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अमृतवेला: ब्राह्मण जीवन की मर्यादायें

ब्राह्मण जीवन की मर्यादायें :

1. 3.30 to 4.45 - अमृतवेला

 1..  उठते ही पहले बाबा को गुड मॉर्निंग

 2.. बेड का त्याग कर देना है, बेड पर कभी अमृतवेला नहीं करना है। छत पर जाकर या अलग से बाबा का कमरा हो तो वहाँ पर या 1 बाबा का ट्रांसलाइट वाला चित्र लेकर उसके सामने बैठकर योग करना है।

 3.. स्नान करके ही अमृतवेला करना है ब्रश करते समय कोई भी स्वमान की स्मृति में या नशे में रहना है।

4.. अमृतवेला बुक को पहले एक बार जरुर पढ़ना है जब अमृतवेले का महत्व समझेंगे तभी हम अच्छे से योग कर पाएंगे । अलग-अलग अभ्यास करना है ओर योग में इस तरह से हम नवीनता ला सकते है।
              कभी स्वमान का अभ्यास , कभी सूक्ष्मवतन में जाकर बाबा से सर्व संबंधों की अनुभूति करनी है बाबा से रुहरुहान करना है,  कभी फरिश्ता बनकर सारे विश्व को सकाश देनी है , कभी परमधाम जाकर बीज रूप स्थिति में स्थित हो जाना है,  कभी पांच स्वरुप का अभ्यास करना है।
        ऐसे 45 मिनट भिन्न-भिन्न अभ्यास करके हमें अमृतवेले का आनंद लेना है।

2. 4.45 to 5.45 - अमृतवेले के बाद कभी सोना नही है, अव्यक्त वाणी पढ़ना और ज्ञान की चर्चा करना, अध्ययन करना, मनन  करना, पधन, पाधन करना है।
5.45 to 6.30 - walk or exercise.. कोई भी 1 क्लास ले लो और क्लास सुनते सुनते walking करो।

3.  मुरली

4.  दिनचर्या में ट्रैफिक कंट्रोल को जरुर करना ।
          अगर ट्रैफिक कंट्रोल के समय आप busy हो तो आप अपना ट्रैफिक कंट्रोल भी बना सकते हो घण्टे में जब भी आपको टाइम मिले बस 1 मिनिट के लिये कोई भी स्वमान की प्रैक्टिस या कोई छोटा सा अभ्यास भी कर सकते हो।
 मैं आत्मा हूँ मुझसे शांति की किरणें चारों ओर फैल रही है।

 मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान हु मुझसे शक्तियों की किरणें चारों ओर फैल रही है।

 या फिर 1 मिनिट के लिये मुरली में जो कुछ भी सुना उसके कोई भी 3 4 पोइंट को भी रीपीट कर सकते है।

5.  भोजन

भोजन बनाते हुये ध्यान में रखने योग्य बातें:

 1... जो भोजन करते हो वो *पैसे किस तरह से घर मे आते है, अगर वो पैसे 2 no के है, ईमानदारी से कमाया गया नही है तो कितना भी योग करो सफलता नही मिलेगी, जिस तरह से कमाया गया हो, किसी को धोखा देकर, किसी का खून चूसकर अगर वो पैसा घर मे आता है और उसका भोजन हम बनाते है तो वो कभी सफल नहीै हो सकता। इसलिए बड़े सोच विचार कर खाएं।

Source: Brahmakumaris

Brahmakumari Usha Didi in Sonotel Hotel Dhanbad

Brahmakumari Usha Didi in Sonotel Hotel Dhanbad

I have attended the Brahmakumari Event on Sonotel Garden Dhanbad. In this program, there are many chief guest came and attended the program. Jharkhand Governor BK Draupdi Murmu Jee,  DRM, DSP, DC of Dhanbad. There are many BK didi from Kolkata, Orissa, Dhanbad came and make the event successful.






Check out some audio recording of the program


https://soundcloud.com/bk-ravi-kumar-gupta/

Learn From The Lord Ganesha by Brahmakumaris

Spiritual Significance Of Sri Ganesh Chaturthi

We can learn lot of things from the Lord Ganesha, I have learnt many things watching this video. I am sharing with you.

श्री गणेश जी से शिक्षाएं

Koi bhi acha kam karte hai toh kahte, sri ganesh karo? 

Big head ka kiska pratik hain? 

Bade bade kaan kiska pratik? 

Ek dant dayawant... Ek dant wo bhi tuta hua, kiska pratik? 

