति और परम्परा के प्रतिनिधि स्वामी विवेककानंद ने सम्बोधन में कहा था- ‘प्रिय भाइयों और बहनों’ तब वहाँ का हाल (Hall) तालियों से गूंज उठा था और चहुं ओर से आवाज़ आई “वाह! वाह!” 

➳ क्योंकि निश्चय ही बहन और भाई के सम्बन्ध में जो स्नेह है, वह एक अपनी ही प्रकार का निर्मल स्नेह है जिसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं। इसमें एक विशेष प्रकार की आत्मीयता का भाव है, निकटता है और एक दूसरे के प्रति हित की भावना है।

 ➳ “प्रिय बहनों और भाइयों”- इन शब्दों में वहाँ के विश्व धर्म सम्मेलन के श्रोताओं ने सब प्रकार के झगड़ों का हल निहित महसूस किया था। इन शब्दों ने ही भारतीय संस्कृति के झंडे को सबके समक्ष बुलंद किया था। परंतु स्नेह-सिक्त शब्दों में, जिनमें बड़े-बड़े दार्शनिकों ने गूढ़ दर्शनिकता पायी थी और धार्मिक नेताओं ने धर्म का सार पाया था। 

➳ बहन और भाई के निर्मल स्नेह का स्वरूप था, जो इस त्योहार का मूल था, वे अपने अनादि स्थान भारत से प्रायः लुप्त होते जा रहे हैं। अतः आज के संदर्भ में राखी की पुरानी रस्म की बजाय एक नए दृष्टिकोण से इस त्योहार को मनाने की ज़रूरत है। 


➳ दूसरे शब्दों में कहें, अर्थ-बोध के बिना राखी मनाने की बजाय अब राखी के मर्म को समझकर इसे मानते हुए, वातावरण को बदलने की आवश्यकता है। तभी इसकी सार्थकता सिद्ध होगी।


The True Significance Of Raksha Bandhan

Raksha Bandhan Song | Raksha Bandhan Special | Brahmakumaris


रक्षाबंधन : Rakshabandhan


Rakshabandhan Ka Adhyatmik Rahasya by BK Suraj Bhai


अनोखा रक्षाबंधन - परमात्म रक्षासूत्र आपके लिए - पावर ऑफ सकाश मधुबन




Why Janmashtami? Krishna Phir Kab Aayege?

Why Janmashtami? Krishna Phir Kab Aayege?

Sabhi ko Janmashtami ki badhai!

Spiritual Significance of Janmashtami

Sri Krishna Ka Aawahan Kaise Kiya jaye?
Sri Krishna Ka Aawahan Kaise Kiya jaye?

Spiritual Significance of Janmashtami

Om Shanti Divine Brothers and Sisters,

Sri Krishna janmashtami ki aap sabhi ko bahut bahut badhai. Kuch questions hain jispar ham manthan karte hain:

Krishna janmashtami kyo manate hain?
Krishna jee Kaun Hain? Radha jee Kaun Hain? Lakshmi aur narayan kaun hain?
krishna jee ka janam kab hota hain?
Vishnu jee kaun hain?

Jiski rachna itni sunder wo kitna sunder hoga. 

Shyam Sunder. Bhagwan Jo gyan ke sager, pavitrata, sukh, shanti, prem, anand aur shakti ke sager hain wo aate hain kalp kalp ham aatmao ko phir se paavan banane. Yada Yada Hi Dharmashya...  Abhi wo samay hai jab charo taraf pap hi pap, dukh hi dukh hai, aatmaye tadap rahi.. yahi wo samay hai jab bhagwan aate hain aur ham aatmao ko phir se 16 kala sampuran banane ki padhai(sacha sacha geeta gyan) padhate hain aur rajyog sikhate hain, kyoki wo hamare sache sache satguru hain. 

