सतयुग के प्रथम महाराजकुमार श्री कृष्ण होते है और श्री कृष्ण के सतयुग में 8 जन्म होते हैं इसीलिए हम कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं और नवा जन्म त्रेतायुग में श्रीराम का होता है इसलिए हम रामनवमी मनाते हैं| उन्होंने श्री राम के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस प्रकार श्रीराम ने मर्यादाओं को जीवन में बनाए रखा ,श्री सीता जी ने भी मर्यादाओं को अपने जीवन का आधार बनाया उसी प्रकार हमें भी श्री सीताराम जैसी मर्यादाओं को अपने जीवन में धारण करना है ताकि हम भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की तरह बन सके |
लक्ष्मण का अर्थ बताते हुए कहा की लक्ष्मण अर्थात जिसका ध्यान अपने लक्ष्य की ओर हो ,हनुमान अर्थात जिसने अपने मान -शान का हनन किया हो अर्थात नम्र और निर्माण | वर्तमान में परमात्मा द्वारा रामराज्य की ,अथवा आदि सनातन देवी देवता धर्म की स्थापना का कार्य चल रहा है और निकटतम भविष्य में राम राज्य की स्थापना, राम का राज्य आरंभ होने वाला है|
जब राम धरा पर आते हैं तो हम बानर सेना द्वारा रावण राज्य पर जीत प्राप्त कराते हैं, जिस कारण रामनवमी पर महावीर का झंडा फहराया जाता है चुकी राम निराकार है इस लिए हम बच्चे उसमे भी ब्रह्मा बाबा के तन का आधार लेकर ब्राह्मण रच कर मै और मेरा दोनों को परिवर्तन कर रावण के राज्य को आग लगाते हैं, इसी लिए महावीर का झंडा फहराया जाता है रामनवमी पर|
राम नवमी का आध्यात्मिक रहस्य🏹
राम नवमी का पर्व, हिन्दू धर्म में एक प्रमुख त्यौहार है जो चैत्र की नवमी को मनाया जाता है. कहते हैं इस दिन त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ के घर, उनके सबसे बड़े पुत्र और भावी राज श्री राम का जन्म हुआ था।
🏮🕚परमात्मा शिव ने पुरुषोत्तम संगम युग में इस रहस्य का उद्घाटन करते हुए बताया कि यह सृष्टि चक्र ५००० वर्ष का है,
जिसमें ४ युग हैं - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलियुग। चारों ही युगों की आयु १२५० वर्ष है.
🕕सतयुग, त्रेतायुग में भारत स्वर्ग था, जिसकी स्थापना कलयुग के छोटे से युग संगम युग में स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा शिव ने प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा ब्राह्मण धर्म की स्थापना द्वारा की थी। ब्रह्मा के द्वारा उन्होंने गीता ज्ञान दिया था जिसके द्वारा ब्राह्मणों की उत्पत्ति हुई। इसका मुख्य उद्देश्य, नर्क को स्वर्ग अथवा नर से नारायण और नारी से श्री लक्ष्मी बनाना है। इस राजयोग के ज्ञान द्वारा ही विश्व में सतधर्म की स्थापना हुई, जो अब फिर हो रही है। सतयुग और त्रेतायुग में भारत स्वर्ग था, सूर्यवंशी और चंद्रवंशी घराना था और श्री लक्ष्मी-श्री नारायण और श्री राम-श्री सीता का राज्य था। सतयुग में ८ जन्म थे तो त्रेता में १२ जन्म। इस प्रकार श्री लक्ष्मी-श्री नारायण की ८ गद्दियाँ चलीं, फिर श्री राम का जन्म हुआ। इसलिए श्री राम का जन्म श्री नारायण के ८ जन्मों के बाद हुआ यही कारण है कि श्री राम का जन्मदिन रामनवमी कहलाता है।