Buddhi ke devta, raham dil, vighan vinashak, dukh harta, sukh karta

Kya sirf mahima karna kaphi hai ki hame bhi aisa banna hai? 

Must watch

श्री गणेश से शिक्षाएं: BK Shivani (Subtitles English) | Ganesh Chaturthi



Lord Ganesha

कोई कहता कष्ट निवारक, कोई कहता विघ्न विनाशक।
कोई कहता सिद्धि विनायक, कोई कहता सर्व फलदायक।।

वास्तव में ये सारी विशेषताएँ लिए हुए, सर्व के विघ्नहर्ता गणेश, शिव पुत्र गणेश का उत्सव हम आत्माओं का ही यादगार है।

शिवपुत्र गणेश के एक एक अंग की रचना, एक एक विशेषताओँ को दर्शाता है....जैसे - छोटी अाँखे अर्थात छोटों में भी बड़ाई देखना, विशेषता देखना; लम्बोदर समाने की क्षमता; एकदन्त बुराइयों को मिटाना और अच्छाईयों को धारण करना; बड़े कान ज्ञान श्रवण कर उसे ग्रहण करना; सूंड... जिस प्रकार हाथी अपनी सूंड से विशाल वृक्ष को सरलता से उखाड़ देता है ठीक उसी प्रकार हमें अपने पुराने स्वभाव-संस्कार को अंश व वंश सहित खत्म करना है.....

बाबा हम बच्चों को विघ्न विनाशक गणेश के रूप में ही देखते हैं, बार-बार हमें इस स्वमान में स्थित करते हैं तो गणेश चतुर्थी के इस शुभ पर्व पर हम सभी विघ्न विनाशक की हर एक विशेषता को स्वंय में धारण करने का दृढ़ संकल्प करें और न ही केवल स्वयं को बल्कि सारे विश्व को निर्विघ्न बनाने का सफल पुरुषार्थ करें।

अाप सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाईयाँ और शुभ-कामनाएं!!!.......

गणेश चतुर्थी का आध्यात्मिक” (पार्ट:- 1)* 

➳ पौराणिक कथा...... शिवपुराण में यह वर्णन है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वारपाल बना दिया। शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया।

➳ इस पर शिवगणोंने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सका, बाद में भगवान शंकर जी ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सर काट दिया। इससे भगवती शिवा क्रुद्ध हो उठीं और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षिनारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया।

➳ शिवजी के निर्देश पर विष्णु जी उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गजमुखबालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्यहोने का वरदान दिया।

➳ भगवान शंकर ने बालक से कहा-गिरिजानन्दन! विघ्न नाश करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। तू सबका पूज्य बनकर मेरे समस्त गणों का अध्यक्ष हो जा। गणेश्वर! तू भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुआ है। इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी।

➳ इस कथा को केवल सीधा सीधा पढ़ने या सुनने मात्र से गणेश चतुर्थी का वास्तविक महत्व सपष्ट नहीं होता क्योंकि इसे सुनने पर मन पटल पर बहुत से प्रश्न उठने लगते हैं...                                                                       

➳ जैसे शिव और पार्वती जी दिव्य व्यक्तित्व को दर्शाते हैं यानि वे सब विकारों से ऊपराम होने चाहिए फिर वह इतने क्रोधित कैसे हो सकते हैं कि शिव एक बालक का शीश काट दें और पार्वती जी पुत्र मोह में सारी सृष्टि के विनाश करने पर उतारू हो जाएं? फिर उन्हें शांत करने के लिए विष्णु जी एक निर्दोष जानवर का शीश काट कर ले आएँ ?

➳ ऐसे हिंसक कर्म करने के लिए तो एक साधारण मनुष्य भी सौ बार सोचेगा और तो क्या शिव, पार्वती व विष्णु जैसे श्रेष्ठ दिव्य व्यक्तित्व पर ऐसे कार्य शोभायमान हैं? इसके अतिरिक्त किसी जानवार का शीश मनुष्य (वह भी छोटे से बालक पर) के धढ़ पर कैसे लग सकता है? इस तथ्य की वैग्यानिक पुष्टि हो सकती है? साथ ही गणेश जी के चित्र में दिखाए गए विभिन्न अलंकार देखने पर बहुत अट्‍पटे से अनुभव होते हैं जैसे इतने बड़े शरीर के साथ छोटे से चूहे की स्वारी करना आदि आदि! यानि गणेश जी के चित्र को देखने व पूजने मात्र से इस महान पर्व की वास्तविकता समझ नहीं आ सकती लेकिन विवेक और भक्ति भाव के समिश्रण से गणेश जी की कथा व व्रत का वास्तविक अर्थ समझा जा सकता है और गणेश चतुर्थी जैसे महान पर्व को सार्थक रूप में मनाया जा सकता है अतः आइए समझते हैं गणेश चतुर्थी का अध्यात्मिक अर्थ....
                              