Ham aatmaye numberwar swarg ka varsha bhagwan se lete hain. Sri Krishna, the first prince of Satyuga(swarg, vaikunth), next to GOD, 16 kala sampuran, double ahinsak, sarwa gunn sampann, sampuran nirwikari, maryada purushhotam, ahinsa parmodharam, yeh hai unke gunno ka varnan. Ham agar sri krishna ke sath ras karna chahte hain, toh hame bhi unke jaisa banna hoga. Yeh wo samay hai jab ham sacha sacha geeta padhkar, apne life me dharan karke ham aisa ban sakte hain. Aur Swarg me sri krishna ke sath aa sakte hain. Om Shanti

❁ “श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का आध्यात्मिक रहस्य” ❁

✮ मनुष्य-सृष्टीरुपी कल्पवृक्ष के चैतन्य बीजरुप स्वयं स्वयंभू निराकार परमपिता शिव परमात्मा है। उस चैतन्य बीज से सबसे पहले दो पत्ते अंकुरीत हुए - एक है श्रीकृष्ण और दुसरा है श्रीराधा। 

✮ और जैसे की आप जानते है की, एक कल्प में चार युग होते है सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग। हर कल्प में सबसे पहला युग आता है सतयुग।

✮ अभी जो वर्तमान समय चल रहे कलियुग के महाविनाश के बाद सतयुग आता है। इस हिसाब से सतयुग के प्रथम राजकुमार श्रीकृष्ण होते हैं। 

✮ उनका जन्मदिन हम सभी भारतीय ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ उत्सव के यादगार रुप में बडे धुमधाम और श्रद्धा से मनाते है।

✮ जैसे की, उपरोक्त बताया गया है की, वर्तमान समय कलियुग चल रहा है। परन्तु यह न केवल कलियुग का समय चल रहा है अपितु यह कलियुग का भी अन्तिम समय चल रहा है। निकट भविष्य में समस्त पृथ्वीतलपर बडी उथल-पुथल हो महापरिवर्तन होनेवाला है।

✮ जिसके परिणामस्वरुप इस घोर कलियुग का विनाश (महापरिवर्तन) हो सतयुगी, स्वर्णिम नया युग इस भारतवर्ष में साकार होने जा रहा रहा है। और इस स्वर्णिम युग अर्थात् मनभावन स्वर्ग में सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरुषोत्तम, डबल-अहिंसक प्रथम राजकुमार श्रीकृष्ण का शुभागमन होने जा रहा है।

✮ यह हम सभी भारतवासीयों के लिए बेहद हर्ष की बात है। अत: श्रीकृष्ण के पुण्यागमन के यादगार रुप में आज हम सभी यह ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ का त्योहार बहुत ही उमंग-उत्साह से मना रहे है।

✮ मनोहारी श्रीकृष्ण के साथ उसी सतयुगी स्वर्ग का राज्यभाग्य प्राप्त करना हम सभी का ईश्वरीय जन्म-सिद्ध अधिकार है। उसे शीघ्र-अतिशीघ्र अवश्य प्राप्त करें। 

✮ इन्हीं शुभभावना और शुभकामनाओं के साथ आप सभी को पुन: एक बार ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ की कोटि-कोटि बधाईयाँ।

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श्री कृष्ण पर कलंक क्यों लगाये गए | Spiritual significance | Brahmakumaris


Janmashtami Special | BK Usha Didi | Filler | Brahma Kumaris



Happy Janmashtami 2020 || Rajyogi Lifestyle To Satyugi Lifestyle



















Why practice Celibacy ? ब्रह्मचर्य क्यों? Difference between abstinence vs celibacy vs Chastity

Why practice Celibacy ? ब्रह्मचर्य क्यों ?


Dosto, Jab se maine Brahma kumaris join kiya, mujhe Brahmcharya ka mahatwa samjh aa raha hai.

Shiv Baba Kahte hai, Kam Ko Jito, Kam ko Jitne se Tum Jagatjit ban jayege.

Celibacy - Brahmacharya - matlab jiska aacharan Brahm jaisa ho. Aur Jiska Man Brahm Me hamesha leen ho. Usse Brahmacharya kahte hai. Jab hamara man hamesha bhagwan me hota hai toh apne aap hi hamari aatma paawan(pure) banti jati hain. Brahm means divine aur charya means acharan. Hamlog iska ulta arth laga lete hain aur sochte hai ki Brahmacharya thik nahi hota hain. Lekin yeh puri tarah galat information hain. 