🏹इसके अलावा श्रीराम को धनुष बाण दिखाने का अर्थ है कि चंद्रवंशी राज्य में १४ कलाएँ थीं, अर्थात वह सूर्य वंशी श्रीलक्ष्मी-श्रीनारायण समान कलाओं, गुणों आदि में संपन्न नहीं थे। यही कारण है कि स्वयंवर से पूर्व श्रीलक्ष्मी-श्री नारायण जो कि श्री राधा-श्री कृष्ण थे, जितनी महिमा इन दोनों की है उतनी महिमा श्रीराम श्री सीता की नहीं है. इसके साथ-२ केवल श्रीकृष्ण को ही झूले में झुलाया जाता है, लेकिन श्री राम को नहीं।
🏮वर्तमान समय में परमपिता परमात्मा शिव मनुष्य से देवता बनने की पढाई अर्थात सहज राजयोग सिखा रहे हैं, गायन भी है मनुष्य से देवता किये करत न लागे वार, अर्थात मनुष्य से देवता बनना कोई मुश्किल काम नहीं है। तो इस ईश्वरीय पढाई का ऐम ऑब्जेक्ट स्वयं को ईश्वरीय याद व ईश्वरीय ज्ञान द्वारा श्रीलक्ष्मी-श्रीनारायण जैसा बनाना है,
✳जिनकी महिमा में गाते हैं - सर्वगुण संपन्न, १६ कल सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरषोत्तम। जो कि परमपिता परमात्मा शिव की श्रीमत का सम्पूर्ण पालन करने के द्वारा ही संभव है। परन्तु उससे पहले श्रीराम जैसा बनना है, अर्थात गोल्डन ऐज से पहले स्वयं को सिल्वर ऐज वाला बनाना है,
🌟जिसकी निशानी स्वयं परमपिता परमात्मा शिव के अनुसार यह है कि ऐसी आत्मा में कर्मेन्द्रियों की चंचलता समाप्त हो जाएगी। हालांकि पुरुषार्थ सूर्यवंशी में उंच पद पाने का करना है जो कि ईश्वरीय ज्ञान, योग (याद की यात्रा), दैवी गुणों की धारणा और ईश्वरीय सेवा द्वारा ही संभव है, लेकिन त्रेतायुगी राम राज्य की ही कल्पना बापू गांधी ने भी की थी, तो आइये उस राम राज्य और उससे भी श्रेष्ठ श्री लक्ष्मी-श्री नारायण के राज्य में चलने का पुरुषार्थ करें। आत्माओं के राम को याद करें, उनके ज्ञान को धारण करके, श्रीलक्ष्मी-श्रीनारायण और श्रीराम-श्रीसीता के राज्य की स्थापना में परमपिता परमात्मा शिव के सहयोगी बनें।
🤴🏻आप सभी को श्रीराम नवमी की हार्दिक बधाई।🏹
💓 से ओम शान्ति 🌹
लक्ष्मण का अर्थ बताते हुए कहा की लक्ष्मण अर्थात जिसका ध्यान अपने लक्ष्य की ओर हो ,हनुमान अर्थात जिसने अपने मान -शान का हनन किया हो अर्थात नम्र और निर्माण | वर्तमान में परमात्मा द्वारा रामराज्य की ,अथवा आदि सनातन देवी देवता धर्म की स्थापना का कार्य चल रहा है और निकटतम भविष्य में राम राज्य की स्थापना, राम का राज्य आरंभ होने वाला है|
जब राम धरा पर आते हैं तो हम बानर सेना द्वारा रावण राज्य पर जीत प्राप्त कराते हैं, जिस कारण रामनवमी पर महावीर का झंडा फहराया जाता है चुकी राम निराकार है इस लिए हम बच्चे उसमे भी ब्रह्मा बाबा के तन का आधार लेकर ब्राह्मण रच कर मै और मेरा दोनों को परिवर्तन कर रावण के राज्य को आग लगाते हैं, इसी लिए महावीर का झंडा फहराया जाता है रामनवमी पर|
राम नवमी का आध्यात्मिक रहस्य🏹
राम नवमी का पर्व, हिन्दू धर्म में एक प्रमुख त्यौहार है जो चैत्र की नवमी को मनाया जाता है. कहते हैं इस दिन त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ के घर, उनके सबसे बड़े पुत्र और भावी राज श्री राम का जन्म हुआ था।
🏮🕚परमात्मा शिव ने पुरुषोत्तम संगम युग में इस रहस्य का उद्घाटन करते हुए बताया कि यह सृष्टि चक्र ५००० वर्ष का है,
जिसमें ४ युग हैं - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलियुग। चारों ही युगों की आयु १२५० वर्ष है.