➳ कथा में दर्शाए गए शिव व पार्वती जी को देह के रूप में न देखकर अत्मिक रूप में देखें! यहां शिव निराकार ज्योति स्वरूप परमात्मा हैं और पार्वती वास्तव में मनुष्य आत्मा को कहा गया है! 

➳ मनुष्य आत्मा जब संसार के भोग विलास में स्नान करती है यानि उसमें डूबी होती है तो उसका अहम, देहभान (ego) उसके और ईश्वर (परमात्मा) के बीच में द्वारपाल का कार्य करता है यानि संसार के खेल में मग्न मनुष्य आत्मा स्वयं व ईश्वर की वास्तविकता भूल जाती है क्योंकि वह स्वयं को देह व देह से जुड़े हुए अलंकारों से ही पहचानती है! वह न तो अपना वास्तविक परिचय जानती है और न ही ईश्वर का! ईश्वर है भी या नहीं, इसके बारे में सोचना भी उसे मिथ्या अनुभव होता है लेकिन जब इस सृष्टि चक्र का अंत का समय आता है तो निराकार ज्योति बिन्दु शिव स्वयं धरती पर अवतरित होते हैं!  

➳ मनुष्य आत्मा उन्हें पहचान सके इसलिए वे सबसे पहले अपनी आत्मा रूपी पार्वती के अहम ( देह भान) का गला काटते हैं यानि उसे स्वयं को आत्मा निश्चय करवाते हैं और उसे दिव्य बुद्धि व विवेक का शीश प्रदान करते हैं,  ( पशु्‍यों में हाथी को सबसे बुद्धिमान पशु माना जाता है इसीलिए गणेश जी में हाथी का शीश दिखाया जाता है) गणेश जी के चित्र में विभिन्न अलंकार भी बहुत गहरा अध्यात्मिक रहस्य समेटे हुए हैं जैसे !

“गणेश चतुर्थी का आध्यात्मिक” (पार्ट:- 2) 

➳ हाथी के बड़े बड़े कान, सांसारिक मोह माया के शोर में भी सत्य ज्ञान को ध्यानपूर्वक सुनने व ग्रहण करने का प्रतीक हैं क्योंकि हर मूल्‍यवान कथन को कान खोल कर सुनना व ग्रहण करना पड़ता है अलबेला्‍पन उस सत्य को ग्रहण नहीं करने देता अतः बड़े बड़े कान सत्य ज्ञान को एकाग्रचित हो कर सुनने के प्रतीक हैं!

➳ छोटी छोटी आँखे दूरदर्शी होने व भविष्य को भांप लेने का प्रतीक हैं, साथ ही प्रभु के सुंदर ज्योति स्वरूप पर मन बुद्धि को एकाग्र करने का प्रतीक भी हैं।

➳ बड़ा सिर हर कर्म में बुद्धि ( विवेक ) के  अधिक से अधिक प्रयोग को दर्शाता है!

➳ हाथी की लंबी नाक ऊंचा पद, मान, प्रतिष्ठा का प्रतीक है और जैसे हाथी अपनी सूंड से बड़े बड़े पेड़ बड़ी ही सहजता से उखाड़ फेंकता है वैसे ही यदि हम भी संसार में वास्तविक इज्ज़त व मान पाना चाहते हैं हम भी बड़े बड़े कार्य करें लेकिन प्रेम व सहजता से!

➳ सत्य की राह पर कठिनाईयों का सामना तो करना ही पड़ता है तो गणेश जी का बड़ा पेट समाने की शक्ति का प्रतीक है यानि यदि हम वास्तव में अपना व संसार का कल्याण चाहते हैं तो किसी तरह की बड़ी से बड़ी ग्लानि व निंदा के प्रति क्रोध व्यक्त न करें बल्कि उसे समाते जाएं और सत्य की राह पर अडिग रहें!

➳ गणेश जी के हाथ में कमल या गणेश जी का स्वंय कमल पर असीन होना पतित दुनियाँ में भी पवित्रता को बनाए रखने का प्रतीक है जैसे कमल कीचड़ में खिल कर भी कीचड़ से उपराम रहता है!