Brahmcharya means you feel joyful internally. You never ask joy or happiness from others. You are happy by internally. You should give happiness to others not asking them for it. So, everybody should be Brahmacharya in this universe. We have to spread awareness about Brahmacharya among youths and all. 


Why practice Celibacy ? ब्रह्मचर्य क्यों ?

Why practice Celibacy ? ब्रह्मचर्य क्यों ?

Shiv Baba Kehte hai, Bacche Kam ko Jito Toh Jagatjeet ban jayege. Kaam, Krodh, Lobh, Moh, Ahankar, Ishaya, Dwesh, Baimani, Bhrashtrachar etc. yeh hamari aatma me vikar aa jate hai jab aatma patit banti hain.

ब्रह्मचर्य मतलब संतुलित जीवन

Baba kahte hain, Inme Kaam sabse bada shatru haai ham aatmao ka. Baki Sab inke bache hain. Jab Ham Brahmacharya(Celibacy) ka palan karte hai toh hamari aatma paawan(pure) banti jati hain aur hamari life me, purity, knowledge, sukh, shanti, prem, anand aur shakti aa jati hain. Jaisi life devi, devtao ki hoti hain. Aur jo ham swarg kehte hain wo dunia aa jati hain. Abhi kalyuga(Narak) hai. Hame Swarg me jana toh hai lekin ham swarg me jane ke liye jo karam hame karna hai wo karna nahi chahte hai. 

Brahmcharya(celibacy) bahut mahatwapurn hai swarg me jane ke liye aur devi devtao wali life pane ke liye. Ham sochte hai ki sab kuch hai hamari life me lekin shanti nahi hain. Ham iss kalyugi dunia me bahut sari bimariyon se pareshan rahte hai lekin yeh nahi sochte kabhi ki akhir yeh bimari hui kyo. 

Yaha Shiv Baba kehte hai Geeta me, hamare sare dukho ka karan hi ek hai wo hai apavitrata(Impurity). Issi ne hame dukh diya hai aur hame rogi banaya hai. Ham kam vikar(bhog-vilas) me lipt rahte hai, iss puri kalyugi dunia me hi sabhi log bhog-vilas me lipt hai. Geeta me kha hai bhagwan ne ki yahi hamare dukho ka karan hai, jo ashanti paida karti hai, aur ham dukhi hote hain. 

Hamare aatma me chupe kam vikar ke sanskar hi hame dukhi karte rahte hain. Ham us sanskar ke addicted ban jate hai aur jo hame dukhi karta hai baad me. Jaise koi sharab pita hai aur phir wo uski aadat ban jati hai aur wo aaatma bina sharab piye nahi rah sakti hai. Usse sharab chahhiye hi chahhiye. 

Lekin wo atal nishchay kar le aur parmatma se shakti le toh usse jarur chood sakta hai. Thik ussi tarah Kam vikar sabse bada addiction hai jisse bahut sari aatma pareshan rahti hai ki isse kaise chode. Bahut Sare sadhu sanyasiyon ne iss par jeet payi hai. Aur Pavitra bane hain. Wo kehte hai Ghar grihast me rahte huye yeh choodna muskil hai lekin Yaha Brahma Kumaris sansthan me bahut sare bhai, bahno ne ghar-grihasth me rahte hue isse choda aur brahmacharya(celibacy) dharan kiya, aur pavitra bane. 

नशा मुक्त भारत
नशा ब्रह्मचर्य का नाश करता हैं |

Geeta padhte hai, shashtra padhte hai, sabme yahi likha hota hai ki pavitra bane. Lekin log isse dharan nahi karte hai, kyoki wo power nahi hai aatma main. Power hame Rajyog se milta hain. Jab ham Rajyog ka abhyas karte hai tab hamare aatma me chupi asht(8) powers emerge hoti hai aur hame powerful banati hai. Ham aapne sare bure sanskar samapt kar aache sanskar dharan karte hain.