🕕सतयुग, त्रेतायुग में भारत स्वर्ग था, जिसकी स्थापना कलयुग के छोटे से युग संगम युग में स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा शिव ने प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा ब्राह्मण धर्म की स्थापना द्वारा की थी। ब्रह्मा के द्वारा उन्होंने गीता ज्ञान दिया था जिसके द्वारा ब्राह्मणों की उत्पत्ति हुई। इसका मुख्य उद्देश्य, नर्क को स्वर्ग अथवा नर से नारायण और नारी से श्री लक्ष्मी बनाना है। इस राजयोग के ज्ञान द्वारा ही विश्व में सतधर्म की स्थापना हुई, जो अब फिर हो रही है। सतयुग और त्रेतायुग में भारत स्वर्ग था, सूर्यवंशी और चंद्रवंशी घराना था और श्री लक्ष्मी-श्री नारायण और श्री राम-श्री सीता का राज्य था। सतयुग में ८ जन्म थे तो त्रेता में १२ जन्म। इस प्रकार श्री लक्ष्मी-श्री नारायण की ८ गद्दियाँ चलीं, फिर श्री राम का जन्म हुआ। इसलिए श्री राम का जन्म श्री नारायण के ८ जन्मों के बाद हुआ यही कारण है कि श्री राम का जन्मदिन रामनवमी कहलाता है।
🏹इसके अलावा श्रीराम को धनुष बाण दिखाने का अर्थ है कि चंद्रवंशी राज्य में १४ कलाएँ थीं, अर्थात वह सूर्य वंशी श्रीलक्ष्मी-श्रीनारायण समान कलाओं, गुणों आदि में संपन्न नहीं थे। यही कारण है कि स्वयंवर से पूर्व श्रीलक्ष्मी-श्री नारायण जो कि श्री राधा-श्री कृष्ण थे, जितनी महिमा इन दोनों की है उतनी महिमा श्रीराम श्री सीता की नहीं है. इसके साथ-२ केवल श्रीकृष्ण को ही झूले में झुलाया जाता है, लेकिन श्री राम को नहीं।
🏮वर्तमान समय में परमपिता परमात्मा शिव मनुष्य से देवता बनने की पढाई अर्थात सहज राजयोग सिखा रहे हैं, गायन भी है मनुष्य से देवता किये करत न लागे वार, अर्थात मनुष्य से देवता बनना कोई मुश्किल काम नहीं है। तो इस ईश्वरीय पढाई का ऐम ऑब्जेक्ट स्वयं को ईश्वरीय याद व ईश्वरीय ज्ञान द्वारा श्रीलक्ष्मी-श्रीनारायण जैसा बनाना है,
✳जिनकी महिमा में गाते हैं - सर्वगुण संपन्न, १६ कल सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरषोत्तम। जो कि परमपिता परमात्मा शिव की श्रीमत का सम्पूर्ण पालन करने के द्वारा ही संभव है। परन्तु उससे पहले श्रीराम जैसा बनना है, अर्थात गोल्डन ऐज से पहले स्वयं को सिल्वर ऐज वाला बनाना है,
🌟जिसकी निशानी स्वयं परमपिता परमात्मा शिव के अनुसार यह है कि ऐसी आत्मा में कर्मेन्द्रियों की चंचलता समाप्त हो जाएगी। हालांकि पुरुषार्थ सूर्यवंशी में उंच पद पाने का करना है जो कि ईश्वरीय ज्ञान, योग (याद की यात्रा), दैवी गुणों की धारणा और ईश्वरीय सेवा द्वारा ही संभव है, लेकिन त्रेतायुगी राम राज्य की ही कल्पना बापू गांधी ने भी की थी, तो आइये उस राम राज्य और उससे भी श्रेष्ठ श्री लक्ष्मी-श्री नारायण के राज्य में चलने का पुरुषार्थ करें। आत्माओं के राम को याद करें, उनके ज्ञान को धारण करके, श्रीलक्ष्मी-श्रीनारायण और श्रीराम-श्रीसीता के राज्य की स्थापना में परमपिता परमात्मा शिव के सहयोगी बनें।
🤴🏻आप सभी को श्रीराम नवमी की हार्दिक बधाई।🏹
💓 से ओम शान्ति 🌹