➳ गणेश जी के हाथ में कुल्हाड़ी विकारों व अवगुणों पर प्रहार करने का प्रतीक है।

➳ गणेश जी के हाथ में पुस्तक, सत्य ज्ञान का बोध व निरंतर उसी का मनन चिंतन करने का प्रतीक है!

➳ इतने भारी भरकम शरीर वाले गणेश जी क्या एक छोटे से चूहे को अपने वाहन के रूप में प्रयोग कर सकते हैं? नहीं...चूहा सांसारिक गन्दगी व चंचलता का प्रतीक है और गणेश जी की उस पर स्वारी यह दर्शाती है कि सांसारिक वृति व विकार सदा गणेश जैसी गुणवान व विवेकशील आत्मा के अधीन रहते हैं।

➳ गणेश स्वरूप गुणवान आत्मा हर मुश्किल को हल करने का सामर्थ्य रखती है अतः वह विघ्नविनाशक कहलाती है और सदा विजय का मीठा फल खाती है जिसका प्रतीक है  गणेश जी को लड्डूयों का भोग लगाना!     

➳ हर कार्य से पहले यदि मनुष्य आत्मा इन सब गुणों व शक्तियों का अहवान करे तो उसका हर कार्य शुभ व शत प्रतिशत सफल होगा तभी हर कार्य को शुरु करने से पहले गणेश पूजा की रीत है अतः गणेश चतुर्थी के इस पावन पर्व पर व्रत करें, पूजा अर्चना करें, खुशियां मनाएं लेकिन वास्तविकता को मन में समाए रखें ताकि आप स्वयं भी गणेश जी की तरह गुणों व शक्तियों से भरपूर बन अपने जीवन से हर प्रकार के विघ्नों को हटा कर सदा सफलता का मीठा फल खाते रहें!




Here is the video, Must Watch





क्रोध के दुष्प्रभाव और इससे बचने के उपाय

क्रोध के दुष्प्रभाव और इससे बचने के उपाय

ॐ शांति

क्रोध रूपी काँव-काँव से बचे

क्रोध शब्द का प्रथम अक्षर है क्रो | अंग्रेजी में इसका मतलब है CROW यानि कि कौवा, जो सदा काँव-काँव करता रहता है | क्या आप दुसरो के क्रोध को सह सकते है? क्या आप चाहते है कि कोई आपपर क्रोध करे? अगर आप दुसरो के क्रोध को नहीं सह सकते है तो आपको भी क्रोध करने का कोई अधिकार नहीं | क्योकि ऐसा सिद्धांत है कि ब्लैक बॉल दीवाल में मारेंगे तो आपको वही ब्लैक बॉल वापस आएगा, ऐसा नहीं है कि ब्लैक बॉल फेकते है तोह वाइट बॉल वापस आता है |



इन दोनों फोटो में अंतर आप साफ देख सकते है |

कोई आदमी क्रोध करता है तोह समझ लीजिये कि उससे बहुत प्यार की जरुरत है, वो इंसान प्यार का भूखा है |

क्रोध बहुत तबाही मचाता है | जैसे कि आंधी तूफान |

गुस्से में बोला गया एक बोल इतना जहरीला बन सकता है जो आपकी हज़ार प्यारी बातो को एक सेकंड में नष्ट कर सकता है। क्रोध और आंधी दोनों बराबर है, शांत होने के बाद ही पता चलता है कि कितना नुकसान हुआ।

कर्मइन्द्रिय पर कण्ट्रोल - उच्च पद - मोक्ष चाहिए?

ॐ शांति

आज हमारे प्यारे शिव बाबा ने फिर से बच्चो को कहा - मीठे बच्चे हमेशा बुद्धि में सर्विस यानि सेवा भाव ही चलते रहना चाहिए | तुम्हे ही सबका कल्याण करना है सबकी सेवा करनी है, क्योकि तुम ही हो अंधो की लाठी | हम सब के पास ज्ञान रूपी चक्षु नहीं है जिसमे कारन हम बच्चो को ही सबकी लाठी बनकर सबको ज्ञान में लाना है |

सारे के सारे कॉलोनीज, गांव, शहर घूम घूम कर सबको बाबा के बारे में बताना है | तुम्हे अपनी सर्विस करनी है | गांवओ गॉंवओ में जा जाकर कुम्भकरण को उठाना है, जो अज्ञानता की नींद में सो रहे है | जैसे सेण्टर के पास जिनका घर है वो डेली देखते है भाई बहनो को सेंटर जाते पर खुद नहीं आते कभी |