Ham Geeta Padhte hai, sunte hai. Lekin kuch parivartan nahi hota. Geeta ka lakshya hi hai manushya se devi-devta banna. Lekin kya ham bane? Geeta me yeh bhi padha ki hame aatmik drishti rakhni hain. Hame Soul Conscious banna hai. Kya Ham bane? Toh kha missing ho raha, aisa kya ham miss kar rahe hai jo hame devi-devta banne se rok raha hai. Wo Hai Celibacy(Brahmacharya), jo soul-conscious hone ka first step hain. Celibacy(Brahmacharya) ka palan bahut sare sadhu, sanyasi, pandit, acharya karte aaye hai aur apne aap ko un logo ne pavitra banaya hain. 

Aaj bhi kai aise sansthan hai jaise Brahma Kumaris waha log Brahmacharya ka palan karte hain. Yeh koi jaruri nahi hai ki har aatma isse follow hi kare. Jis prakar ek doctor hame dawai ke sath sath kuch prahej batate hain, thik ussi prakar bhagwan shiv baba ne hame bataya hai yeh prahej, taki ham devi-devta ban sake.

Aabhi kalyug me aatmaye apavitra, ashant, dukhi, bhrasth, bhog-vasna me lipt ho gayi hai aur ek dusre ko dukh deti rahti hain. Aur sabse badi baat ki iska hamare environment(prakirtik, nature) par bhi asar hota hai aur yeh bhi polluted hoti hain. Isliye Geeta me bhagwan ne kha ki jab pure dunia patit ban jati hai aur charo taraf dharam ki galani hoti hain tab main aata hu aur aakar ke aatmao ko pawan banata hun. Abhi sabhi aatmaye bimar hai. Sharir bimar hota hai toh loukik doctor ke paas jate hai aur thik ho jate hai. Lekin aatma bimar hai toh kaun se doctor paas jaye. Aatma ka ek hi doctor hai jisse vaidnath kahte hai, jo sabse bada doctor hai ham aatmao ka. Wo iss kalyugi dunia ke aanth me aakar hame padhate hai aur patit se paawan banate hai. Brahmacharya ek prahej hota hai isme tabhi ham aatmaye paawan ban sakte hain. 

Mujh aatma ka yeh anubhaw hai jo main aapse share kar raha hun.  Mujhe bhi nahi pata tha kuch bhi. Jab maine Brahma kumaris me jakar sachi sachi 'Geeta' suni, samjhi aur dharan karna shuru kiya tab mujhe samjh aaya ki hamare dukho ka karan yeh kaam vikar hi hai. Tab se maine Brahmcharya ka palan karna shuru kar diya. 

Dosto yeh jaruri nahi hai ki ham jaise hi brahmacharya ka palan shuru karte hai waise hi hamare sare bure sanskar samapt ho hi jaye. Hame nirantar, bina haar mane rajyog ka abhyas karte rahna hai. Jitna jyada ham iska abhyas karege utna jyada result dikhega aur hamara man bhi shant rahega. Agar brahmcharya bhang hota hai kisi karan vas toh hamara man ander hi ander khata rahega. Jo koi aatma brahmacharya ka palan aur bhagwan ko yaad karne ka man banata hai toh maya bhi piche nahi rahti hai, maya har samay pareshan karne pahuch jati hai aur bhagwan ko yaad ko tikne nahi deti. Toh hame maya se nirantar yudh karna hoga. Maya badi ya bhagwan? Yeh nishchay rakhna hoga. Aap sab pavitra aatma hai, pavitrata aap aatmao ka niji guun hai. Isse jyada se jyada emerge kare aur pavitra ban pavitra dunia(Swarg) ke malik bane.

BK Suraj bhai jee ka class main sun raha tha, 7 Chakra ke bare me aapne padha hoga jo hamari body me hote hain. Sabse mul chakra me hamare virya jama hote hain. Aur pure body me yeh virya aage badhte hai jama hokar aur hamare brain tak pahuchte hai Jo hame energy deta hain. Kumar(Brahmacharya jeevan) me isliye kha gaya hai ki takat bahut hoti hain. 


Hanuman - A Bal Brahmchari

Jaise Ham Hanuman jee ke bare me jante hai ki wo bal brahmachari hai. Itna takatwar hai ki himalaya ko hath me utha lete hain. But itni takat shadi suda wale me kyo nahi hoti. Kyoki virya jisse brain tak pahuchna tha wo sara barbaad hota rahta hai aur wo din par din kamjor hote jate hai aur jaldi budhe ho jate hain aur jaldi sharir chhod dete hain. Kaha jata hai ki pehle ke jamane me aur satyug me aatmaye kaphi age tak jite hai. Kyoki pehle Log brahmacharya ka palan karte the. Atah aap agar Geeta padhte hai aur usme likhe rahashyon ko samjhte hai toh jarur pavitra banne ki koshish karte honge. Hamesha bhagwan ki yaad me rahe aur apni shaktiyon ko badhate rahe, kamyabi jarur milegi.

Lekin Dosto, Hab Ham Brahmacharya ka niyam palan karna shuru karte hain to kaphi muskile aati hain aur hame negative kar deti hain aur kitne log isse chhod bhi dete hain. Toh maine ek lekh likha hain ki kaise ham sada positive rahe jab brahmacharya ka niyam kare. Yeh Lekhe deke: 

Brahmacharya: How To Be Positive While Practicing Celibacy?

Main hamesha apne favourite BK Suraj Bhai ke show "Samadhan" dekhta rahta hu, jisme hamesha mujhe motivation mila. 

Difference between abstinence vs celibacy vs Chastity 

Abstinence meaning, you have started taking decision not to have **sex, it is not for long term, temporary decision due to any reason. But Celibacy is the long term decision for having purity. Suppose, Abstinence is the pond and celibacy is the ocean and chastity is the decision from more than abstinence, not temporary, long than abstinence. Chasity means purity.

Main kuch videos aapke sath share kar raha hu, jo aapko Brahma Charya ke bare me aur jyada information dega. Hame Brahmacharya ke bare me jyada se jyada gyan prapt karna hai, tabhi hamara sub-conscious mind positive way me kam karega. 



Samadhan - Purity - BK Suraj Bhai Ji - Brahma Kumaris



How to maintain Family Balance - Why Purity ?- Question and Answers 2 - BK Shivani (Hindi)





Dosto yeh kuch videos main share kar raha hun, jisse mujhe bahut gyan prapt hua aur brahmacharya ko samjhne me asani hui. Aap bhi dekhe jo aapko Brahmacharya ka palan karne me madad karega. 


Bhagwan Bhagya Banane Kab Aate Hain - भगवान भाग्य बनाने कब आते हैं |

Bhagwan Bhagya Banane Kab Aate Hain
भगवान भाग्य बनाने कब आते हैं |


Bhagwan Bhagya Banane Kab Aate Hain - भगवान भाग्य बनाने कब आते हैं |
Bhagwan Bhagya Banane Kab Aate Hain - भगवान भाग्य बनाने कब आते हैं |

Om Shanti Angel Brothers and Sisters,

Main Sharir Ka Naam Ravi Kumar, Brahma Kumaris me char salo se gyan me hun, aur main aapse dil ke udgar, anubhaw share karna chahta hu ki bhagwan akhir kab aate hai aur aakar ke ham sab aatmao ka bhagya kab banate hain? Jo Maine Anubhaw kiya hain wo maine aapse share karuga.

Yeh kuch sawal the mere man me ki:

Main kaun hun? 
Mera kaun hai iss dunia main? 
Bhagwan kaun hai? 
Bhagwan kab aate hai?  
Bhagwan kya karte hai? 
Bhagwan kya ek hai? 
Hindu Muslim Sikh Ishai aapas me bhai kaise ho gaye? Aur Bhai Hote hue bhi apas me itna ladai jhagda kaise? 
Kya bhagwan hamara bhagya banate hain?