बाबा ने आज के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि अगर उच्च पद पाना है तोह अपने कर्मइन्द्रिय पर पूरा कण्ट्रोल करना होगा, सारे तमन्नाओ को त्यागना होगा, अगर थोड़ी सी भी तमन्ना है तोह उच्च पद नहीं पाओगे, कर्मइन्द्रिय पर जीत पाना होगा |

16 कला - पूज्य
14 कला - सेमि पूज्य
पुजारी - कलयुग

बाबा संगम युग में आये है हमें फिर से पूज्य बनाने | बाबा कहते है जिनको ज्ञान नहीं है वो मोक्ष मांगते है यानि दुखी है तभी मोक्ष मांग रहे है | ज्ञान पाने के बाद मोक्ष कभी नहीं मागेंगे |

किसी भी बात को फुलस्टॉप की बिंदी लगाकर समाप्त करने वाले सहज योगी भव :

ॐ शांति

BK Ravi - Dhanbad

95 Percent Negative Thinking 5 Percent Positive Thinking

95 Percent Negative Thinking 5 Percent Positive Thinking


95 Percent Negative Thinking 5 Percent Positive Thinking
95 Percent Negative Thinking 5 Percent Positive Thinking
ॐ शांति

मैं BK रवि कुमार. मैं रोज सुबह बाबा के महावाक्य सुनने मुरली क्लास जाता हूं | मैं लौकिक धनबाद का रहने वाला हूं | वैसे तो हम सभी परमधाम से आये है और वही जाना है | शिव बाबा खुद इस धरा में आये है और हमें ज्ञानअमृत पिलाया है | हम सब अनजान थे अपने जीवन में, और परमधाम को भूल भी गए थे | अचानक मेरे जीवन में मुझे ब्रह्माकुमारीज़ सेंटर में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | और मैंने ज्ञान लेना शुरू किया | मन के सारे भ्रम दूर होने लगे है | हमलोग की बचपन से ही भक्ति के माहौल में पालना हुई | हमें नहीं पता था कि भगवान् कहां है | मुझे बचपन से ही सिखाया गया कि भगवान् कण कण में है, कूड़े कचरे, जानवर, नदी, नाला सबमे, लेकिन जब मुझे BK उषा दीदी जी से ज्ञान सुनने का मौका मिला, मेरे सारे भ्रम दूर हो गए | भगवान् एक है और वो है परमपिता परमात्मा, गॉडफादर, सतगुरु, निराकार, लाइट स्वरुप परम आत्मा | आप भी अपने घर पर ही पीस ऑफ़ माइंड टीवी चैनल देख सकते है, और अपने नजदीकी सेंटर में जाकर सच्ची गीता ज्ञान ले सकते है  आगे भी में अपना अनुभव आपलोगो से शेयर करता रहूंगा |

Peace of Mind Youtube Live Channel

मुझे अपने ब्रह्माकुमारी सेंटर में जाकर ही सच्ची गीता का ज्ञान मिला | जिसमे मैंने जाना कि इस दुनिया में सच्ची में 95 परसेंट कौरव यानि कि नेगेटिव थिंकिंग वाले लोग है और 5 परसेंट पांडव यानि कि पॉजिटिव थिंकिंग वाले लोग है | हम गीता का सच्चा ज्ञान ब्रह्माकुमारीज़ सेंटर में ले सकते है और अपने आप को भी 5 परसेंट लोगो में शामिल कर सकते है |

I have written more articles on mental care on my site. You can check.

ॐ शांति
BK रवि कुमार
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How do you overcome not getting a job offer?


Not Getting Jobs

Why am not getting job having completed my education?, this is the general question have been asked by the students who is seeking jobs after their study.

I would like to share with you one thing.

One of my friend has completed his masters from a recognized and reputed university, but at last he has no job. Lot of people in the world like my friend.

I would tell you, now a day, the quality of education has lower down and it become business, the Institute, colleges even students do not manage their quality of education, that is why at last they have not any jobs at last.