Toh aise hi kuch sawal mere man me chalte rahte the? chunki ham apne life me itna busy rahte hai ki ham yeh sab sawal soch nahi pate? aur yaha tak ki ham apne aap ko bhi bhul jate hain? ki ham jo dikhte hai wo hai nahi. Jaise Ham sochte hai yeh mera sharir hai, lekin yeh sharir toh vinashi hai, mitti me mil jayega? phir yeh satya kaise? Ham sochte hai yeh mera ghar hai, lekin yeh ghar bhi vinashi hai, aaj mere paas hai kal kisi aur ke paas chala jayega. Toh satya kya hai?

Ham kaun hai?

Jab Tak Ham Khud ko nahi janege, tab tak ham Khuda ko bhi nahi jan sakte?
Ek Din achanak main Brahma Kumaris ke Aashram me apne aap hi chala gaya jo Birsa Munda Park Dhanbad me hain aur waha baith kar jyoti bindu me dhyan lagane laga. Mujhe waha bahut hi aacha anubhaw hua aur mera dimag ek point par pahucha, jaha se sankalp(thoughts) kam hone lage aur mera dimag shant hone laga.

Uske Baad mujhe yaha Brahma Kumaris ke ashram Jo JagJivan Nager, Dhanbad me hain, waha jakar Brahma Kumaris Ke 7 days course karne ka mouka mila jo bilkul free hai aur puri dunia me iska 8500 centres hai, sab jagah yeh course free me karaya jata hai aur iss course me hame apne aap ko janne ka mouka milta hai aur mera kaun hai yeh janne ka mouka milta hai? isse hamare life bahut hi stable, peaceful, joyful, pure, knowledgeful ban jati hain? Hame apne wastwik lakshya ka pata chalta hai ki akhir ham iss dunia me kyo aaye hai.

Maine bhi yeh jana ki main jisse sharir samjhta tha, aur sharir ke naam par ghamand karta tha, mujhe pata chala ki main sharir nahi, main sharir ko chalane wali ek aatma hun. Iss dunia me sabhi ek aatma hain. Aur aatma ke 3 part hai, Man, Buddhi aur Sanskara. Kyoki Sharir Mar Jata hai, lekin aatma avinashi hai, wo nahi marti hain. Maine iss par bahut research kiya, Geeta me bhi padha aur bahut dharmo ke articles aur books dekhe. Aatma ko energy, jeevan, Ruh, Soul bhi kahte hain. Aatma me 7 virtues(guun) hote hain, pavitrata, gyan, prem, sukh, shanti, anand aur shakti. 

Mujhe yaha bataya gaya ki ham gussa kyo karte hain. Aatma ke natural guun(virtues) toh shanti hai, chunki aatma ki battery discharge ho jati hai, aatma Sato, Rajo, Tamo Phase se gujarti hain. Aatma hi Pawan banti hai phir patit banti hai? Aatma jab Patit banti hai, toh usme shakti kam ho jati hai issliye wo bhul jati hai ki wo peaceful hai aur gussa karti hai.

WHO IS GOD?

Phir mujhe yah jaanne ka mouka mila ki mera 2 pita(Father) hai, ek sharir ka aur dusra aatma ka pita. Aur Bhagwan ek hai. Aur wo sabhi aatmao ka pita hai, Father hai. Supreme Authority hain. Chunki sabka pita(Father) hai, isliye kahte hai param pita. Mujhe pata chala ki isliye Hindu, Muslim, Sikh, Ishai etc sabhi dharm ke sabhi log aapas me bhai huye. Yeh aatmik relation hai. Chunki Yeh sab log bhul jate hai, isliye apas me ladte rahte hain.



Bhagwan Bhagya Banane Kab Aate Hain - भगवान भाग्य बनाने कब आते हैं |


Iss prashan ka bhi uttar mujhe mil gaya, Brahma Kumaris ke 7 Days ka course Karke. Main aatma aapse share karta hun.

Isse pehle yeh jaruri tha ki main aapko aatma aur paramaatma ka parichay share karu. Uppar me maine yeh aapse share kiya. Bhagwan Bhagya Banane aate hai? Kya yeh sach hai?

Mere ander yeh prashn chal rahe the, akhir mujhe iss baat ka pata chala course me ki Bhagwan Ham sab aatmao ka bhagya kab banate hai? Course me mujhe bataya gaya ki yeh dunia(srishti) 4 phase se gujarti hai, Sato pradhan, Sato, Rajo aur Tamo.  Jiska naam Satyug, Treta, Dwapar, Kalyug. Inn Charo Yugo me aatmaye iss charo phase se gujarti hai. Jab shuru me aatma paramdham se aati hai iss Satyugi srishti par toh satopradhan(Purest) rahti hai, phir Treta Yug me jati hai toh Sato(Pure) Ban Jati hain, phir next Dwapar yug me pravesh karti hai toh Rajo(copper age) ban jati hai, phir Kalyug me Tamo(Iron Age) ban jati haim. Aisa Prakritik ke sath bhi hota hai, shuru shuru me environment bhi ekdum purest state me hoti hai aur dhire dhire pollution badhta jata hain.

Lekin Mujhe ek baat samjh aayi, ki purest hoti hai aatmaye aur prakritik shuru shuru me, lekin baad me patit, polluted ban jati hai. Lekin phir se purest kaise banegi?

Tab Mujhe course me bataya gaya ki Geeta me likha hai, Yada Yada Hi Dharmashya...

Jab Iss Srishti me, pap badh jata hai, sab aapas me mahabharat karte rahte hai, aamaye patit ban jati hai, prakirtik bhi polluted ban jati hai tab main aata hu, iss dhara ko phir se pawan banane aur pawan banakar sabko mukti aur jeevanmukti deta hun. Mukti matlab aatmaye apne ghar(Paramdhan, brahmlok, shantidham) chali jati hai aur jeevanmukti matlab Bhagwan hame aakar sacha sacha geeta gyan padhakar hame phir se pawan banate hai aur jo aatmaye srimat ko follow kar pawan banti hai usse numerwar swarg(satyug, paradise, jannat) me unch pad prapt hota hain. Issi ko bhagya banana kahte hai. Bhagwan Bhagya nahi likhte hain, wo hame padhate hai aur ham padhkar apna bhagya khud likhte hain. Bhagwan hame bhagya likhne ki kalam hamare hatho me de dete hai. Jis tarah se teacher kya karta hai, student ko padhata hai aur student padh kar apna bhagya sunder banata hain. This ussi prakar bhagwan se padhkar ham devi devta ban jate hain. Ekdum Paawan.

Aur wo daur abhi chal raha hai, Kalyug ka ant samay jisse ghor kalyug kahte hain. Abhi har ghar me mahabharat chal raha hai. Aur ishi daur me bhagwan ko aatna padta hain Kalyug ke aant me jise Sangamyug kahte hain.

Maine jana ki Bhagwan aa chuke hain aatmao ko pawan(pavitra, purest, satopradhan) banane ke liye. Maine yeh bhi jana ki bhagwan koi bhagya dete nahi, wo aakar hame padhai padhate hai aur rajyoga sikhate hai. Geeta me likha hai, Bhagan kahte hain manmanabhaw. Khud ko aatma samjh kar mujhe yaad karo toh tumahre sare pap(Wrong karma) kat jayege aur tum swarg ke malik ban jaoge.

Toh iss sangamyug me hi bhagya(Swarg par shashan) banane ka mouka hai. Bhagwan bhagya banane sangamyug(kalyug ka aant aur satyug ka aadi) me aate hai aur ham sab aatmao ka bhagya banate hai. Mujhe yah gyan sunkar bahut hi shanti anubhaw ho raha hai. Main bhi roj class karne Brahma Kumaris ke ashram jata hu aur apne kharab sanskaro ko samapt kar raha hun. Jisse mujhe ati indriyan sukh ki prapti ho rahi hain. 

Aap bhi Brahma Kumaris ke 7 Days Course Online karna chate hai toh kar sakte hain aur apne aaspas jo centre ho waha jakar apne prashno ka samadhan kar sakte hain.

Brahma Kumaris Ke Centers all over the world me available hain.


Dil Se Om Shanti

About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.