Why not getting job

1. Does not manage quality of education
2. Scarcity of knowledge
3. Information GAP like does not know about placement agencies, companies, job websites, job groups, jobs consultants etc
4. Overconfidence (due to this people left job which he has got opportunity earlier)
5. Due to bad decisions of their career

How to get jobs easily : Some Tips

1. Be Update to date with the current affairs and your knowledge
2. Always update your naukri.com and monster.com profile minimum 2 times in a day
3. Create a professional, simple and short CV(Bio-data)
4. Take advice from Jobs consultant
5. Make profile on linkedin.com and always surf the website, group
6. Reply to companies With CV and Cover letter both


This is the simple tips, i have given to you, you can get jobs easily to follow this tricks and tips

Thanks

Ravi

Resourceful help




Bhaja Hare Krishna Japa Hare Krishna

Bhaja Hare Krishna Japa Hare Krishna 

Bhaja Hare Krishna, japa Hare Krishna, le Shri Hari ka naam re Lyrics

Bhaja Hare Krishna, japa Hare Krishna, le Shri Hari ka naam re;

Bhaja Hare Krishna, japa Hare Krishna, le Shri Hari ka naam re;

Jag ke saare naamo me yeh;

Jag ke saare naamo me yehi aaye tere kaam re;

Bhaja Hare Krishna, japa Hare Krishna, le Shri Hari ka naam re;





Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare;

Hare Rama, Hare Rama, Rama Rama, Hare Hare;

Hari Bol;

Bhaja Hare Krishna, japa Hare Krishna, le Shri Hari ka naam re.






Mere nain leke chaabi, Hari ki nihaar le;

Leke mera mann mere, Prabhu ko pukaar le;

Mere nain leke chaabi, Hari ki nihaar le;

Leke mera mann mere, Prabhu ko pukaar le;

Karle keertan, denge darshan;

Karle keertan, denge darshan , Manmohan GhanShyam re;

Bhaja Hare Krishna, japa Hare Krishna, le Shri Hari ka naam re;






Om Chaitanyay namah, Om Chaitanyay namah,

Shri Krishna Chaitanyay namah;

Kab se mai baithi hoon, teri prateeksha me;

Jeevan beetayaa maine kathin pariksha me;

Jeevan beetayaa maine kathin pariksha me;

Om Chaitanyay namah;

Shri Krishna Chaitanyay namah.




Jap tap saadhan aaradhan ka

Jap tap saadhan aaradhan ka, de de shubh parinaam re.

Bhaja Gouranga, Laho Gaurango, Kaho Gaurangero Naam re.

Shri Gouranga ke charno me hai

Shri Gouranga ke charno me hai, mere chaaro dhaam re.





Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare;

Hare Rama, Hare Rama, Rama Rama, Hare Hare.





Barson se mann mera, daras ko tarse;

Kripa nahi barse teri, nain mere barse;

Barson se mann mera, daras ko tarse;

Kripa nahi barse teri, nain mere barse;

Shri charno me baithe baithe;

Shri charno me baithe baithe, subah se ho gayi shaam re.

Bhaja Hare Krishna, japa Hare Krishna, le Shri Hari ka naam re.





Yu hi beet na jaaye Prabhu milan ki bela;

Hari Bol Hari Bol, Hari Bol, Hari Bol;

Dhal na jaaye sham, ujad na jaaye mela;

Hari Bol Hari Bol, Hari Bol, Hari Bol;

Parvat raasta roke to thokar se uda de;

Saagar baadhaa daale to saanso se sukha de;

Reh na jaaye kahin milan ki aas adhuri;

Aaj mita do Bhakt aur Bhagwan ki doori;

Hari Bol, Hari Bol, Hari Bol, Hari Bol, Hari Bol, Hari Bol

Hari Bol, Hari Bol, Hari Bol, Hari Bol.





Bhaja Gouranga, Laho Gaurango, Kaho Gaurangero Naam re.

Jag ke saare naamo me yeh;

Jag ke saare naamo me yehi, aaye tere kaam re;

Bhaja Gouranga…

Gourango, re Krishna, Gourango…


via ytCropper

Special Message On The Festival Of True Holi

Special Message On The Festival Of True Holi

Holi is the festival of colours, love and harmony.

So let’s burn the dry sticks of our weaknesses and bitter past memories.

Let’s smear each other with permanent colours of love, trust and tolerance.

Ho Li means ‘I Belong’. So let me the soul belong completely to God or the Supreme Soul.

Ho Li means past has passed. If there is anything we hold painful on our mind, let’s remind ourselves, it’s the past, it’s over.

Holy means purity and integrity in our every thought, word and action.


Let’s live the meaning of Holi not just today, but everyday.


About Me - BK Ravi Kumar

I am an MCA, IT Professional & Blogger, Spiritualist, A Brahma Kumar at Brahmakumaris. I have been blogging here.